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हथिनी थी पर माँ भी थी, कितना रोई होगी उस भूल पर। कर बैठी जो मानव पर भरोसा कर सोचा तो होगा ही, न करती तो जीवन और होता उसका बच्चा भी कल जीवित होता मीनाक्षी डबास
अकारण होता है प्रेम, कारण से तो सौदा होता है मीनाक्षी डबास 'मन'
पढ़ते हो कितना कुछ, क्या कभी खुद को पढ़ा है? ज्ञान बटोरा बहुत कुछ, क्या कभी खुद को भी जाना है? मीनाक्षी डबास
समझदारों की भीड़ में नासमझ ही भले हम, कोई तो हो आखिर दुनिया में भीड़ से परे। 'मीनाक्षी डबास'
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कुछ बात तो थी उनमें कि छूट कर भी छूटे नहीं।
#खुद कर भरोसा खुद पर, सहारों की न तलाश कर। हर बार ठगा जाएगा, भरोसे रहेगा जब किसी के।
प्रेम प्रकृति का सबसे अमूल्य उपहार है।
#भाग्य कर भरोसा खुद पर, हाथों को अपने शस्त्र बना। जीवन धारा के असीम पथ पर, पद चिह्न मेहनत के छोड़ता जा। जाग उठेंगी चहुँ दिशाएँ, तू मनोबल से आगे बढ़ता जा। मुश्किलें होगीं पथ में हज़ार, भाग्य का न तू, बिगुल बजा। धैर्य होगा तेरा आभूषण, भाग्य को सुंदर बनाता जा। मत सोच के आगे क्या होगा, जो है तू उसको गढ़ता जा। होगा समक्ष भाग्य विशाल, करनी से जो तू रचता था।
#प्रकाश बाहर क्यों ढूँढे रे प्रकाश, तुझ में ही जो विराजमान। हटा अँधेरों की फैली चादर, मिटा निराशाओं के बादल। हाथ उम्मीदों की धर मशाल, झाँक अन्तरतर सागर पार। मार्ग भटके अगर जो तू, सोच विचार बढ़ आगे जा। कर्मठता बल से पा जाएगा, प्रकाश जो बाहर ढूँढ रहा। रोशन होगा, ये मन तेरा, जग को भी देगा उजियारा।
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