The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
"थर्डक्लास लव", को मातृभारती पर पढ़ें : https://www.matrubharti.com भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
If someone has left studies, it does not mean that it is useless. The only duty of charcoal for the diamond is to come out when it comes out, it only shines its upper luster. That's wan'na true fact........
हाय, मातृभारती पर इस कहानी 'I Miss you' पढ़ें https://www.matrubharti.com/book/19867452/i-miss-you
आज फिर से हुई है बारिस जमके- पर असर तो तुम्हारी ही फितूर का है मुझपे||
??सुनने के लिए तुरंत इस लिंक से KUKU FM App *डाउनलोड करें:* https://applinks.kukufm.com/FSoBtFutfGQsyz3j7
स्वर्ण-चाँदी मणि जवाहर क्यों नहीं अब माँगती हैं? पूछिये तो बेटियों से बेटियाँ क्या चाहती हैं............ जीव जीवांतक नहीं है सृष्टि की वरदान बेटी। दो कुलों की स्वामिनी हर वंश का अभिमान बेटी॥ श्रेष्ठ लड़कौरी सुता बन इस जगत को तारती है। जन्म देकर वीर सुत सीमा सुरक्षा माँगती है॥ कल्पना बन आत्मजा नित व्योम छूना जानती हैं॥ पूछिये तो बेटियों से बेटियाँ क्या चाहती हैं.............. था समय तब जानकी बन आप नतमस्तक रही क्यों? कब? समय का चक्र बदला दामिनी बन झक रही क्यों? एक भाई चाह रावण तुल्य प्रभु वरदान देना। जो बहिन रक्षा करे भाई वही सम्मान देना॥ है अघी कामुक नहीं जो नाक कटवा भागती हैं। पूछिए तो बेटियों से बेटियाँ क्या चाहती हैं............... सीरिया गृह युद्ध में जब भाग नारी माँग करती। चाह आईएसआई संघ, कर अवसान मरती॥ मत समझ कमजोर मुझको राष्ट्र को मैं आरती दूँ। गर्भ से फौलाद आविर्भाव सुत माँ भारती दूँ॥ हाथ ले तलवार लक्ष्मी-बाई' बन रिपु मारती हैं। पूछिये तो बेटियों से बेटियाँ क्या चाहती हैं............ अब सहन होता नहीं है नित पुरुष का चाल नव-नव। शक्ति का अवतार ले तनु फार देगी जाल नव-नव॥ भूलना मत हर पुरुष में अर्धनारी शक्ति दात्री। यदि स्वयं पर आ गयी तो जान ले गर्दन उड़ाती॥ छोड़ दो आजाद वे इतिहास नव दृग पालती हैं। पूछिए तो बेटियों से बेटियाँ क्या चाहती हैं............. ©-राजन-सिंह
#MoralStories आज भाई का शादी है लेकिन विनय के आँखों में वियोग का आँसू बार-बार उमड़ रहा था। छन-छन में रचित की बातें; यादें विनय के आँखों के सामने घूम रहा था। उस दिन कितना जलील किया था रचित को लेकिन फिर भी उसने............!!! जब हॉस्पीटल में रचित ने विनय से कहा - "आँख का इंतजाम हो गया है"............ तब पहली बार गले से लगाया था नफरतों के बीच। मगर उसने क्या किया? आँखों के बू़ँदों में यादों की दास्तान आँसू बन बहने लगा......... "क्या कह रहा है, क्या सचमुच"? विनय चौंक कर रचित के दोनो कुल्हो को पकड़ खुशी से झूम उठा। लेकिन उसे क्या पता था कि वो आँख किसी और का नहीं बल्कि रचित अपना दान कर आया है। जिसे सदैव ही विनय दूर रखने का प्रयत्न किया आज वो उसी के खून में मिल चुका है!!! एक पवित्र रिश्ते को भले विनय नहीं समझ सका रचित के जिंदगी में लेकिन...........रचित एक पवित्र व "सच्चा रिश्ता" स्थापित कर ब्लड कैंसर पर जीत दर्ज कर इस दुनिया से चला गया॥ ©-राजन-सिंह
#MoralStories - संबंध" "संबंध का परिभाषा ढ़ूँढ़ते-ढ़ूँढ़ते आज कहाँ खोती जा रही हूँ? क्या कुछ पैसे ही संबंध का मूल आधार है या भावनाओं का कद्र; प्यार का समर्पण; शरीर का सुख; रक्त-संबंध और मन के मोह का कोई महत्व नहीं"? - उधेर-बुन में खोयी रागिनी मिर्च में मसाले भरे जा रही थी| वर्तमान स्थिति और भूतकाल के कड़वे अहसासों के अचार में जब खटाई का कसैला स्वाद चढ़ा तो अनुभूति हुआ हरेक कष्ट का काट है| और फैसला कर ली अब "नीम पे करेला" चढ़ा कर रहेगी| ससुराल में अब जो जैसा व्यावहार करेगा उसके साथ अब वैसा ही सलूक किया करेगी....... पर अब किसी का अनावश्यक कथन सहन न करेगी| ©-राजन-सिंह
मोटनक छंद -----------------? नाता अपना जग से इतना। मल्हार मनोहर राग अना।। वैराग्य न जीवन से मुझको। हे! ज्ञान समक्ष कृपाल झुको।। लोकोत्तर या अतिमानव हो। या जीवन भक्षक दानव हो।। है मृत्यु खड़ा रथ अश्व सजा। संसारिक जीवन मोह तजा।। गंभीर बने मणि तुल्य रहे। तेजस्क्रिय हो पर मूल्य रहे।। है पत्थर जीवन रत्न नहीं। ये दिव्य प्रतिक्षित यत्न नहीं।। ©-राजन-सिंह
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser