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Shrikar Dixit

Shrikar Dixit Matrubharti Verified

@ershrikardixit9152
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मैं खुशियां बार कर बैठा हूं, हां सब कुछ हारकर बैठा हूं,मेरी जद्दोजहद बस खुद से है, मैं सफलता के शिकार पर बैठा हूं।

-Shrikar Dixit

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बर्बाद दुनिया को भी आबाद सोचता है,हर शख़्स अपनी मोहब्बत को चांद सोचता है।

-Shrikar Dixit

मोहब्बत तबाही की गवाही देती है,हर सकूं को छीन कर हर खुशी से रिहाई देती है,दर्द रहता है राहत मगर क्यूं लगता है,ना जीने देती है ये ना जिंदगी से विदाई देती है।

-Shrikar Dixit

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शिकायत तुमसे क्या करें,दर्द को हमने ही गले लगाया था,जिंदगी दूर खड़ी देख रही थी मुझको,मौत के पास मैं ख़ुद ही चलके आया था।

-Shrikar Dixit

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लोग कहते हैं चाय से मोहब्बत क्यूं, क्यूंकि ये बचपन से ही वफादार रही है,और जब दिमाग खराब हो तो सुकून देने का काम करती है।

-Shrikar Dixit

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बड़ा महंगा हो चुका है इश्क़,प्यार की कीमत पर बिकता नहीं है,और इतना सस्ता हो चुका है कि पैसों से कोई भी खरीद सकता है।

-Shrikar Dixit

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बचाता रहा जिस नज़र को हर नज़र से मैं,वो नज़र फिर मुझे ही नज़रअंदाज़ करने लगी।

-Shrikar Dixit

सोचता था कि आखिर एक शख़्स कैसे बदलता है,उसने एहसास दिया देखो ऐसे बदलता है,लोग लिबास बदलते होंगे पुराने होने पे,वो शख्स यार कुछ खास बदलता है।

-Shrikar Dixit

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कि ऐसे बदलेगी मेरी तू नज़र देखेगा,तुझे खोने के बाद तू मेरा सब्र देखेगा,मैं जलकर खाक हो जाऊंगा मगर झुकूंगा नहीं,मेरी सादगी देखी है तूने अब तू मेरी अकड़ देखेगा।

-Shrikar Dixit

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चंद लफ्ज़ों में सिमट जाती है जिंदगी,सारी दुनियां की कहानियां लिखी रह जाती हैं,हादसे इस क़दर उजाड़ते हैं घरों की रौनकों को,सारी दौलत धरी की धरी रह जाती है।

-Shrikar Dixit

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