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जीवन के प्रचंड ताप में तपकर ही मनुज स्वर्ण सा निखरता है पग-पग पर परीक्षा देकर ही व्यक्तित्व संवरता है सुख का अधिकार है उसी व्यक्ति को दुख की कसौटी पर जो स्वयं को कसता है सूर्य -सा जलने का साहस है जिस ह्रदय में नभ में हिमकर बन बस वही उभरता है जमीन से जुड़कर रहना सीख लिया जिसने उन्नति के शिखर पर वही नर ठहरता है..।
फुर्सत निकाल कर रिश्तों को भी वक़्त दीजिये , रिश्ते दौलत के नहीं, अहमियत के मोहताज होते हैं।
लरजते होंठ जो बोल न सके एक अरसे से, धड़कनों के शोर ने एक पल में बयान कर दिया।
#दयालुता "क्रूरता के पत्थर को मोम सा पिघलाती है दयालुता"
अनगिनत इच्छायें मन की कभी सुकून से सोने नही देतीं.. जमाने हो गए मीठी नींद भर सोये हुए चाँद- तारों से गुफ़्तगू अब होती ही नहीं न सुबह की चाय के साथ चिड़ियों से गपशप होती है न ही पेड़-पौधों से बातें होती हैं न बुज़ुर्गों के पास बैठने की वजह है न बच्चों को देने के लिए वक़्त गाड़ी ,बंगला,ऐश-ओ-आराम कमाने के लिए खो दिया है सुकून गिरवी रख दी है ज़िन्दगी रिश्तों की भी कीमत लगा दी और महरूम हो गए हैं छोटी- छोटी खुशियों से....। - मधुमयी अनगिनत इच्छाएँ मन की... #इच्छाएँ #hindikavita #rekhta#hindi poetry #dilkibaaten #shayri#urdushayri#saahitya saadhna Didi#मधुमयी#ज़िन्दगी#माज़ी#instagram Read my thoughts on YourQuote app at https://www.yourquote.in/madhumayi-7tbf/quotes/angint-icchaayen-mn-kii-kbhii-sukuun-se-sone-nhii-detiin-men-blxu1h
आवश्यक नहीं कि मारने से मृत्यु ही हो प्रेयसी अपनी भंगिमाओं से मारती है तो प्रिय अपनी कविताओं से प्रेम घृणा को मारता है और क्रोध विवेक को.... सत्य असत्य को नष्ट करता है तो परिश्रम अकर्मण्यता को संगीत सूनेपन को मारता है तो नृत्य अवसाद को ज्ञान अज्ञान का विनाशक है तो अंधकार प्रकाश का धन निर्धनता को मारता है और सत्कर्म दुर्भाग्य को.. आवश्यक नहीं कि मारना हमेशा नकारात्मक हो होता है कभी-कभी सकारात्मक भी..।
स्त्रियों को कभी समाज नहीं छलता छलती है उसे वो देहरी जिसके लिए वो अपने कदम चौखट के भीतर खींच लेती है वो लक्ष्मण-रेखा ...जो स्वयं उसने अपने लिए खींच ली.. छलते हैं वो रिश्ते..जिन्हें वो प्रेम और विश्वास का खाद-पानी देकर इस उम्मीद में सहेजती है कि जीवन की संध्या- बेला में इनकी छाँव जीवन भर का ताप हर लेगी छलता है वो इकलौता पुरुष जो सप्तपदी का मखौल बना संतुष्ट करता है सिर्फ अपना अहम सारी वर्जनाओं का निर्धारण कर स्त्री के लिए जीता है स्वच्छंद जीवन स्त्रियां इस छलना को नियति मान ढोतीं हैं जीवन-पर्यन्त और नियति को बदलने का प्रयत्न करने वाली स्त्रियों का समाज मे कोई स्थान नहीं होता..... -मधुमयी #स्त्री # स्त्री जीवन#समाज #मधुशाला #मधुमयी #hindipoetry #hindikavita #sahitya #yqquotes Read my thoughts on YourQuote app at https://www.yourquote.in/madhumayi-7tbf/quotes/striyon-ko-kbhii-smaaj-nhiin-chltaa-chltii-hai-use-vo-dehrii-blqj1w
कर्म.... जीवन की गति है ,लय है, सौंदर्य है, प्रवाह है... जो मनुष्य में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है कर्महीनता नाश है.. सौंदर्य का, मनुष्य का ,संसार का, समग्र सृष्टि का...
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