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बेगानी महफिल में एक नादान सा ख्वाब लिए हम तो ऐसे ही गुमसुम रहते है दिल में खुमार लिए किसी ने पूछ दिया आज कल कहा होते हो हमने बोला अपनी एक दुनिया सजा कर ,हम भी ख्वाब पिरोते है आंखों में खुमारी लिए किसी का इंतजार करते है कभी वो सुबह में तो कभी ढलती शाम में साथ रहते है हम यूंही हर बात में -Hari Virah Yogi
मेरी कहानी भी अजीब है ना जाने क्यों ये दिल जिदी है तूफान समेट लूं,सागर को मुट्ठी में भर लूं अविरल जल सा बहता हु हर लम्हा अग्नि सा जलता हु ज्वालमुखी सा दहकता हु तेरे पहलू में आके सुकून पाता हु ना करू फिकर कल की सच करने सपने बेधड़क चलता हु कुछ तो है तुझ से मेरा वास्ता यूंही नही तेरी आंखों में खुद को ढूंढता हु तेरे पहलू में आके सुकून पाता हु -Hari Virah Yogi
कुछ कहना चाहती है ये आंखे बात अधूरी रह जाती है हर बार मेरी पहचान में छुपी तेरी पहचान फिर क्यों दूरी रह जाती हर बार एक तू ही तो है मेरे दिल का सुकून फिर क्यों सुनी रह जाती ये गलियां हर बार बना ले तू बसेरा मेरी रूह में ना रहेगी कोई दूरी ना हो कोई बात अधूरी हर लम्हा तुझे देखू तेरी आंखों के बोल सुनूं पहचान एक हो मेरा मकाम तेरी खुशियां का पैगाम हो -Hari Virah Yogi
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