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सपने और अपने सच में पूरे होने लग जाए तो कितना अच्छा लगता है, वरना सपने जिम्मेदारियों के भोज के नीचे और अपने नियत के पीछे अच्छे से नजर आते है। कभी कभी कामयाबी आपको अपने और सपने दिखाने लग जाता है। अंकित मुकाडे ✍️ (May 22, 2024)
एक घर का बड़ा बेटा...! घर का बड़ा बेटा, वो सब कुछ कर लेता है जो उस परिवार के लिए सही हो, वोह हमेशा अच्छा बेटा बनने की आस में कुछ बुरा कोई गलत काम नहीं करता जो उसकी उमर के लड़के कर रहे होते है। पिता के नजर में अच्छा बेटा बनना उसके लिए सबसे बड़ा वही उसका पुरस्कार होता हैं। अपने मां की कही बात का वोह पालन करता, वोह उसकी हर दिन की जीत है। अपने भाई - बहनों का वोह ऐसे खयाल रखता है, जैसे खुदके बच्चे हो, ऐसा ही तो होता है घर का बेटा। हर वक्त खुदको कबील बनाने में वो हर रिश्ते को बड़ी शौक से निभाता है, एक घर का बड़ा बेटा ऐसा ही होता है...। - अंकित मुकाडे (May 20, 2024)
हर किसी का प्यार मुक्कमल नहीं होता, कभी किसी को अपने नासीब में वो शक्श नहीं मिल पाता, जिसने उस शक्श इस कदर चाहा होंगा की अपनी जिंदगी उसके नाम करदी हो... #अधूराप्यार -Ankit Mukade ✍️
इश्क के राह में गुम हो गए है हम, तुम सहारा बन जाना। अगर साथ देने की सोच रहे हो तो, घर से पूछ कर आना। मुश्किल होता इश्क को जीना है, माना है मैंने। वक्त - ए - दूरियां भी बढ़ जाएगी, अगर रिश्ते में कमजोरी होंगी। कभी खयाल आया की बेवफाई हो जाएगी, तो बताना जरूर वर्ना ज़िंदगी से आरजू कम हो जाएगी। -Ankit Mukade✍️
Tumne socha Nahi hoga... Tumne kabhi socha bhi nahi hoga maine aise chaha hai, ki har waqt rab ke baad tera hi khayal aaaya hai... Tumhaare yaaadoin me mai iss tarah Uljha ki mai khudko hi bhool sa gaya... iis ashiqui me maine khudko tere hawale kar diya, tumne socha bhi nahi hoga maine aise chaha hai... pehli mulakaat ko aise tasveeron me basa rakha hai, jaise tumhe ankho basa rakha hai, tumne socha nahi hoga maine aise tumhe chaha hai... Waqt-be-Waqt tumhare hi khayalo me aise hu ki rab tumhe hi manga hai, tumne kabhi socha nahi hoga maine tumhe aise chaha hai... -Ankit ✍️
Aukaat Nahi Thi Zamaane Me Jo Meri Keemat Laga Sake, Kambhakt Ishq Ne Kya Gire Muft Me Neelaam Ho Gaye.... -Piyush Mishra
Kuch iss tarah chaha Maine usse ki chahat ko bhi mujhse chahat ho gayi ab, Kuch iss tarah yaad kiya usse ki mera khuda bhi naraz rahne laga hai mujhse ab, Ye waqt-be-waqt yu nahi guzarta iss kadar ab, Agar kuch iss tarah thama hota tune haath to ho jati meri mohabbat bhi mukkamal ab -Ankit Mukade
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