Quotes by नीतू रिछारिया in Bitesapp read free

नीतू रिछारिया

नीतू रिछारिया Matrubharti Verified

@niturichhariya012918
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औरत जन्म देती हैं, पालती हैं, सिखाती हैं बोलना, बड़ा दुखदाई हैं मर्द की गाली में उसका नाम होगा..

-नीतू रिछारिया

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किसी के लिए उतना ही करो जितना वो बदले में ना कर पाए तब भी बुरा न लगे।

या तो करो और भूल जाओ पर वो मानव के स्वभाव में नही हैं। इसलिए भावनाओं में बहकर किसी की खुशी के लिए खुद को परेशान कभी मत करना।

-नीतू रिछारिया

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कुछ लोग तो मन की बात जुबा तक सहज ही ले आते हैं पर क्यों कुछ लोग मन की बात मन ही में छुपा के रख जाते हैं।

बताने वाले अपना दुःख, किसी से बांट तो पाते हैं। पर न बताने वाले लोग, दुःख का घूंट कैसे पी जाते हैं।

सुना हैं... वैसे तो दुःख बांटने से, दुःख कम हो जाते हैं। पर कलयुग में दुःख बांटने से, क्यों हंसी का पात्र बन जाते हैं

आजकल दुःख बांटने से, हम दुःख को बढ़ा लेते हैं। शायद इसलिए कुछ लोग, मन का दुःख, मन ही में रख जाते हैं।

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शर्म, शर्म औरत का गहना हैं, ये दुनिया का कहना हैं..।

पर गहनों को तो हर नारी ने,
समय के अनुसार ही पहना हैं..

शर्म का गहना हरदम रखना पहन कर, हो सलीका और लिहाज़ हर कदम पर।

पर बोझ लगने लगे जब तन पर, पड़ता हैं रखना उतार हर ज़ेवर

-नीतू रिछारिया

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आओ उनको नमन करें, वतन पर जो कुरबान हुए
यातनाएं खाई जेल गये, पर कर्तव्य नहीं अपना भूले
हँसते हँसते वो वीर सेनानी, फांसी के फंदों पर झूले

अपनी जाँ कर दी न्योछावर, और भारत के प्राण हुए
दीप जलेंगे उनकी यादों में, जो राष्ट्र हित बलिदान हुए

वीर रक्षक भारत माता के, जो स्वतंत्रता आधार बने
सम्पूर्ण देश हो ज्योतिर्मय, उन शहीदों के सम्मानों में
आओ उनका गुणगान करें, अंतस वीणा की तानों में

सही स्वयं विषाद की पीड़ा, किन्तु राष्ट्र मुस्कान हुए
दीप जलेंगे उनकी यादों में, जो राष्ट्र हित बलिदान हुए

लेकर तिरंगा निकल पड़े वो, तूफानों से टकराने को
आहुति प्राणों की देकर, स्वतंत्रता दीप जलाने को

भारत की वसुंधरा को, सुरभित पुष्पों से सजा दिया
शौर्य पराक्रम भारत का, उन अंग्रेजों को दिखा दिया

शत शत बार प्रणाम उन्हें, वतन की जो पहचान हुए
दीप जलेंगे उनकी यादों में, जो राष्ट्र हित बलिदान हुए

सर पे बांध कफन निकले, मरने की परवाह न की
राष्ट्र हित सर्वस्व लुटाया, स्वयं की कोई चाह न की अपना घर परिवार त्याग, बसंती चोला पहन लिया
थे साहस शौर्य से ओतप्रोत, आजादी का वचन लिया

#शहीदों_को_नमन 🙇🙇

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किसी के साथ सिर्फ दिखावे के लिए अच्छा होना।
बुरा होने से भी बुरा है।

Happy Friendship Day My Dear Mom ❤️
My Mom Is My Best Friend 😘#happyfriendshipday

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#Manipur_Violence

याद रखना, नग्न स्त्रियां खूंखार हो जाती हैं...

.....एक दिन सभी स्त्रियां नग्न हो जाएंगी....

2018 में एक कविता पढ़ी थी, कवयित्री आरती यादव की, शीर्षक था “एक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी!” बार बार पढ़ने पर आंखें धुंधला गई लेकिन वह कविता कहीं अटक गई थी मन में आज फिर उथ आई है मणिपुर के घटनाक्रम से..

तुम जानते हो स्त्रियों को अपनी देह से प्रेम होता है उनकी जान उनकी देह में ही होती है इसीलिए वे इसे सजाती सँवारती और सलीके से ज़ाहिर करती हैं।

वे कभी भी पूर्णतः नग्न नहीं होतीं तुम फिर भी उसकी मर्जी के बिना बार-बार उसकी देह कब्जाते हो

उसपर महाभारत रच जाते हो पर क्या कभी तुमने सोचा है अगर उनका देह प्रेम खत्म हो जाए...

स्त्रियां भी जब नग्न हो जाती हैं तो बेतरीक़े ही गिरती हैं क्योंकि नग्न स्त्रियां

पशु से भी अधिक खूँखार हो जाती हैं।

अगर यह सिलसिला न रुका तो देखना..

एक दिन सभी स्त्रियां नग्न हो जाएंगी.......

यह कविता नहीं वही आर्तनाद है, हाहाकार है, मन का कोलाहल है जो उस वक्त उन मणिपुरी महिलाओं के अस्तित्व से गुंजा होगा.... उनकी मौन, चीख, चीत्कार न सुन सके हम लेकिन फिर कुछ घिनौने चरित्र सामने आ गए हैं... इस देश में ना यह पहली घटना है ना देशवासियों का रोष पहली बार उपजा है ना ही शीर्षस्थ नेताओं के बयान पहली बार आ रहे हैं...असभ्यता और बर्बरता के कई प्रतिमान (?) हम पहले भी गढ़ चुके हैं... पहले भी नंगी मानसिकता के पुरुषों ने स्त्री अस्मिता को इस तरह छला और रौंदा है सवाल अब कुछ नहीं हैं जवाब अब उबल रहे हैं, समस्या पर बात करना स्त्रीत्व की तौहीन है अब समाधान तलाशना ज्यादा जरूरी है.. कड़ी सजा, दंड, अपराध, गुनाह, दोषी सारे शब्द जहर बन चुके हैं अब... देश की सड़कों की सफाई से ज्यादा अब बारी दिमाग की गंदी कुचैली गलियों को धोने और और स्वच्छ करने की हैं

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जवानी तुम संसार को देते हो,
और बुढ़ापा पत्मात्मा को।

तुम्हारे देने से पता चलता है कि मूल्य किसका कितना है ?
जवानी तुम व्यर्थ को देते हो, और बुढापा सबसे मूल्यवान को।
जब शक्ति होती है, तब तुम गलत करते हो। और जब शक्ति नहीं होती तो तब तुम कहते हो कि अब अच्छा करेंगे।
स्वयं विचार करें।

-नीतू रिछारिया

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