Quotes by Gyan Prakash Peeyush in Bitesapp read free

Gyan Prakash Peeyush

Gyan Prakash Peeyush

@gyanprakashpeeyush8005
(15)

लघुकविताएँ

ज्ञानप्रकाश पीयूष

1.संवादों की दुनिया में

संवादों से बेहतर है
मौन की भाषा
जो बिना कुछ बोले
असर करती है
मगर चुप्पी भी
लोगों को
बेवजह खलती है
लंबी चुप्पी
नुकसानदेह होती है
संवादों की दुनिया में।
*
2, सबमें है उसी का उजास

अग्नि में तेज
चांद-तारों में चमक
सूर्य में दिव्य आभा
सब में है
उसी का उजास
होता है मुझे
हरपल आभास।
*

3. बालक लघुकविता-सा

बालक है
लघुकविता-सा
भाषा सरल
जिज्ञासा विरल
भावना प्रधान
संवेदना की खान
कल्पना अद्भुत
बिम्ब महान।
*
4. प्रगतिवादी कदम

विकास की यात्रा में
लघुकविता
है प्रगतिवादी कदम
लघु आकार
शिल्प नवीन
शैली प्रवीण
अभिव्यक्ति प्रखर
मारक अंत।
*
5. फ़र्ज

घोर तिमिर था
दिया मैंने जलाया
फ़र्ज अपना निभाया
जर्रा-जर्रा रोशन
घर-आंगन में रौनक
सबके मन को भाया।
*
6. प्रेम बहता है आत्मा में

प्रेम
जीवन का
सार है
मन का
निखार है
जगमगाता
सच्चे मोती-सा
बासी कभी न होता
रहता हमेशा ताजा
फूल की मानिंद
खुशबू देता
आत्मा में
अविरत बहता।
*
7. प्रेम अमृत घोलता

प्रेम
अमृत घोलता
जीवन में,
गिराता
नफ़रत की दीवार,
महकाता सृष्टि को
चन्दन-सा
दिलों को जोड़ता
बढ़ाता
परस्पर प्यार।
*
8.आस्था

दीपक की लौ-सी
होती है आस्था
तम से बाहर
निकलने का
दिखाती है रास्ता
निराशा से नहीं
उसका कोई वास्ता।
*
9.अनुभव के मोती

जीवन की
सीपी में
अनुभव के मोती
पलते
जग को जगमग करते
भटकों को राह दिखाते
मंजिल तक ले जाते।
*
10. जीवन है अमूल्य

जीवन है अमूल्य
आबदार मोती
सदुपयोग इसका कीजिए
जलकर दीपक-सा
रोशन परिवेश को कीजिए
ख़ुद पहले मुस्कराइए
फिर औरों को मुस्कराने की
वजह दीजिए।
*
11.सत्य की साक्षी में

सत्य की साक्षी में
जीया है सतत जीवन
पवित्र अनुष्ठान की मानिंद
निराशा को नकारते हुए
आशा की आत्म-गंगा में
डुबकी लगाते हुए
समता और सद्भाव के
दीप जलाते हुए।
*
12. अभिनय

अभिनय है
एक जीवंत अभिव्यक्ति
अपने व्यक्तित्व को
प्रकट करने की,
अंदर के सत्य को
बाहर प्रकट करने की,
है ईमानदार कौशिश
एक धारदार प्रयास,
अपने विश्वास का है
सच्चा अहसास।
*
13. ज़िन्दगी चित्रशाला-सी

ज़िन्दगी है
अभिनय की
चित्रशाला-सी,
छाए रहते हैं इसमें
इंद्रधनुषी विविध रंग
जो उकेरते हैं
कलाकारों की
सफलता-असफलता की
जीवंत कहानी।
*
14.प्रतिस्पर्धा

वैसे तो यह भली है
पर ईर्ष्या की अग्नि से
जली है,
हर वक्त रहती है यह
किसी न किसी
उधेड़बुन में,
पर मेहनत के आँगन में
पली है
प्रतिस्पर्धा है नाम इसका
सोने की-सी डली है।
*
15. उजाले की किरण"

अंधेरे में भी होती है
उजाले की किरण
पर दिखाई देती नहीं
नकारात्मक सोच
रखने वालों को
देती है दिखाई
आशावादी लोगों को
जिनकी दृष्टि में
समाया रहता है
सदा लोकहित का भाव।
*

16.खिलेंगे कैसे गुलाबी फूल

खिलेंगे कैसे
गुलाबी फूल
रिश्तों में
यदि चुभाते रहे
हम उन्हें शूल
और गिनते रहे
उनकी भूल,
तोहफ़ा प्रेम का
कभी दिया नहीं
अच्छा व्यवहार
भूल कर भी किया नहीं
आँखें ही दिखाते रहे।
अधिकार ही जताते रहे।
*
पूरा पता
ज्ञानप्रकाश 'पीयूष' आर.ई.एस.
पूर्व प्रिंसिपल,
1/258, मस्जिद वाली गली,
तेलियान मोहल्ला,नजदीक सदर बाजार सिरसा-125055(हरि.) संपर्क--094145-37902,070155-43276
ईमेल-gppeeyush@gmail.com
22.05.22.

Read More

#घोंसला
घोंसला पखेरुओं का,है सुरक्षित आवास।
निश्चिंत हो कर वे,करते हैं उसमें निवास।
तिनका-तिनका जोड़ कर, बनाते हैं सुंदर
बड़े परिश्रम से आशियाना अपना ख़ास।।

Read More

#पतंग
मन पतंग सम उड़ता
कल्पना के आकाश में
इठलाता, कलाबाजियां खाता
गोते लगता रोज, उतर आता
यथार्थ की जमीन पर
मन बड़ा चंचल रोके ना रुके
बुद्धि की लगाम लगता
तब कहीं काबू में आता
फिर वही पतंग-सम उड़ान भरता
कल्पना के अनन्त आकाश में।

Read More

(मातृ दिवस पर)


1.
घर में जब माँ है होती
सब कुछ ठीक-ठाक रहता
बालक निश्चिंत होकर खेलता
खाता-पीता-मचलता
और सोता ।
जवान होश में रहता
मर्यादा का पालन करता ।
वृद्ध मार्गदर्शक होता
रास्ता नहीं कोई भटकता
घर आशीर्वाद से है भरा रहता।

*
2.
माँ नहीं कभी अकेली होती
हरदम ममता से भरी रहती
प्रेम-व्यंजनों से पूर्ण उसकी रसोई
वात्सल्य से गोद भरी होती।
घर-आँगन गूँजता खुशियों से
महकता अपनत्व की खुशबू से
भजन-कीर्तन नित्य होता,
भोग ठाकुर जी के लड्डुओं का लगता
बिस्तर रहता आनन्दित हमेशा
लोरियों से चहकता।
*
ज्ञानप्रकाश 'पीयूष' आर.ई.एस.
पूर्व प्रिंसिपल,
1/258 मस्जिदवाली गली
तेलियान मोहल्ला,
सदर बाजार के समीप,सिरसा (हरि.)
पिनकोड-125055.
मो. 94145 -37902 ,70155-43276
ईमेल-gppeeyush@gmail.com

Read More

सुरक्षा कवच'

ज्ञानप्रकाश 'पीयूष'

मोहल्ले के सफाई कर्मी बासु ने सुबह आठ बजे कचरे की
खाली ट्राली को निर्धारित स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया
और स्वयं सड़क की सफाई करने लगा। उसके चेहरे पर काले रंग का मास्क लगा हुआ था और हाथों में मोमजामे के
दस्ताने चढ़े हुए थे।
दस्तानों को देखकर उसकी स्मृति ताजा हो गई । आज वह घर से बाहर निकलते समय जल्दी-जल्दी में अपने मुँह पर मास्क लगाना भूल गया था। दस -एक कदम ही आगे बढ़ा था कि उसकी दस वर्षीय बेटी श्यामा पापा-पापा पुकारते हुए उसके पास आई और मास्क व ग्लोव्ज उसके हाथ में देते हुए मुस्कुरा कर बोली , " ये लो पापा, आपके सुरक्षा कवच।इन्हें धारण करो।फिर निश्चिंत हो कर अपना कर्म करो। जन -सेवा करो।दुष्ट कोरोना आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। परन्तु मैं महसूस कर रही हूँ कि आजकल आप बड़े भुलक्कड़ होते जा रहे हैं।" शिकायत भरे अंदाज में उसने मिठास से कहा था।
उसकी बात का आशय समझते हुए बासु ने भी प्यार से कहा ,
"हाँ मेरी एक समझदार बिटिया जिसका नाम श्यामा है मेरा ध्यान जो रखने लगी है। "
"नहीं पापा,मेरी बात को यों मज़ाक में मत उड़ाओ। यह जीवन और मरण का सवाल है ।कोरोना बहुत भयंकर वायरस है। इसे हलके में नहीं लेना चाहिए।अपनी सुरक्षा का पूर्ण ध्यान रखना
चाहिए। "
"सॉरी बिटिया, आगे से मैं पूरा ध्यान रखूँगा। तुझे शिकायत का बिल्कुल भी मौका नहीं दूँगा। यह कहकर उसने अपने मुँह पर मास्क और हाथों में दस्ताने चढ़ा लिए थे। और ड्यूटी पर जाते हुए फिर उसने बड़ी आत्मीयता से कहा था, "बिटिया निश्चिंत हो कर अब तुम घर जाओ। मैं लोगों से निश्चित दूरी भी बनाए रखूँगा। निश्चित दूरी की बात ख्याल में आते ही वह मानो सोते से जगा,देखा वह मोहल्ले में अपनी ड्यूटी पर तैनात था।
*
ज्ञानप्रकाश 'पीयूष' आर.ई.एस.
पूर्व प्रिंसिपल,
1/258 मस्जिदवाली गली
तेलियान मोहल्ला,
सदर बाजार के समीप,सिरसा (हरि.)
पिनकोड-125055.
मो. 94145 -37902 ,70155-43276
ईमेल-gppeeyush@gmail.com

Read More

#महसूस
उपस्थित प्रत्येक पल को महसूस हर कोई करता है,मगर अभिव्यक्त कोई बिरला ही कर पाता है।

#महसूस

अपने दर्द को मैंने महसूस किया
पर भूल कर भी प्रकट नहीं किया
वह मेरा अपना था,सोच कर
उसे सार्वजनिक नहीं किया।।

Read More

लघुकथा

' जान है तो जहान है '

ज्ञानप्रकाश 'पीयूष'

दादी ने अपनी पोती रितु से पूछा ,
"बेटी! कई दिनों से मैं देख रही हूं, तू दिन में कई-कई बार साबुन से मलमल का बहुत देर तक हाथ होती है।
मुंह पर मास्क भी लगाए रखती है। किसी का स्पर्श भी नहीं करती, दूर से ही हाथ जोड़कर प्रणाम कर लेती है।
बेटी, क्या बात है, मुझे बता।"
"दादी अम्मा, मैं ही क्या, आपने देखा होगा ,पापा ,भैया, मम्मा सभी साबुन व सेनेटाइजर से कम से कम बीस सेकंड तक
अच्छे से हाथ साफ करते हैं। आप भी अच्छी तरह से हाथ धो कर साफ-सफाई से रहा करो दादी अम्मा।"
"हां बेटी , तू ठीक कहती है । तेरे पापा बहुत दिनों से ऑफिस नहीं जा रहे । कहते हैं कोरोना वायरस फैला है। यह छूत की बीमारी है। संपर्क में आने से फैलती है ।पूरे देश में लॉक-डाउन लगा रखा है। किसी को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। बहुत जरूरी काम हो तो मास्क लगाकर बाहर निकलना चाहिए, भीड़ -भाड़ से बचना चाहिए।"
"हाँ, बेटी! तेरी बात बिल्कुल सही है। मैं भी अच्छे से हाथ धोया करूंगी। पूरी सावधानी से नियमों का पालन करूंगी।
जान है तो जहान है और सावधानी में ही सावधानी है।
*

ज्ञानप्रकाश 'पीयूष' आर.ई.एस.
पूर्व प्रिंसिपल,
1/258 मस्जिदवाली गली
तेलियान मोहल्ला,
सदर बाजार के समीप,सिरसा (हरि.)
पिनकोड-125055.
मो. 94145 -37902 ,70155-43276
ईमेल-gppeeyush@gmail.com

Read More

#संबंधित
जीवन से सम्बन्धित मसले ,
नज़रअंदाज़ नहीं किए जाते।
स्वावलम्बन की सीढ़ी पर ,
चढ़ कर तय किए जाते।।

ज्ञानप्रकाश 'पीयूष'
सिरसा,हरियाणा।
94145-37902

Read More

#संबंधित
जीवन से सम्बन्धित मसले ,
नज़रअंदाज़ नहीं किए जाते।
स्वावलम्बन की सीढ़ी पर ,
चढ़ कर तय किए जाते।।

ज्ञानप्रकाश 'पीयूष'
सिरसा,हरियाणा।
94145-37902

Read More