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चाहा इस कदर अपने प्यार को, की उसकी खुशी के लिए दूरियां भी हमनें स्वीकार की। -Jyoti Kumari
शीर्षक - विश्व गुरू भारत। गुरुओं का है ये देश निराला, विश्व गुरु है भारत देश हमारा। इस भूमि के कण कण में है, गुरुओं का ही बोल बाल। इतिहास के पन्नों पर दर्ज क्षत्रियों का, गुरुओं ने ही भविष्य सवारा। गुरुओं का है ये देश निराला, विश्व गुरु है भारत देश हमारा। आधुनिक युग में आधुनिकता को, गुरुओं ने ही सवारा है। सफलता के शिखर पर चलते समय, रहे हो वेशक पीछे खड़े, किन्तु हर कोशिश को प्रथम बार में, मुमकिन करके दिखाया है। गुरुओं का है ये देश निराला, विश्व गुरु है भारत देश हमारा। इस भूमि के गुरुओं के, होते अनेकों रूप है। एक राही जो राह भटका अपना, उस राही का बन गुरु राही ही राह दिखा जाता। गुरुओं का है ये देश निराला, विश्व गुरू है भारत देश हमारा। यह कभी जो भूले भटके शिष्य भी, तो उनका भी गुरु ही है एक सहारा। गुरुओं की सीख से ही, सवारा है जीवन सारा। (ज्योति कुमारी)
जिसकी सलामति की दुआ की हर मन्नत में, क्यों मुख मोड़ लिया उसी ने जा के जन्नत में। -Jyoti Kumari
रिश्तों की कश-मश्क में एक तुही थीं दिशा मेरी माँ,अब बीच भवर में फसी हुई हूं न सूझे किनारा कोई, तू ही बात मैं जाऊ किस ओर अब माँ, हर तरफ हैं रिश्तों की डोर। -Jyoti Kumari
गया था अभी ही, सबको तीन महीने कैद में रख कर, वह फिर लौट कर आ गया, अब क्या होगा दिल्ली वालों कोरोना फिर से आया है। -Jyoti Kumari
कुछ खुशियों के पल ढूढ़ने का, त्यौहारो का बहाना है, अपनो से मिलने का ये तो वक़्त सुहाना हैं। -Jyoti Kumari
दुनिया की एक रिवाज को ,जो जन्मों से निभाया है,आज उसे खत्म करना का दिन आया है। बये बये पटके। -Jyoti Kumari
लिखते तो सभी है कविताएं, कोई खुद पे लिख के बताएं ? लिखते तो सभी है कविताएं दूसरे के दुखों को महसूस करके, कोई खुद का दुख बताएं ? लिखते तो सभी है कविताएं, हर किसी के खुशी के पलों पे, कोई खुद की खुशी बया करके बताएं ? लिखते तो सभी है कविताएं, हर घटना पे, फिर चाहे वह बता हो, किसी प्रथा की, या फिर शोषित महिला की, या फिर हो बता भारत-पाक लड़ाई की। कोई खुद की घटना को बयां करके बताएं ? ऐसे तो लिख लेते हैं हम भी पर जब बता खुद पे आ जाएं, तो समझ नहीं आता, वहा शब्द कहा से लाएं, जो कर सके, हमारे जीवन के पलों को बयां। (जिन - जिन कवियों ने यहा कर दिखाया, वह कवि महाकवि कहलाए।) (ज्योति कुमारी)
कहते हैं कर्म करो , फल की इच्छा मत करो, पर किसी भी कर्म से पहले , उद्देश्य को देखो, उद्देश्य नेक होगा तो फल भी अवश्य उत्तम होगा। -Jyoti Kumari
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