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Badi Adil

Badi Adil

@badiadil7026


गूंगे शहर के सरदारों की हिमायत नहीं करता
जीने के लिए बूतकदे की इताअत नहीं करता

खानदानी हूं सो लफ्ज़ ए अदब की अदब करता हूं
वरना मेरे शहर के बुजुर्गो पे शफकत नहीं करता

यहां सब सूरज है अपने अपने आसमानों के
सो कुछ कहने लिखने की जूर्रत नहीं करता

डर है मेरे दुश्मन बढ़ेंगे अपने छोड़ चल पड़ेंगे
इसलिए हुनर आजमाता हूं सियासत नहीं करता

मकाम ए हुसैन क्या है अगर तू जान जाता
हुसैन के उसूलों से भी अदावत नहीं करता

'मोमिन' ये दुनिया है दुनिया मतलब की दुनिया
मिलने को तो मिलता हूं पर मुलाकात नहीं करता

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काल की कमान मै फंसा हुआ हूं
पैसों के चक्कर में फंसा हुआ हूं

राज-ए-हस्ती इबादत है मेरी
दुनियादारी मै फंसा हुआ हूं

मरीज़-ए-इश्क़ हूं बीमार थोड़ी ना
अस्पताल में फंसा हुआ हूं

मुझे क्या गरज कौन अपना है
मुहब्बतो के दायरे में पड़ा हुआ हूं

हर मुश्किलात मै उसने मेरा साथ दिया
साया भी सोचता होगा कहां फंस गया हूं

हमारी भी इक दुनिया है तसव्वुर की
जमाना तस्वीरों में फंसा हुआ है।
~आदिल बादी

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फिजूल का गिला करते है, न कुछ काम किया करते है
इसलिए तो ए 'आदिल ' जमाने से रुसवा हुआ करते है।
~आदिल बादी

ये खुली खुली अदावतें थी जो मुझे रास थी
ये जहरकुन सलाम थे जो मुझे खा गए।
-अज्ञात

જીવતો જાગતો કબરમાં છું
હું હજી રાતની અસરમાં છું.
-ફિરદૌસ દેખૈયા

कल मुझसे किसीने वक्त पूछा था
मैंने भी कह दिया बहुत बुरा चल रहा है।