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स्मरण् रखे यदि हम गुस्सा करते हैं तो, किसी ओर की नहीं बल्की हमारी ही नुकसान होती है । ये बात भगवत गीता में भी कहा गया है । इसलिए सदेव अपनी गुस्से पर काबु रखे और सान्ती से बिचार करे । -Kalpana Sahoo
हमेशा गलत बोलनेबाला लोग ही गलत हो यैसा तो नहीं हो सकता है ना.....क्युंकी कभी-कभी गलत बोलनेबाला लोग भी कुछ सही बोल देती है । पर हम हमेशा गलत सुनने की चक्कर में उसे ध्यान ही नहीं देते है । इसलिए कभी किसी भी बात को नजर अन्दाज् मत किजीये। सबकी बात को सुनीये और आपको जो सही लगे वो किजीये । -Kalpana Sahoo
लकीरों में लिखा होता है भाग्य, पर भाग्य से क्या हासील् होती हैं यारों ? -Kalpana Sahoo
आज भी चान्दं गम में है, पर सुरज कितना खिलता है, किरणो के चाहत रखके दिल में सिफ् मुहँसे ना बोलता है । काहाँ तकलीफ होती है दुसरो से, अपने तो यहां ज्यादा चुबते है । -Kalpana Sahoo
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ना रख जिने की चाहत, ना रख पाने की खुसी । ये दुनियां तेरी नहीं है, नाही इस दुनियां में रेहनेवाले तेरे हैं । -Kalpana Sahoo
दिल तेरा टुटे तो दर्द मुझे होती है, निदं तेरा छुटे तो आहट मेरी होती है । तब भी तु ना समझ ये मेरा प्यार, कैसे तुझे समझाऊं में ? -Kalpana Sahoo
हम वो नहीं है जो तुम समझते हो, हम वो है जो हम भी नहीं जानते हैं । कसम खुदा की तुम हमारी जुनुन् हो, बरना हम भी तुम्हे पाना नहीं चाहते हैं । जीद् हो तुम मेरी, जीद् हो तुम मेरी, प्यार है ये मत समझना, हम अजनबीयों का भी खेयाल रखते हैं ये भुल मत जाना । कभी बक्त मिले तो हमारी गली जरूर आना, हम दिखायेगें तुमको वो दर्द सपनो का टुट जाना । आवाज नहीं आती है पर येहेसास् होती है, हम इनसान में ही खुस है तुम्हारे तरहा पथर नहीं बनना है । दिल टुटती है तो बिखरने दो शो टुकडाे में, मगर हात मत लगाना हमारी दामन में । कपडे में छेद होगी सायद दिल बिलकुल साफ है, मुसकुराहट छिनी बेबफा करदीया उसको माफ है । क्या लगाके रखना ये रोज का खेल ही तो है, आज हम है कल कोई ओर की बारी है । साला ये कैसा तैयारी है.......? -Kalpana Sahoo
ना अब तेरा आने की खुसी, ना तेरा जाने का गम, एक प्यार ही तो था जो हो गेयी कम । क्या फरक् पडता है कोन किसको छोडा, क्या फरक् पडता है कोन किसको छोडा.....दिल तो सब तोडते हैं तु कोनसा जोडा ? आखीर तु वही नीकला जो सबने बताये थे, कसम तुम्हारा हम ही पागल थे । आदत सी हो गेया था तु मेरा, वैसे सुक्रिया तो यादा करूं जी तेरा । तुने ही दिखाया मुझे तेरा रगं, बरना काहाँ पता चलता उढलिया था जो अच्छे होने का ढगं । आज तुझे खोनेसे नहीं डरती हुं, नाही मेरी आखें नम हुये तेरे जानेसे......बास् भुल क्या थी ये जानना चाहती हुं तुमसे ? मेरी सबालों का जबाब देना चाहोगे क्या ?
अपना कभी साथ नहीं छोडते हैं, अगर कहीं अपनो का हात छुट गया तो समझलेना वो कभी तुम्हारा अपना नहीं था । वो तो सीफ् दिखाबे का मोखोटा पेहना हुआ था । -Kalpana Sahoo
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