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Past-Present-Future 1.Past, Present and Future even though look three separate time zones but in reality all of us live in the three zone simultaneously at micro level and can be separated when it is looked from macro level. It is like trying to touch to experience zero (micro level) and infinity (macro level). 2.Time never starts and ends, it has no beginning and no end i.e., endless. It just continues and cannot be destroyed and has constant presence in human mind. 3.Each experience gained, whether good or bad, is stored in the memory and influences the present actions and future plans. 4.Push from past experiences and tendency from memory, pull from future hope and aspiration from imagination, with inertia of body and perception in the present, can decide the direction of one's life. 5.In the moment one takes action in the present towards the future, it becomes the moment of past. 6.Physically, it is easier to live in the present and mentally in the past and the future also, if one decides to do so, in his present. 7.The time period of Past, Present and Future can be understood at very micro to infinite macro scale and they are relative. 8.Attitude and actions, whether it is of of the past, in the present and for the future, are indicators of one's meaning of life. 9. How easily and with flexibility, one can travel in time, from the past to the future and vice versa, configures his quality of present activities.
I support MARCHA LATIN AMERICA FOR NON VIOLENCIA FROM 15TH SEPT TO 2ND OCT 2021. FOR PEACE AND NON VIOLENCE.
#तनाव #tension १. जब हम दिमाग से कुछ सोचते हैं, यह नहीं होता है या कुछ होता है, यह हमने नहीं सोचा है और यह प्रतिकूल है, तब दिमागी तनाव पैदा होता है। २. जब हमें कुछ दिल से पसंद है, और वह नहीं होता है या जो होता है वह हमें पसंद नहीं, तब अपने दिल में तनाव पैदा होता है। ३. जब हम दिमाग से सोचते हैं वह दिल को पसंद नहीं तब आंतरिक दिल और दिमाग से तनाव का अनुभव करते हैं। ४. इसी प्रकार जब हमारे पास बहुत विकल्प है और हम कुछ निर्णय नहीं ले पाते, तब भी दिल या दिमाग में तनाव पैदा हो सकता है। ५. दिल और दिमाग से उत्पन्न हुआ तनाव, शारीरिक तनाव पैदा करता है। ६. तनावपूर्ण मनुष्य गलतियां करता है।अपनी जबान पर काबू खो बैठता है, कल्पना शक्ति कमजोर हो जाती है और वह बीमारियों का शिकार भी हो सकता है। ७. तनाव के दो प्रकार है स्थायी और अस्थायी। ८. गुस्सा आना, जलन ईर्ष्या, नफरत और तिरस्कार, बातचीत न करना, स्वार्थी जीवन बिताना, परस्पर विरोधी दिमाग से सोचना और दिल में अनुभव करना, दुखी रहना, चिंतित रहना वगैरह तनावपूर्ण जीवन निशानियां है। ९. मानव विकास तब ही हो सकता है जब वह तनावहीन जीवन बिताए। और जब एक मानव, दूसरों के तनाव दूर करने का प्रयत्न करें यही" मानवता "है। #Humanist movement (To humanize the earth) Booklet of themes humanist aspects of #peace and #nonviolence in the internal and external world
https://humnaistselfdevelopment.blogspot.com/2021/06/humanist-attitudes-6-fundamental.html
सुबह की नींद इंसान के इरादों को कमजोर बनाती है,मंजिल को हासिल करने वाले कभी देर तक नहीं सोते। 🌞 😊🙏🌹 माना कि जिंदगी की राह आसान नहीं ! मगर मुस्कराते हुए चलने में, कोई नुकसान नहीं !! 🙏🏻🌹🌹🙏🏻 मन में जो है साफ-साफ कह देना चाहिए क्युंकि सच बोलने से फैसलें होते हैं और झूठ बोलने से फासलें. 🌹🌹 -Rajesh Sheth
अच्छा और बूरा good or bad behaviour or action १. जब इस दुनिया में हम दूसरों के साथ व्यवहार करते हैं, तब यह अच्छा हो सकता है, या बुरा। २. जो व्यवहार अपनी सबकी जिंदगी में सुधार लाएं, यह अच्छा है। जो तनाव पैदा करें, वह बुरा है। ३. जो व्यवहार मानव को आपस में जोड़ें, यह अच्छा है। जो बीच में दीवार खड़ी कर दे, वह बुरा है। ४. जो व्यवहार हमारी जिंदगी में आत्मविश्वास पैदा करें, यह अच्छा है। जो हममें अविश्वास और दूसरों के प्रति घृणा पैदा करें वह बुरा है। ५. जो व्यवहार सार्वजनिक हित में रहता है, यह अच्छा है। जो व्यवहार सदा अपने स्वार्थ में रहता है,वह बुरा है। ६. जो व्यवहार हमें भविष्य उज्जवल दिखाता है, यह अच्छा है। जो भविष्य अंधकारमय और निराशाजनक दिखाता है, वह बुरा है। ७. जो व्यवहार दूसरों में खुशी की लहर फैला दे, यह अच्छा है। जो व्यवहार दूसरों को दुखी करें या पीड़ित करें वह बुरा है। ८. अच्छा व्यवहार अच्छे व्यवहार को आकर्षित करता है। बुरा व्यवहार बुरे को। ९. एक चीज निश्चित है मानव मानव हैl मानव अच्छा या बुरा नहीं हो सकता। उसका व्यवहार अच्छा या बुरा हो सकता है #Humanist movement (To humanize the earth) Booklet of themes humanist aspects of #peace and #non violence in the internal and external world
५. झगड़ा १. जब हम एक दूसरे के नजदीक होते हैं तब अपने व्यवहार में झगड़ा या कलह हो सकता है, जैसे कि दो पड़ोसी राष्ट्रों मे, महोल्ले के दो पड़ोसी के बीच या परिवार और सगे संबंधी के अंदर। २. कभी-कभी छोटी बातों से, झगड़ा बड़ा स्वरूप लेता है और यह विवाद झगड़े का, हिंसा में परिवर्तन होता है। ३. बरसों से चली आती मित्रता, अच्छा व्यवहार ,कुछ पलों में झगड़े के कारण चौपट हो जाती है। ४. झगड़े करने वाले व्यक्ति में और परिवार में तनाव होता है, भय का वातावरण पैदा होता है, मन की शांति चली जाती है, अविश्वास का जन्म होता है और वह स्वार्थी हो जाता है। ५. ५.झगड़े, दो व्यक्ति के बीच सीमित नहीं है, कभी-कभी यह दूसरी तीसरी पीढ़ी तक ,कई बरसोसे तक चलती है और लोग भूलते नहीं है। ५. झगड़े का मूल है, अपना दृष्टिकोण । ज्यादातर जब एक का दृष्टिकोण दूसरे के दृष्टिकोण से तालमेल नहीं रखता है , जब एक का हित, दूसरे का अहित है या दोनों का हित एक ही, चीज में है , तब कलह या झगड़ा होता है। ७. झगड़े का समाधान करने के लिए लोग तटस्थ, निपक्ष व्यक्ति या संस्था (कोर्ट, अदालत )का सहारा लेते हैं। ८. मानववादी विचारधारा मानती है कि सारे विश्व के झगड़े का समाधान हो सकता है, जब लोग एक दूसरे के दृष्टिकोण को समझे, मित्रतापूर्ण वातावरण में मुक्त बातचीत करें ,पहले के बुरे अनुभव को दूर रखें और ऐसा रास्ता निकालें ताकि किसी प्रकार भेदभाव ना रहे और लंबे समय तक सभी पक्ष का समाधान रहे और मित्रता बढ़ती रहे। Humanist movement (To humanize the earth themes humanist aspects of peace and non violence in the internal and external world
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