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Nancy Sharma

Nancy Sharma

@nancysharma6613


उस इनसान की क्या बात करें,
जिसका न कोई उद्देश्य रहा ।
ऐसे जीवन को क्या कहे,
जिसमें केवल श्वास ही बस शेष रहा ।
मानव जीवन गर पाया है,
क्यों न उसका उपयोग करें ।
क्यों न विपदा झेले कुछ पल,
फिर मंजिल का उपभोग करें ।
क्यों बैठे रहें लाचार, निर्बल ;
फिर पछतायें और शोक करें ।
क्यों न बुद्धि, साहस के बल पर,
अर्जित सारा भू-लोक करें।

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रातों को रोशन करने वाला, जब चांद कहीं छुप जाता है ।
उस दिन भी कोई नन्हा तारा, दूर कहीं जगमगाता है ।
उम्मीद भी गर इसी तरह, जब नज़रो से ओझल हो जाये ।
छोटी खुशियों का हाथ पकड़कर चल दें तो, जीवन आसान हो जाये ।

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कभी उपर है कभी नीचे है,
आंखे खोले कभी मीचे है,
यह समय बड़ा बलवान प्रिये,
किसी के ख्वाब उजाड़े, किसी के सींचे है ।

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जब सोच लिया कुछ पाने का,
सीमायों को पार कर जाने का,
फिर हालात का क्या उल्लेख करे,
बुद्धि पर क्यों आक्षेप करें,
अब बस विचार एकत्र करें,
मन पर काबू पा, परस्पर प्रयत्न करें,
मंजिल खुद ही मिल जायेगी,
न असफलता फिर उपहास उडायेगी ।

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# साहस # लक्ष्य

मुशिकलें रोज़ नई आएंगी,
कब तक उनसे घबराओगे,
इस संसार नाम के सागर में,
यूँही भ्रमित हो कर रह जाओगे ।
कर लो उठकर वह ख्वाब सजीव,
जो अंतरमन में है दबा हुआ,
जिस क्षण की आस में हे मानव,
है रोम - रोम तेरा जगा हुआ ।
साहस की लघुता से ही अकसर,
लक्ष्य, स्वपन बन रह जाता है,
इसको पूरा कर जाने का,
प्रभु आवश्य कोई मार्ग दिखाता है ।
हालात से क्यों समझौता कर,
ख्वाबों को अपने तोड़ूं मैं,
जो ठान लिया उस कारज को क्यों
कल क्या होगा उस पर छोड़ूं मैं ।

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