Quotes by Mukteshwar Prasad Singh in Bitesapp read free

Mukteshwar Prasad Singh

Mukteshwar Prasad Singh Matrubharti Verified

@muktmukeshgmailcom
(107)

https://youtu.be/8Q1IiOE9CMw



my second Lyrics in the voice of Singer Smita jha
राम लौटे अवध वनवास से,
अब दिवाली मनाओ रे,
घर घर दीप जलाओ रे,
घर को रोशन बनाओ रे।

दीये की ज्योति, मन को दे शक्ति,
जन जन में भक्ति,नफरत से मुक्ति,
घृणा द्वेष मिटाओ रे,
राम लौटे अवध वनवास से,
अब दिवाली मनाओ रे।
घर घर दीप जलाओ रे।।

दुष्ट रावण ना जन्मे,क्रूर कंश ना पनपे,
राम नाम हो लव पे, दया प्रेम ही बरसे,
ऐसा देश बनाओ रे,
राम लौटे अवध वनवास से,
अब दिवाली मनाओ रे।
घर घर दीप जलाओ रे।।
*रचनाकार कवि मुक्तेश्वर प्र सिंह

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https://youtu.be/ZnS4rOxThWY


my Lyrics in the voice of Singer Brajesh Singh
कण कण में श्रीराम,कण कण में सियाराम,
धन्य अयोध्या नगरी ये,गूंजे जय श्री राम।
बोलो राम,बोलो राम,बोलो राम, बोलो राम।

साकार हुआ अब सपना,बना अयोध्या धाम,
बालवृद्ध सब निकल पड़े, लेने राम का नाम।
कण कण में श्रीराम,कण कण में सिया राम,
बोलो राम,बोलो राम,बोलो राम, बोलो राम।

सूने पड़े अवध में आये,दिव्य रूप में राम,
घंटों से झंकृत हैं,वहां का सुबहो शाम।
बोलो राम,बोलो राम,बोलो राम,बोलो राम।

रामलला के भारत में चंहुओर राम का नाम,
रामराज्य में सबकी भलाई,आये हैं श्रीराम।
बोलो राम,बोलो राम,बोलो राम,बोलो राम।

* रचनाकार कवि मुक्तेश्वर

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सफेद कुर्ते में लिपटी, रक्त सने मांस के टुकड़े।
कितना क्रूर है हंसता हुआ मुस्कान के चेहरे।
सच जानकर भी मौन सियासतदान के मोहरे।
कसम ऐसे इंसानों की चाल में पलते बड़े खतरे।

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चांद की नवल धवल दूध जैसी रश्मियां,
नभ में बिखेर रही अमृत घुली शक्तियां।
धरती पर नाच उठी जीव जन्तु पत्तियां,
रात शरद चांद की पक्षियों में मस्तियां।

रात भर जगे जगे नहा रहे किरणों में,
सूर्य आज ठहर जा देख चांद व्योम में।
चकोर की खोज को आज खत्म होने दे,
छिपे हुए चकवा को चांदनी में ढूंढने दे।
शरद की पूर्णिमा बरसा रही प्रेम प्रीत,
समेट लो अंजलि में नेह प्रेम बंटने दे।

#मुक्तेश्वर मुकेश
@शरद पूर्णिमा

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जीने की आश लिये भटकता रहा,
पर मिला नहीं खुशियों का पिटारा,
राहों की कांटों को सदा काटता रहा,
पर मिला नहीं नरम पत्तियों का सहारा।

चांद सूरज के बीच की आंख मिचौनी,
खुशी और अवसाद के बीच की कड़ी,
लम्बी चुप्पी की कोई दवा से भरी सूई,
अपने आप ही जकड़ती रही हथकड़ी,
दायें बांये बनते बहुमहलों का नजारा,
देख देख मुस्काये देते जीने का किनारा।
जीने की आश लिये भटकता रहा,
पर मिला नहीं खुशियों का पिटारा।

बचपन की कुशाग्रता का अभिशाप,
ढ़ोता जाता हूं कैसे,बिगड़े बिगड़े हालात,
बस एक ही किरण मझधार से,
जिन्दगी की नाव चलाता जा रहा ,
मांझी की पतवार थामे आंधियों में,
देने नयी मंजिल का अद्भूत रंगभरा फव्वारा।
जीने की आश लिये भटकता रहा,
आखिर मिल गया खुशियों का पिटारा।
@मुक्तेश्वर मुकेश

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चांद की नवल धवल दूध जैसी रश्मियां,
नभ में बिखेर रही अमृत घुली शक्तियां।
धरती पर नाच उठी जीव जन्तु पत्तियां,
रात शरद चांद की पक्षियों में मस्तियां।

रात भर जगे जगे नहा रहे किरणों में,
सूर्य आज ठहर जा देख चांद व्योम में।
सीप की खोज को आज खत्म होने दे,
छिपे हुए मोतियों को ओस में ढूंढने दे।
शरद की पूर्णिमा बरसा रही प्रेम प्रीत,
समेट लो अंजलि में नेह प्रेम बंटने दे।

शरद की पूर्णिमा विशेष।

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हवा हूं हवा हूं,जहां देखो वहां हूं।
रोना ना हमें कभी,हंसती हंसाती हूं।
अम्बर को बाहों में भरने की चाहत है।
उड़ना है मस्ती में, बाज की ताकत है।
-मुक्तेश्वर

-Mukteshwar Prasad Singh

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बिहार की जातीय गणना विकास नहीं विद्वेष लाएगी।बिहार में 1978 से आरक्षण है।परन्तु ओबीसी आरक्षण के अन्दर वर्गीकरण से भी हकमारी हो रही है।बिहार में पिछड़े को 8 प्रतिशत अति पिछड़े को 12 प्रतिशत महिला और अगड़े गरीब को 3-3 प्रतिशत आरक्षण है। पर केन्द्र में एक मुश्त 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण है। 33 वर्षों से सत्ताशीन रहे पिछड़ी जातियों के नेता आरक्षण में सुधार क्यों नहीं लाये।लाते क्यों अति पिछड़े पिछड़ते ही रहे और मलाई खाते रहे यादव,कुर्मी,कुशवाहा। मलाई स्तर सालाना आठ लाख की आय वाले फर्जी सर्टिफिकेट तैयार कर मलाई खा रही हैं।
वर्तमान जातीय गणना में 36 प्रतिशत अतिपिछड़ों व 27 प्रतिशत पिछड़े के आधार पर आर्थिक सर्वे प्रकाशित कर जो भी योजना बने बननी चाहिए।जिसकी जितनी भागीदारी उसको उतनी हिस्सेदारी,पर विकास किसका हुआ है।जब नीतीश कुमार जी की जाति तोड़ो समाज जोड़ो और तेजस्वी कुमार की ए टू जेड की बात हो रही है तो जातीय गणना फिर से जातियों में विभाजन व समाज तोड़ना नहीं है क्या ?सब वोट की राजनीति है।विकास की नीति नहीं।

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जिस किसी ने सनातन,हिन्दू और रामचरित मानस के विरूद्ध बयान दिया है।अगर वह सच्चा है तो यह पोस्ट पढ़ने के बाद अपने अपने घरों से भगवान राम ,कृष्ण,हनुमान सरस्वती,मां दुर्गा की तस्वीर व प्रतिमाएं घर से बाहर निकाले।
2)जिसे रामचरित मानस में जाति/वर्ण व्यवस्था को बढ़ावा देने की बात दिखती है ,वह निषादराज,सबरीमाता,हनुमान,सुग्रीव,जामवंत(जंगली कोल भील)के साथ भगवान राम का चरित क्यों नहीं दिखता।
3)जिसने भी कहा है कि सनातन के प्रारंभ होने का कोई प्रमाण नहीं है ,इसका किसी ग्रंथ से उदाहरण लिये बिना मेरा जवाब है।सूर्य प्रत्यक्ष देव है।जब से सूर्य का अस्तित्व है तभी से सनातन है यानी हिन्दूधर्म।सूर्य की पूजा हर रविवार के साथ छठ में बड़े पैमाने पर इसलिए होता है कि माता सीता रामकाल में और कृष्णपुत्र साम्ब ने महाभारत काल में सूर्य की पूजा किये थे।भगवान राम का वंश ही सूर्यवंश है।
सनातन विरोधी अब समझ में आयी बात।

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भारत मां लाखों मील चली,
चन्दा मामा को राखी बांधी।
भाई से बहना का रिश्ता,
युगों बाद फिर दुहरायी।
भूल गये भाई क्यों मुझको,
सदा याद मैं करती हूं।
तेरा गुणगान सुबह शाम,
लोरी गाकर करती हूं।
बच्चे जब रोते हैं घर में,
उसे चांद दिखलाती हूं।
-"चंदा मामा दूर के,
पूए चकाए गुड़ के,
अपने खाये थाली में,
मुन्ना को दे प्याली में"
यही सुना चुप करती हूं।
भाई तेरा नाम सुनाकर,
फिर खाना खिलाती हूं।
अब तो दूर नहीं मुझसे,
चन्द्रयान-3 जो भेजी हूं,
तेरी खोज खबर लेने,
रोबर को संग लगायी हूं।
अब तो तेरे घर आना जाना,
भारत बहन का लगा रहेगा।
वर्षों का बाकि उपहार,
भाई तुमसे लेना होगा।
मेरे बच्चे बड़े उतावले,
लेने को उपहार बावले।
जब सावन पूनम की रात,
पूर्ण चन्द्र का होगा साथ।
हर घर राखी का त्योहार,
कच्चे धागे से बंधा प्यार।
चंदा तुमसे भी वही प्यार।
*मुक्तेश्वर मुकेश

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