The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
● फ़िर वहीं तुम औऱ दूरियां..! कुछ शिकायतें हैं कुछ अर्जियां कुछ राहतें मन-मर्ज़िया कुछ मुलाकातें-मजबूरियां फ़िर वहीं तुम औऱ दूरियां..! कुछ चाहतें हैं कुछ ज़ुर्रिया कुछ वहीं तारीख़-ए-सुर्खियां कुछ आदतें-समझदारिया फ़िर वहीं तुम औऱ दूरियां..! कुछ सताते हैं कुछ मनाते और कुछ ज़ाम जैसी यारियां कुछ राहतें थी हम-दरमियाँ फ़िर वहीं तुम औऱ दूरियां..! कुछ समजोते हैं कुछ तैयारियां ज़िंदगी-ब-जिम्मेदारियां कुछ रोते-रिश्तेदारियां हम फ़िर वहीं तुम औऱ दूरियां..! कुछ चीख़ते हैं कुछ शायरियां औऱ ग़ज़लोमे गेहराइयां कुछ लिखतें बज़्म "काफ़िया" फ़िर वहीं तुम औऱ दूरियां..! #TheUntoldकाफ़िया instagram @kafiiya_
●हाजत-रवा ए मेरी इश्क़-ए-आलम मोहब्बत-ए-हाज़त-रवा कुछ न कर सके तो मरहम कर मुझे ग्यारह-दवा..। तू ग़ैर कर या ख़ैर कर मुझे राहतों की दे हवा रिहा-ओ-ख़ाक हों गया तुं याद कर मुझे कर जवाँ..। सितमगर ज़रा सोचले मिट-मर जाऊं ये कर दुवा हों कहीं शाम औऱ रातभर आंखों से तु अश्कों गवाँ..। हैं ज़ायका मिला मुझे फ़िकर तेरी फ़ुरकत-ए-तवा तू बना फ़िरसे हैं फ़रेब मुझे आम भी अब हैं कवा..। क्यूँ मुद्दतों पे मिला नहीं वॉदा किया फ़िर रु-सवा थी महफ़िलें और "काफ़िया" मोहब्बत-ए-हाज़त-रवा..। #TheUntoldकाफ़िया Instagram @kafiiya_
●सुकून जिस क़सक-ए-दिल में रफ़ुन बहोत हैं.., हमे दरमियाँ बारिश-ए-सुकूँ भी बहोत हैं..। शिकस्त-ब-परेशानियां तो लाखों हैं ज़िंदगी में मग़रूर हैं पर मुसलसल हम में जुनूँ भी बहोत हैं..। राहतें साँस की तरहा बरत रहीं हैं तो क्या..?! कलाम आवाज़ बनी हैं-हम गुमसुम भी बहोत हैं..। हर सहर-ओ-सुबहा तलक़ नीँद आंखों में नहीं सुनों मेरी तन्हा रातों का तुम पर इल्ज़ाम भी बहोत हैं..। "अलराज़" औऱ "सराहत" के साथ "काफ़िया" लिखता हूँ दुनियां वालों इक ग़ज़ल में बहता "खूं" भी बहोत हैं..। #TheUntoldकाफ़िया instagram @kafiiya_
●एक तरफ़ा एक तरफ़ हैं जिम्मेदारी - पर्दादारी एक तरफ़..! एक तरफ़ हैं रिश्तेदारी - दोस्तों की यारी एक तरफ़..। एक तरफ़ मजबूरियां सारी - आँखें भारी एक तरफ़..! एक तरफ़ हैं दुनियादारी औऱ समज़दारी एक तरफ़..। एक तरफ़ हैं घर से दूरी - घर खिड़की-बारी एक तरफ़..! एक तरफ़ की इन्तेज़ारी - मोह्ब्बत तुम्हारी एक तरफ़..। एक तरफ़ सफ़र अधूरी - समझौते-तैयारी एक तरफ़..! एक तरफ़ की आख़रीबारी - नाव मझधारी एक तरफ़..। एक तरफ़ ये शे'र-ओ-शायरी - तुमपे लिखी डायरी एक तरफ़..! एक तरफ़ इश्क़-ए-चिनगारी - "काफ़िया" बिखरीं ज़िंदगी एक तरफ़..। #TheUntoldकाफ़िया Instagram @kafiiya_
●સાંભળ્યું જો તને સંભળાય દિલ.., તો પ્રેમ લખું છું.., તું થોડામાં સમજી જાય તો 'હેમખેમ' લખું છું..| જાજી આ વ્હાલપ ની વાદળી વરસી ગઈ કેમ આ આંસુને મેં વરસાદ કહ્યું 'એમ' લખું છું..| પવને મીટ માંડી છે દૂર આકાશે છલકાઈ ને કે આ તારો જોતજોતામાં તૂટ્યો 'કેમ' લખું છું..| આમ તો આ લાગણીઓ મારી આસપાસમાં રહે છે બે ઘડી જીવ ને થયેલા એ પ્રેમ નો 'વ્હેમ' લખું છું..| ને હવે મુરજાઈને મસ્ત રહું છું કાગળિયાના ડુચ્ચામાં કોઈ આવીને કહે છે "કાફિયા" કે હું 'જેમતેમ' લખું છું..| #TheUntoldકાફિયા instagram @kafiiya_
●कहानी यूँ कहुँ तो जिंदगी अधूरी भी नहीं और तुम तो समजदार हों मेरी ग़ज़ले पूरी भी नहीं.., मोहब्बत में चाहें कितने भी फांसले हों मग़र ये किसने कहाँ जमीं को आसमाँ ज़रूरी नहीं..? कुछ गुस्ताख़ लम्हों ने उसकी यादों को छेड़ा हैं और रात ने कहाँ-सिसकियाँ मज़बूरी नहीं.., दिल के टुकड़े टुकड़े कर दिये मग़र क़ातिल भी कैसे कहुँ हाथ में उनके छुरी भी नहीं..! ख़ैर फ़ैसला था उनका फ़ुरकते गुज़ारने का ऊपर से इश्क़ हीं मिला था उनको दूरी नहीं.., ये अलग बात हैं कि मैंने भी फ़ैसला मंज़ूर कर लिया उनका हर बात पे बहश भी ज़रूरी नहीं..। बिछड़कर उनसे ख़ुद क़ातिब बन गया ये मेरी शिकस्त-ए-हल-ओ-ईजाद था-समज़दारी नहीं.., सुना हैं मेरी लिखावटों में रातें अंधेरी और बातें ग़हरी होती हैं तो सुनो गुज़री ज़ुबानी हैं-ये अदाकारी नहीं..! हालांकि ये जो ज़ाम-ए-गिलास हैं सुकूँ हैं मेरा उनकी आँखों को मैख़ाना लिखूँ-मश्क़री नहीं.., ग़ज़ल-ओ-नज़्म तो बहोत दूर की बात हैं ये "काफ़िया" की कहानी हैं कोई शेर-ओ-शायरी नहीं..! #TheUntoldकाफ़िया
वैसे तो कईं आंधी-तूफ़ां आये मग़र हम टूट-बिख़र कर भी फ़िर ख़ड़े हों गये.., ज़िंदगी ने भी क़्या ख़ूब तज़ुर्बे सिखाये कि उम्र-ए-बचपन मे हम बड़े हों गये..! #TheUntoldकाफ़िया insta @kafiiya_ #DXB #welivinglife 🤘🏻🍷
●जिंदगी रातें बसर कर जान लुटा दी गयी बिछड़कर फिर मिलूं मजबूरी नहीं.., आँखों से कुछ लोग गिरा दिए जाये हरबार आँशु ही गिरे जरूरी नहीं..। दरमियाँ सफ़र-ए-मुक्कमल मौत हैं ख़्वाईशें बहोत हैं राबतों से मेरी दूरी नहीं.., जिश्म को पा लेना ही इश्क़ हैं तो सुनो मेरी रूह बेनकाब हैं अधूरी नहीं..। दिल पर हों रही बारिश-ए-प्यार.., यहाँ कोई मसअला हैं यारी तो नहीं.., नशा उतर गया पर ख़ुमार बाकी हैं मैंने सिर्फ फ़रमान किया हैं जारी तो नहीं..। साक़ी उसे कहना रिश्ता निभा सके तो हीं आये इस मर्तबा ग़द्दारी नहीं.., मुझसे मिल वो रोनें लगा तो कहाँ नाटक बंध करो तुम्हारी साँसे भारी नहीं..। ग़र जाना भी चाहों तो शौक से जाओ मुझे भी ऐसी रिश्तेदारी प्यारी नहीं.., खुश रहों आबाद रहों "काफ़िया" किसीके बिना जिंदगी इतनी भी बुरी नहीं..। #TheUntoldकाफ़िया insta @kafiiya_
•ख़याल हां महज़ सिर्फ कुछ ख़याल हीं तो थे मग़र क्या ख़याल थे..!जिसमे तुम सिर्फ हमारे हों गये.., अब मेहफ़िलों में ख़ुदको समेटता रहता हूँ कुछ यूँ टुटा हूँ कि ज़माने भर में नजारे हों गये..! अधूरे रेह गये कुछ ख़्वाब जो थे तेरे और मेरे सहारे रात में सूरज दिन में सितारें सो गये.., तुम गई हों जहाँ से तो कुछ यूँ उलझ गया में की सेहरा में संमदर किनारे हों गये..! रातों के दरमियाँ फिर कभी नींद नसीब ना हुई कब्र पे रखे पथ्थर मीनारे हों गये.., लिख-लिखकर कैसे बताऊ में की समझते थे जो मुझे ख़ुदा को प्यारे हों गये..! मेहफ़िल-ए-ज़िक्र हैं तो क्या ही बताऊ मतला की रही जिंदगी गज़ल के सहारे हों गये.., बेशक़ अश्को से यारी हैं मेरी सुननेवालों से सुना हैं लफ़्ज़ों से खामोश गुज़ारे हों गये..! अक़्सर ढूंढता रहता हूँ तुमको दरमियाँ जितने भी शहर आये खँडहर सारे हों गये.., जो ज़ख्म कभी भरते हीं नहीं थे "काफ़िया" गया हूँ मैखाने जब से मय-आशिक़ तुम्हारे हों गये..! #TheUntoldकाफ़िया insta @kafiiya_
•ख़ामोशीया कुछ शोर हैं शेर-ओ-शायरी में हर ग़ज़ल का मतला रोता क्यूँ हैं..? अरे बाकायदा तुम तो जाँ हों मिसरे की मौत से पहले सोता क्यूँ है..! रात की गिरफ्त में क़ैद जज़्बात हैं ज़ाहिर कुछ नहीं होता क्यूँ है..? एक समंदर जो आँखों में भरा पड़ा हैं दिल से फिर समजोता क्यूँ हैं..! दौर-ए-शिकस्त की गज़ले क्या सुनाई शहरभर में सन्नाटा क्यूँ हैं..? तुम तो छोड़कर चले गये अय हमसफ़र दिल-ए-आग बुजाता क्यूँ हैं..! वो ख़्वाब जो अब कभी पूरे ना होंगे उसमें ख़ुदको खोता क्यूँ हैं..? जज़्बात पन्नों पर रातभर सुखाकर ख़ामोश चीखता-चिल्लाता क्यूँ हैं..! मैखाना हैं तो फिर यहाँ शराब ही मिलेगी मौत को गले लगाता क्यूँ हैं..! मोहब्बत__मोहब्बत हैं "काफ़िया" हरकिसीको गज़ले सुनाता क्यूँ हैं..? #TheUntoldकाफ़िया Insta @kafiiya_
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser