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तेरा वो मुझे देख मुस्कुराना याद है, घर के सामने से निकलने का बहाना याद है, तेरा वो पीछा करते हुए आना और मेरे मुड़ने पर तेरा घूम जाना याद है। लोगों से सुना तेरा हर एक फसाना याद है, हां मुझे अब भी वो दीवाना याद है। - चंचल सिंह
राधा सा इज़हार करूंगी तुम कान्हा बन कर आ जाना, सबरी सा इंतजार करूंगी तुम राम बन कर आ जाना। जब भी खो जाऊं मैं उन तारों की भीड़ में, तुम चांद बन के चमकाना। जब भी याद करूं मैं तुझको बारिश बन कर छू जाना। जब भी मांगूगी मैं तुझको बस कैसे भी आ जाना ..... बस कैसे भी आ जाना.... - चंचल सिंह
जब से लोगों ने जाना है कि वो टूट चुका है तब से सारा शहर उसको लूट चुका है। ऐ ख़ुदा तुझको ये सब देखकर अखरता तो होगा जब तेरा वो बच्चा टूट के बिखरता होगा। उसकी बेचैनी का सबने मज़ाक बना दिया है,जीते जी उसकी जिंदगी को श्मशान बना दिया है। ऐ ख़ुदा टूटा हुआ वो परिंदा कहां जाएगा आखिर में बस पंख फैलाकर तेरे पास आएगा। - चंचल सिंह
दिन तो यूं ही गुज़र जाता है जाने क्या सोचते सोचते, ये रातें ही तो हैं जो हमें इतना व्यस्त रखती हैं। रोना भी रहता है ,सोना भी रहता है ,तेरे ख्यालों में खोना भी रहता है। इतनी व्यस्तता में खुद ही खो जाती हूं कभी- कभी, फिर अपने आप को खोजना भी रहता है। दिन तो यूं ही गुज़र जाता है, ये रातें ही तो हैं जो हमें इतना व्यस्त रखती हैं। - चंचल सिंह
यूं थक के अकेला जब मैं बैठता हूं, ना जाने क्या क्या मैं सोचता हूं। ये अंधेरा भी मुझसे बहुत कुछ कह जाता है, जिंदगी का वो पल बस थम सा जाता है। यूं थक के अकेला जब मैं बैठता हूं, अपने ही अंदर क्यूं अपने आप को खोजता हूं। - चंचल सिंह
मेरी वो खामोशियां तूने सुनी तो होंगी ना, कुछ ख्वाहिशें तूने भी बुनी तो होंगी ना। तेरा हाथ भी मेरे हाथ के साथ के लिए तड़पा होगा , वो हवाएं तुझसे भी कुछ कहती तो होंगी ना। बारिशें जब भी जमीं से मिलने आती होगी, तेरा भी दिल मुझसे मिलने को तड़पा तो होगा ना। - चंचल सिंह
दिल की दरारों को ज़ार ज़ार कर दिया, तेरी उन निगाहों ने तार तार कर दिया। किस बागीचे से चुना था तूने वो फूल, जिसने मेरे दिल पे वार आर - पार कर दिया। -- चंचल सिंह
समय समय की बात है कभी कुछ लोगों का समय बदलता है तो कभी समय बदलने के साथ कुछ लोग लेकिन एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि समय रहते अपनी बुरी आदतें बदल लेनी चाहिए नहीं तो जब समय उन्हें बदलता है तो बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।
यूं तो अकेले पड़ जाने से मुझको डर लगता है । तुझसे दूर हो जाने से ये दिल डरता है। बस तू हाथ थाम लेना जब मैं लड़खड़ाउँ , क्यूंकि गिर जाने से ये दिल डरता है। -Chanchal Singh
#लक्षण अपने लक्ष्य के प्रति आत्मीय भाव से समर्पित व्यक्ति के लक्षण अन्यों से भिन्न होते हैं, वह सोता जागता उठता बैठता अपने लक्ष्य के बारे में चिंतन करता है। जैसा कि एक लोकोक्ति में कहा गया है कि " पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं" अर्थात, किसी व्यक्ति की वर्तमान स्थिति या लक्षण के हिसाब से उसके भविष्य का अंदाज़ा लगाया जा सकता है ।
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