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तुझसे कोई वादा नहीं फिर भी प्यार है, जुदाई के बावजूद तुझपे अधिकार है। तेरे चेहरे की उदासी दे रही है गवाही, मुझसे मिलने को तू भी बेक़रार है। तेरे दिल की धड़कन भी कह रही, तू ही सिर्फ मेरा आज भी दिलदार है। आज गरीबी के इस मुश्किल दौर में, मेरी ये ज़िन्दगी तेरे हुस्न की कर्जदार है। खो गया हूँ मैं इस जहाँ की तन्हाई में, "पागल" को आज सिर्फ तेरी दरकार है। ✍🏼"पागल"✍🏼
ज़िन्दगी उसके साथ बिताने की है, आस उनसे ख़्वाबों में मिलने की है। चुरा लूं उनको किस्मत की लकीरों से, यही एक तरकीब उसको पाने की है। लगा है आजकल मेला मेरे शहर में, उम्मीद उनके भी नज़र आने की है। ख्वाइश का तो क्या? बस इतनी सी है, एक बार उनको बांहो में भरने की है। यही तमन्ना यही मुराद है "पागल" की, नज़्म आखरी उनको सुनाने की है। "पागल"
सौंदर्य का पता नहीं श्रृंगार लिखने चला हूँ, ज़िन्दगी का एतबार नहीं प्यार करने चला हूँ। माथे पर कुमकुम सजा है हाथों में महेंदी रची है, फिरभी मैं आशिक इज़हार करने चला हूँ। अमावस की काली घनघोर अंधियारी रात है, फिरभी मैं चिराग लेकर कमर देखने चला हूँ। मुझे पता है तुम नहीं हो तुम कहीं नहीं हो, फिरभी मैं तसव्वुर में निगार बनाने चला हूँ। आता नहीं कुछ भी मुझे आपको देख कर, फिरभी मैं "पागल" शायर बनने चला हूँ। ✍🏼"पागल"✍🏼 सौंदर्य - सुंदरता / खूबसूरती श्रृंगार - सजावट / शोभा एतबार - विश्वास / भरोसा इज़हार - बताना / कहना चिराग - दीपक / दीया कमर - चाँद / चन्द्रमा तसव्वुर - कल्पना / विचार निगार - तस्वीर / चित्र
दुनिया में कोई दोस्त कोई जानी न मिला, दुश्मन मिले मगर कोई खानदानी न मिला, हमारे ग़म भी खुशियोँ में बदल जाते, मगर हमें कोई तावीज़ सुलेमानी न मिला। कुंआं खोदने वाले प्यास से मर गये, जिनका हक़ था उनको पानी न मिला। मिलना है तो पाक जज़्बे से मिला कर, पाकीज़ा दोस्ती में जज़्बा शैतानी न मिला। ज़ालिम से अपना हक़ तो "पागल" ने छीना, बड़ी मुश्किल से मिला भी आसानी न मिला। ✍🏼"पागल"✍🏼
मेरे मन का मीत हो तुम, मेरी रागिनी मेरा संगीत हो तुम। मेरी ज़िन्दगी मेरी जीत हो तुम, मर कर जो ना टूटे वो प्रीत हो तुम। मेरी क़दर शनास हो तुम, दूर रह कर भी पास हो तुम। मेरे ख्वाब मेरी ताबीर हो तुम, मेरा संसार मेरी तक़दीर हो तुम। मेरे लबों की मुस्कान हो तुम, "पागल" जिस्म और जान हो तुम। ✍🏼"पागल"✍🏼
नालाँ ख़ुद अपने दिल से हूँ दरबाँ को क्या कहूँ, जैसे बिठाया गया है, कोई पाँव तोड़ के। क्या जाने टपके आँख से किस वक़्त खू़ने दिल, आँसू गिरा रहा हूँ जगह छोड़-छोड़ के। ✍🏼"पागल"✍🏼
चलते चलते अब राही दिल ये मेरा थक गया, चेहरों के जंगल में अपनी राह भटक गया। एक एक कदम भी अब तो रखता है ये गिन गिन कर, हर कदम पर जैसे दिल में कुछ चिटक गया। सोचा ना था ये सफर होगा इतना मुश्किल कभी, फूलों के गुलदस्ते में कांटा कोई अटक गया। सागर की लहरें भी देखी और उसकी गहराई भी, एक पानी का रेला आकर इसे किनारे पटक गया। कोई साथी अपना ये ढूंढ ना पाया अभी तलक, हर आँख में सच्चा चेहरा "पागल" का खटक गया। ✍🏼"पागल"✍🏼
दुनिया में कोई बदनसीब है उसके पास माँ नही है, किसीके पाँव तले जमीं और सर पे आसमाँ नही है। जहाँ में हर किसीका नसीब उसको साथ नही देता, यहाँ "पागल" के दिल में आरज़ू है अरमाँ नही है। ✍?"पागल"✍?
ज़िन्दगी जीने में हमारा नजरिया बहुत बड़ी भूमिका निभाता है, ज़िन्दगी का हर एक तजुर्बा हमें जीने की नई राह जरूर दिखता है। ज़िन्दगी के तजुर्बे से ही तो ज़िन्दगी जीने का नज़रिया बदलता है, "पागल" नज़रिये का फर्क कभी हमें हँसाता है कभी हमें रूलाता है। ✍?"पागल"✍?
यहाँ टूटते रिश्ते का जिम्मेदार इन्सान है, क्योंकि इन्सान खुद इन्सान से परेशान है। दूसरों की गलतियां ढूंढना कोई खास नही, "पागल" गलतियों से सीखना आसान है। ✍?"पागल"
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