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किनारा कर लिया कुछ रिश्तों से, कुछ नातों से, कुछ अपनों से, कुछ ग़ैरों से, कुछ ख़ुद से कुछ हालातों से, न जाने कितनी बातों से, मन मे सिमटे उन सन्नाटों से, हां....इस जग और इस दुनिया से किनारा कर लिया मैंने!!!!!!! --कार्तिका सिंह
इंसानों से ज़्यादा तो ये हवा दिल की बात सुनती है। लहरा कर, बहका कर, यूँ ही पलकों को झटका कर अपने दिल का भी हाल-ऐ-बयां करती है। विज्ञान को नकार उस यथार्थ की बात करती है। हां...देती है ये पैग़ाम भी, सबसे जुदा होने का, न दिखाई देकर भी सब कुछ वश में करने का, हां....ये हवा ही तो है....जो मुझे मुझमें मिला करती है। सब के होने पर भी होते अकेलेपन को भरती है, ये हवा आजकल मुझसे बातें करती हैं। --कार्तिका सिंह
Life doesn't need a Meaning .... It is a meaning in itself!!! You don't need to thrive or strike, just start living this phenomenon!! it's not a purpose to be fulfilled.. It Is a Life....... --Kartika Singh #Meaning
Sometimes being meaningless is the true meaning of life.... --Kartika Singh #Meaning
I don't like noise I font like silence I don't like talks I don't like posts I may or may not like you but eventually and hopefully..... I'm a huge fan of Myself!!! and will ever be........... --Kartika Singh #Myself
ख़ुद को पढ़ती हूँ.... अक्सर, ये मज़ा किसी और किताब में नहीं!!!
आज खुद से नासाज़ खड़ा हैं, जो कभी गुरूर में घूमता था। आज खुद में क़ैद हैं, परिंदों की पालने की चाहत रखने वाला। कितना मग़रूर और मकरूर है, जो हर जगह नफ़ा ढूढ़ता था। आज खुद को लुटाये खड़ा हैं, परिंदों के परों को काटने वाला। किस कद्र बेहिज़ और बेहया है, जो जामवंत और गरुड़ को पूजता था। आज अपनी ही तरक्की में डूब गया हैं, परिंदों की मिसालें देने वाला। किस तरह की ये रुसवाई और बेवफ़ा है, जो पक्षियों से खतों को पहुंचाता था। आज हिमाक़त के नशे में चूर, मर गया हैं, परिंदों की कहानियाँ सुन आगे बढ़ने वाला। कुदरत का ही हिस्सा खुद है, जो खुद को विश्व विजयी बताता था। आज अपनी खाक़ में पड़ा हैं, परिंदों की कुदरत को कुचलने वाला। --कार्तिका सिंह
अमन की बातें लेकर देश भर में घूमें अमन के कारवां को समर्पित जब यह कारवां लुधियाना में आया था- --कार्तिका सिंह खतरे में अमन है हम सब को अब आगे आना ही होगा। गफलत की नींद जो सोए हैं-- उनको भी जगाना ही होगा। खतरे में अमन है... हम सब को अब आगे आना ही होगा। खतरे में अमन है........ हर गली गली में खतरा है। हर कदम कदम पर खतरा है हर मोड़ पे कोई खतरा है! हर कोने में कोई खतरा है- आवाज़ लगाना ही होगा। खतरे में अमन है हम सब को अब आगे आना ही होगा। खतरे में अमन है........ इंसान की कीमत कुछ भी नहीं। कीमत है व्यर्थ रिवाजों की। भगवान को सोना चढ़ता है कीमत बढ़ती है अनाजों की। इंसान की जान बचाने को अब इन्कलाब लाना होगा। खतरे में अमन है हम सब को अब आगे आना ही होगा। खतरे में अमन है........ यहाँ देवी पूजी जाती है पर कन्या मारी जाती है। न बच्ची यहाँ सुरक्षित है न बूढी यहाँ सुरक्षित है। हर मोड़ पे लुटती नारी को हम सब को बचाना ही होगा। खतरे में अमन है हम सब को अब आगे आना ही होगा। खतरे में अमन है........ जब छिड़ी थी जंग आज़ादी की; तब हमीं मैदान में आए थे। हम झूल रहे थे फांसी पर, यह माफ़ी मांग के आये थे, इन रंग बदलते चेहरों का हर रंग दिखाना ही होगा। खतरे में अमन है, हम सब को अब आगे आना ही होगा, हम सब को अब आगे आना ही होगा। -- Kartika Singh
मिलती हैं जो ठोकरे राह-ऐ-ज़िन्दगी में, कभी कभी उन्हें खा कर रुक जाना ही बेहतर हैं, न जाने रचयिता का, किस ओर मुड़ने का ईशारा हो........ -----कार्तिका सिंह
#Kavyoutsav , #Shayari पहली नवम्बर को पंजाब दिवस पर विशेष काव्य रचना अपना पंजाब अब पंजाब कहां रह गया! ---कार्तिका सिंह अपना पंजाब अब पंजाब कहां रह गया! साज़िशों की बाढ़ में पंजाब सारा बह गया। कहीं है हिमाचल, कहीं हरियाणा रह गया; अपना पंजाब अब पंजाब कहां रह गया। खेत मिट रहे हैं-खतरे में बाग़ है। मक्की की रोटी कहां सरसों का साग है? भेलपूरी छा गयी है; बर्गर पीज़ा रह गया! अपना पंजाब अब पंजाब कहां रह गया। ख़ुदकुशी की खबरें हैं, जुर्मों का राज है। ठेके हैं शराब के बस नशे का ही राज है! कहीं लाल परी, कहीं चिट्टा पाउडर रह गया। अपना पंजाब अब पंजाब कहां रह गया। कौन देखे आ के जो पंजाब बना आज है! रोज़ आती खबरों में लापता सी लाज है! सत्ता का यह ताज भी मज़ाक बन के रह गया! अपना पंजाब अब पंजाब कहां रह गया। लूट गया पंजाब बचा क्या जनाब रह गया? पानी और खेतों का हिसाब कहाँ रह गया? प्रेम की निशानी वो चनाब कहाँ रह गया! अपना पंजाब अब पंजाब कहाँ रह गया? --कार्तिका सिंह (शुक्रवार 12अक्टूबर 2018 को रात्रि 11:27 बजे)
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