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महोब्बत हो तभी तो दिल के इतने करीब हो। जरूरत होती तो कब की खत्म हो चुकी होती।। -PARIKH MAULIK
हल्लो मेरी नोवेल, गृहस्थ संन्यासी का 4भाग रिवील हो रहा है तो आप सब को 22 तारीख तक इंतजार करना होगा और पढ़ कर बताना मत बोलिए https://www.matrubharti.com/novels/37878/gruhasth-snayasi-by-parikh-maulik
तुम्हे चाहते है मगर बताए केसे। बताना ही इश्क है तो छुपाए केसे।। तुम सोचते हो हमे प्यार नही तुमसे। ये हाल हमारे दिल का बताए केसे।। -PARIKH MAULIK
तस्बी मे हम तुम्हे याद करते हैं। हर रात इश्क में बरबाद करते हैं।। पड़े जरूरत तो फ़रियाद करते हैं। इश्क में नाजाने क्या क्या करते हैं।। -PARIKH MAULIK
माना भूलना फितरत तुम्हारी है। ये तुम्हारी परेशानी अब हमारी है।। कोसते है खुदको ये क्या करते हैं। रोज़ याद करते है फिर जगड़ते है।। -PARIKH MAULIK
दुआ करो मुझको मेरा मुकाम मिल जाए। हर शाम तेरी ही बाहों में सुकून मिल जाए।। सुबह उठते ही मुझे तेरा प्यार मिल जाए। और मेरे तेरे प्यार की निशानी मिल जाए ।। -PARIKH MAULIK
आज नजाने क्यों अकेला लगने लगा है। ख़ुद को कहीं खोया खोया लगने लगा है।। आ पास बैठ क्यों रूठा हुआ लगने लगा है। आज मेरे होने से भी ना होना लगने लगा है।। तुझको मैने पा लिया है ऐसा लगने लगा है। देखा जब खुदको ये मुझे क्या लगने लगा है।। तेरे बगैर ही अच्छे थे ये मन ही मन लगने लगा है। -PARIKH MAULIK
आज भी तेरी यादों को मन में बसाए फिरते हैl कुछ बात थी तुममें वो किस्से बताते फिरते हैll आज चोखट पे तेरी बेशरम बने फिरते हैl रूह को मेली करके तेरे इश्क़ में पागल फिरते हैll कुछ बात है तुजमे जो यादों में तेरी फिरते हैंl लाख मनाया दिल को फिरभी सपनों में फिरते हैंll वो यादों को वो लम्हों को हम आज भी जीते फिरते हैंl मेरे गमों की ये कहानी में ख़ुद पे जुल्म किए फिरते हैंll बे ख़बर तेरे प्यार में सबक बने हुए फिरते हैंll -PARIKH MAULIK
હું ક્યાં હતો ત્યાં તો એક સમય ની વાત થતી હતી એને મારા મોંઢા ને બોાવવા માટે રસ્તો મળ્યો મે શરૂ કર્યું કઈક આ રીતે કે જાણે ને અજાણે ગણું ખોવાય ગયું? હાથ માં હતું એ ક્યાં છીનવાઈ ગયું? યાદ તો હુ પણ હશું એને, પણ એ મારાથી છોડાઈ ગયું. ક્યાંક ઉગમણે થી પવન આવે ને એનો અહસાસ લાવે એવી આશ હજુ બાકી છે, એના આવવાની આશ હજુ બાકી છે. ગણું કહેવું છે પણ યાદ હજુ તાજી છે. મલક મા માણેલા એ દિવસો આજે મહિનો પૂરો થયો પણ જાણે હજુ કાલ સુધી તો સાથે હતા એવા વહેમ જાગે છે. સુરજ આવ્યો છે ઉગમણે એની યાદ લાવ્યો છે સાથે. ઉઠતાં ની સાથે એનો ચહેરો હતો ને આજે સૂરજ તાજગી લાવે છે. શુભ સવાર મિત્રો
आंखे बंद करके खुदको पूछो, मुझे क्या आता है? उतर – ब्लैंक। मुझे क्या नहीं आता? उतर – बहुत सारे ऐसा क्यों है? कोई बता सकता है? अगर हां तो कमेंट में बताओ। -PARIKH MAULIK
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