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#नक़ाब खुशी का जाने वो लोग कैसे होते हैं, रोते हुए चेहरे पे नक़ाब खुशी की चढ़ा लेते हैं, हमने हर बार कोशिश की यूं चेहरे पर चेहरा लगाने की, हर बार नाकाम हुए अपने इरादों में, अभी तो जिंदगी की चुनौतियों से ठनी हुइ है, हर रोज टूट रही हूं, हर रोज बिखर रही हूं, तिनका तिनका ख़ुद को हर रोज समेट रही हूं!! दिल पर लगे हैं चोट बहुत गहरे, लम्हों में जी रही हूं, लम्हों में मर रही हूं!! जाने कैसे होते हैं वो लोग, जो रोते हुए चेहरे पे नक़ाब, खुशी की चढ़ा लेते हैं!!
क़िस्मत की भी अजीब सितमजर्फी है, कल तक जिसे ठुकराया था आज उसी ने गले लगाया है!! लेकिन अब उस गले लगाने में, चाहत की खुशबू नहीं, मोहब्बत की छुअन नहीं, नफरतों की चुभन है!! कितनी अजीब बात है न!!
गुजरे वक्त ने सिखाया है कौन अपना है कौन पराया ज़ख्मों को जब भी रिसता हुआ पाया है दोस्तों को खंजर चलाते हुए पाया है गुजरे वक्त ने सिखाया है कौन अपना है कौन पराया है दर्द ए गम में जब भी आंसू बहाया है फक़त माँ पा को साथ खड़े पाया है जब भी जीने की ख्वाहिश में सर उठाया है अपनों को ही खिलाफ ए मुक़ाबिल खड़ा पाया है गुजरे वक्त ने सिखाया है कौन अपना है कौन पराया है ख़ुद की हाथों से जब भी ज़ख्मों को सीया है हर बार जीने का एक नया मज़ा आया है मुहब्बत की आस में जब भी सर उठाया है मद ए मुक़ाबिल नफरतों की दीवार खड़ा पाया है ख़ुद को जब भी समझाया है दिल ए नादान को रोते बिलखते पाया है दिन, महीने, साल गुजरते जा रहे हैं लेकिन लोगों के दिलों में जस के तस नफरतों की दीवार खड़े पाया है गुजरे वक्त ने सिखाया है कौन अपना है कौन पराया है ईंट पत्थर की दीवारों को गिरता हुआ पाया है लेकिन लोगों के दिलों में जस के तस नफरतों की दीवार खड़े पाया है मैंने जब भी खुद को गिरता हुआ देखा है अपने अपनों को ही मुस्कुराता हुआ पाया है गुजरे वक्त ने सिखाया है कौन अपना है कौन पराया है हालांकि, ऐसा नहीं है कि मैंने किसी का दिल दुखाया नहीं है जब भी माफ़ी के लिए हाथ जोड़ा है अपनों को खंजर चलाते हुए पाया है खूं ए जिगर को रिसता हुआ पाया है गुजरे वक्त ने सिखाया है कौन अपना है कौन पराया है अज्ञात अगर किसी को इसके लेखक के बारे में पता हो तो नाम बताएं प्लीज
https://panktiyaan.com/api/share/post?id=a3debf16-a7af-4b98-a1d7-513a56b671c2
https://youtu.be/TzQVBZhNRUM
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It's not that I forget you I often forget to keep the tea water on the stove! it's not that i forget you I often forget my name too! It's not that I forget you I often forget to say hello on the phone! It's not that I forget you Whenever I go out on the streets, I often forget my way home. It's not that I forget you If I worship God, I often forget to pray! It's not that I forget you I often forget to apply kajal in my eyes! It's not that I forget you I often forget to comb my hair It's not that I forget you whenever I leave the house, I forget to turn the way!!
ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें भूल जाती हूँ मैं अक्सर चाय का पानी चूल्हे पर रख कर भूल जाती हूँ! ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें भूल जाती हूँ मैं अक्सर अपना नाम भी भूल जाती हूँ! ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें भूल जाती हूँ मैं अक्सर फ़ोन कर के हैलो कहना भूल जाती हूँ! ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें भूल जाती हूँ जब भी मैं सड़कों पर निकलती हूं, मैं अक्सर घर का रास्ता भूल जाती हूँ। ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें भूल जाती हूँ अगर मैं रब का सज़दा करती हूं, अक्सर दुआएँ करना भूल जाती हूँ! ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें भूल जाती हूँ आँखों में काजल लगाना अक्सर भूल जाती हूँ ! ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें भूल जाती हूँ मैं अक्सर अपने बालों में कंघी करना भूल जाती हूं ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें भूल जाती हूँ मैं जब भी घर से निकलती हूँ, मैं अक्सर रास्ता पलटना भूल जाती हूँ !! Faza Saaz
वो जो लोग हैं कहते हैं हम से, तुम जो ज़ख़्मी हो, तुम्हारे क़दमों से जो लहु बह रहे हैं, ये तुम्हारे सफ़र को अधूरा कर देंगे, तुम्हें हारने पर मज़बूर कर देंगे, ये जो तुम्हारे ज़ख़्म, तुम्हारी चोट, तुम्हारा दर्द है न, तुमसे, तुम्हारे निशाँ छीन लेंगे, क्या वाक़ई में?????
सुनो, हो सके तो कभी, मेरे शहर आना, तुमसे मिलने की जुस्तुजू नहीं, बस तुम्हारे क़दमों के निशाँ पर अपने पैरों को रख-रख के चलना है मुझे, फ़क़त कुछ लम्हों के लिए, और उन लम्हों को समेट लेना है ताउम्र के लिए F. S
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