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जय श्री कुंज बिहारी
दुःखों की चादर ओड, अधूरे सपनों की टुटन से भीगें, गालों को छुपाए बैठे थे, सदा के लिए अंधकार में समा, जीने की नाउम्मीद में सिमटे थे, उम्मीद भरा एक हवा का झोंका, बार-बार चद्दर को उठाने की, गुजारिश कर रहा था, चादर के महींन झरोखों से, फिर से कोशिशों की रोशनी फैला रहा था, मैंने हवा की बात मान, दुःखों की चादर हटा, आशा का नया, प्रकाश पा लिया, उस हवा ने मुझे जीना सीखा दिया।
सपनों की उड़ान, जिम्मेदारियों से बदल रही, उम्र अब कुछ तजुर्बे में ढल रही, कुछ पाने की जद्दोजहद, अभी भी मचल रही, ना जाने वह कौन सा छोर है, जिसके लिए जिंदगी चल रही।
धुंध कुछ हटने लगी। आस कुछ जगने लगी। ख्वाहिशें उड़ान भरने लगी । बसंत के आगमन से कलियाँ खिलने लगी।
पतंग अपनों के प्यार की डोर से बंध आसमान की बुलंदियों पर इठला रही अपने इरादों पर टिकी, ऊंचाइयों की उड़ान भर रही काटे अगर इस पक्की डोर को, उसका अस्तित्व मिटा रही फिर गर्व से इतरा रही बस नहीं है उसे पता, किसी और की डोर, हो उस पर सवार, हौसलों पर कर प्रहार अपनों से जुदा कर देगी उसे नीचे गिरा देगी।
ठंड से ठिठुरते पंखों को अब फैलने दो ऊंची -ऊंची उड़ान भरने दो मांझे की डोर से ना कटने दो ना बिखरने दो पंख फैलाकर उड़ने दो ।
इतना भी आसान नहीं जीवन को महकाना, काटों भरी राहों से गुजरना भी पड़ता है।
खट्टी - मीठी यादों के साथ बीते साल का सूरज अस्त हो चला नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं लिए नया सवेरा नई उमंग से अवतरीत हो रहा। Happy new year 2023 -Nidhi Soni
किसी के हाथ का रिमोट बनने से अच्छा है, अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेना सीखें।
अनजाने से रिश्ते बन जाते फिर किसी हवा के रुख की तरह बदल जाते जिंदगी ठगी सी रह जाती फिर वो रिश्तों में अनजाने बन जाते
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