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हे वक्त, तेरा बदलना , कल आज और कल बन जाता, तू मुखर है तो में मुखर हू, जो तू बदला मानो मेरी रूह बदली। तू ठहर तो सही चाहे हो अच्छा या बुरा, गुजरना है तो जरा धीरे से गुजर, यू अश्क तो ना गिरा इंतजार में, तेरे बदल जाने से बदला मेरा संसार । तेरा तो क्या ही जाता है, कभी तू शांत ,कभी तूफान है, मेरी प्रीतम का रूप सिर्फ एक था, वक्त तेरे और कितने रूप है। उसने नहीं संभाला, तूने कहा संभाला, जिस राह चला सफलता साथ चली तेरे, जिसने सोचा कुछ पल का आराम , खाई है उसने दर दर की ठोकरें जो कल था उससे बेहतर आज बना दे , जो आज है उससे बेहतर कल बना दे, कल आज और कल को तू भी छोड़, बस मेरा तो तू आज बना दे। लव यू जिन्दगी,💞 भरत (राज)
अफवाह वाह रे वाह अफवाह, तू भी बड़ी खूब है। सभी की संवेदनाओं को, तार तार कर कुचल देती। कभी नही चुनी थी मैंने, महसूस नही कर सका कभी, तेरे लौटकर आने की बाते, कही यह अफवाह तो नही। तू जा चुकी है उस पार, ओर में रह गया इस पार, ना में तुझमें, ना तू मुझमें बह रही, यही भी क्या खूब अफवाह है। सब कुछ चुना चुना सा लगता है, तेरी मेरी बाते कहानी सी लगती है, मेरा मर जाना और तेरा जिंदा रहना, यह भी एक अफवाह का अफसाना है। चल तू आएगी,दिल ने भी माना, आकर जायेगी, यह जख्म भी पाला, बातो में, मैं तेरा तू मेरी लगे , क्या ये भी कोई अफवाह निकलेगी। अब छोड़ो भी अफवाहों को, तू साथ हो वोही रिस्क पाली है, चलेंगे साथ साथ हर कदम पर, अब यही अफवाह फैल जाने दो। भरत (राज)
असंभव तेरे मिलने से लेकर यादों तक के सफर में, दूरियां ही दूरियां है मुझसे, एक तेरा आना असंभव। अब खव्वाबो के खयाल से, तड़पती रूह के भय से, मिलने बिछड़ने की रीत से, मेरी तुझसे प्रीत असंभव है। बादलों को बौछार से, कोयल को राग से, हंस को मोती से, मुझको तुमसे प्रेम असंभव है। सागर की गहराई में, विरह की आग में, जिस्म की भट्टी में, मेरा तपना असंभव है। रूठने से मानने तक, सुबह से लेकर शाम तक, बारिश से धूप तक,मेरा, लोटकर आना असंभव है। तेरे कागज और कलम से, रूह में घुली उस स्याही से, सूखे गुलाब के पत्तो पर, इश्क तेरा लिखना असंभव है। मौत के बाजार में, कपन के मोल भाव में, लकड़ियों पर तेरे जिस्म को, आग देना असंभव है। भरत (राज)
तुझे कहा गुरूर है अब अपने आप पर, तू तो मसगुल है शिकायतों में, अब कहा है वो तेरा शरारती स्वभाव, जब से बैठी है पहन रखी है तूने खामोशी को। सोचता हु क्या नहीं है तेरे पास, फिर भी एक लंबी लिस्ट है शिकायतों की, क्या कभी तेरी शिकायतें कम होगी, दो पल ही सही मुस्कुराएगी। या फिर, ऐसे ही शिकायतों का बाजार गर्म रहेगा। कुछ तो बदलो अपने आप को यार, जीना इसका नाम नहीं , हंसना जरूरी है, गम तो चौराये दर चौराये बहा फैलाए खड़ा है, बस मिलती नहीं मुस्कराने की वजह बाजारों में। सुन रही है ना, तो कुछ तो समझ, मत जाया कर यह जीवन है सुंदर, खुल के जी ले जरा जरा तू क्योंकि, मौत का बुलावा एक दिन तुझे भी आयेगा। भरत (राज)
एक शरारत है तेरी याद अगर , एक समुंदर है मेरी छुपी तन्हाई भी। जीना हर रोज है तो मौत भी आखरी है, पी लिये सागर गमों के तन्हाई बाकी है। तू जिस रोज लिपटी,रूह से मेरे बेल की तरह, तेरी मेरी तन्हाइयों ने मुझे सूखा पड़े बना दिया। मैं शांत हु,मै झुका हु, लेकिन टूटा नहीं हौसला मेरा, बस लीन हो रहा हु, बन रहा में दास "राधे 💐" तेरा। एक रोज भी तन्हा नहीं रहा दिल मेरा, हर रोज तन्हाई के बाण चल रहे तेरे बिना। हमारा प्रेम समुंदर की गहराई से गहरा था, अब तो परछाई भी साफ झलकती है तन्हाई की। भरत (राज)
डिजिटल प्यार, हा दोस्तो ,प्यार और वो भी डिजिटल वाला, जहा गुड मॉर्निंग से गुड नाइट बिना मिले हो। पल पल का हिसाब दोनो और हो, छोटी छोटी एमोजी भी बड़ी खुशियां दे जाए। लाखो कीलोमिटर की दूरी क्षण में गायब है यहा, लेकिन क्या एहसास जग पाते है उस कदर। जैसे राधा बनी थी कृष्णा के लिए, नहीं ना ,दूर से सिर्फ प्यार कैसा प्यार होगा। अब तो जिंदा होने का प्रमाण भी, डिजिटल डिवाइस की वो दो ब्लू लाइन ही है। आज प्यार एक से नही कईयों से करते है, रूह को तो कब का मार ही बैठा है इंसान। यह सब प्यार नही सिर्फ आकर्षण है माना जग ने, प्यार में कहा चाहत होती है कब्जा करने की प्यार तो दो इंसानों के मिलन से, उभरे जज्बातों का प्रतिफल है । दो डिजिटल डिवाइस के कनेक्ट होने से, प्यार भला कैसे हो सकता है। जो मिलन आत्मा का है , वो डिजिटल भाषा केसे समझे यह दिल। फिर भी चलो मान भी लेता हु मिलन ना सही, शुकून की दो बात तो करते होंगे, अकेले रहने से अच्छा है , किसी से डिजिटल ही सही जुड़े तो है, वो प्यार सच्चा ना सही ,कुछ पल का सुकून तो है। तो जी लो जिंदगी ,love you jindagi भरत (राज)
किताबो के पीछे रहने वाला शक्स अक्सर अकेला होता है। - Bharat(Raj)
पुरानी यादें क्यों दोस्त.......? आज फिर उसी पल को याद कर रहा है ना, जब गिर पड़े थे हम दोनो साथ, या फिर अंतिम पंक्ति में खड़े रहने के मजे, तू तो शायद भूल गया होगा अपना याराना। तुझे अब कहा वास्ता है पुरानी यादों का, अपार संपत्ति का जो मालिक बन गया है, पैसों की खनक ने तुझे सब कुछ भुला दिया है, कभी तू पैसों के मोती को उतारकर, जीवन में पहन ले यादों के मोती। तब रख देना तराजू में दोनो ओर, एक ओर दौलत एक ओर अपनी यादें, देखना तब तुम वजन यादों का भारी होगा, हम सब तुझे याद करते है तुम भी किया कर, यह जो माया के चक्कर में, तूने भुला दी है अपनी यादें, फिर एक बार अपने आप से रूबरू हो जा, और मिल ले अपने आप से अपनी यादों से, देख लेना एकाएक गिर ही जायेंगे तेरे आसूं भी, तब होगी सवालों की अनगिनत बौछार तेरे मन पर, और झकझोर देगी तेरे मन के समंदर को और , निकाल लाएगी वोही पुरानी यादों को। भरत (राज)
वो रंग सारे कल के धूल गए, एक तेरी बेवफाई का रहा बाकी। -Bharat(Raj)
अब जब तुम, भूल ही चुके हो मुझको, तो फिर लौटकर मत आना मुझमें। -Bharat(Raj)
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