Quotes by Anil Kumar in Bitesapp read free

Anil Kumar

Anil Kumar

@anilkumar3669


?G⭕⭕D?〽⭕➰NING?
         
.•*""*•.¸ ¸.•*""*•.¸ ¸.•*""*•.¸
?प्रभात पुष्प?

?“ ऊँचा उठने के लिए पंखों की
ज़रुरत केवल पक्षियों को ही
पड़ती है.....

मनुष्य तो जितना विनम्रता से
झुकता है उतना ही ऊपर
उठता है...।
                   
_ *ईश्वर से मत डरिये,*_
_ *अपने कर्मों से डरिये,*_
.
_ *क्योंकि  ईश्वर क्षमा कर सकता है,*_
_ *लेकिन कर्म नहीं........✍?*_
?☀️?
?स्नेह वंदन
???शुभ प्रभात???
?┣━┫α ρ ρ у ?
? *ℳỖŘŇĮŇĞ*?
┈┉┅━❀꧁ω❍ω꧂❀━┅┉┈
*आपका दिन मंगलमय हो*
☔☔??☔☔

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❛સ્થિર જળ સાથે અટકચાળા ન કર
કાંકરા નાખીને કૂંડાળા ન કર.

લોક દિવાળી ભલેને ઊજવે
પેટ બાળીને તું અજવાળા ન કર.

આજથી ગણ આવનારી કાલને
પાછલાં વરસોના સરવાળા ન કર.

ક્યાંક પથ્થર ફેંકવાનું મન થશે
ઈંટને તોડીને ઢેખાળા ન કર.

થઈ શકે તો રૂબરૂ આવીને મળ
ઊંઘમાં આવીને ગોટાળા ન કર..!❜

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મને એ જોઈ હસવું
હજાર વાર આવે છે
આ પ્રાઇવેટ વાળા કેવા
ઉઠા ભણાવે છે!!
પચરંગી યુનિફોર્મ ને
પીળા રંગની ગાડી!
ગામડે ગામડેથી છોકરા
વીણી લાવે છે.
ભાડું વસુલે મસમોટુને વળી એને
ટ્રાન્સપોર્ટ ફેસિલિટી ગણાવેછે
કોમ્પ્લેક્ષમાં સ્કૂલો ચલાવી
સર્વાંગી વિકાસ બતાવે છે
આ પ્રાઇવેટ વાળા કેવા
ઉઠા ભણાવે છે!!!
બે જોડી યુનિફોર્મ, બુટ મોજા ટાઈથી
ટેણીયાં ને ટનાટન બનાવે છે

ગણિતમાં "સો" એતો સમજ્યા ભાઈ
ને વળી ગુજરાતીમાંય સો!!
આઈન્સ્ટાઈન ને અખો એક
સાથે બનાવે છે
કે.જી નું બાળક, ચિત્રમાં
અઠ્ઠાણું ને સંગીતમાં સત્તાણું!!
પિકાસોને રોવડાવી
મારા રહેમાનને શરમાવે છે
આ પ્રાઇવેટ વાળા
કેવા ઉઠા ભણાવે છે!!!
ઇંગલિશ મીડિયમનું ગૌરવ
ને ગુજરાતીની સુગ!
ગુજરાતમા જ રહીને
મેઘાણી,કલાપી કે પછી
તુષાર શુક્લની સામે જ
રોલેટ એકટ" ચલાવે છે
આ પ્રાઇવેટ વાળા
કેવા ઉઠા ભણાવે છે !!!
નોન ક્વોલિફાઇડ સ્ટાફ ને
વળી ગુણવત્તા વાળું શિક્ષણ?
નેવુંનો કલાસ ને નેવુંયે બાળકોને
નેવું ઉપર ટકા આવે છે!!
આ પ્રાઇવેટ વાળા
કેવા ઉઠા ભણાવે છે!!!!
આ પ્રાઇવેટ વાળા
હાટડી ચલાવે છે!!
પૈસા કમાવા માટે,
કેવા ઉઠીયાણ બનાવે છે!!!!

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अगर ज़िंदगी में सफल होना है तो,

पैसे को हमेशा जेब में रखना दिमाग में नही।



शक्ल सूरत में क्या रखा है,

असली पहचान तो काबिलियत में रखी है।



अगर आप किसी को छोटा देख रहे हो तो आप उसे,

या तो दूर से देख रहे हो या अपने गुरुर से देख रहे हो।

✍..............

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मैं हर बार गिरा और सम्भलता रहा,
दौर खुदा की रहमतों का चलता रहा,

वक़्त भले ही मेरे विपरीत था,
मैं ना जरा सा भी भयभीत था,
मुझे यकीं था की एक दिन सूरज जरूर निकलेगा,
क्या हुआ जो वो हर रोज ढलता रहा,
मैं हर बार गिरा और सम्भलता रहा,

जब भी हुआ है दीपक में तेल खत्म,
तो समझो हो गया खेल खत्म,
निचोड़ कर खून रगों का इसमें,
मैं एक दीपक की भाँति जलता रहा,
मैं हर बार गिरा और सम्भलता रहा,

झिलमिल से ख्वाब थे इन निगाहों में,
करता रहा महनत माँ की दुआओं में,
सींचता रहा परिश्रम के पौधे को दिन रात,
और ये पौधा सफलता के पेड़ में बदलता रहा,
मैं हर बार गिरा और सम्भलता रहा,

ये सब तुम्हारी सबकी दुआओं का असर है,
जो मिली आज इतनी सुहानी डगर है,
तह दिल से शुक्रिया मेरे चाहने वालों,
आज मेरी किस्मत का सिक्का उछलता रहा,
मैं हर बार गिरा और सम्भलता रहा,
दौर खुदा की रहमतों का चलता रहा।

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એણે પૂછ્યું, "જિંદગી" એટલે શું?
મેં કહ્યું.... ફક્ત તું અને તું જ...

એણે પૂછ્યું, "પ્રેમ" એટલે શું ?

મેં કહ્યું.... તું કરે અને હું ચાહું .

એણે પૂછ્યું, "વરસાદ" એટલે શું ?
મેં કહ્યું.... તું પલળે અને હું ભીંજાઉ .

એણે પૂછ્યું, "દોસ્તી" એટલે શું ?
મેં કહ્યું.... તું બાંધે અને હું નિભાવુ .

એણે પૂછ્યું, "વેદના" એટલે શું?
મેં કહ્યું.... તું સહન કરે અને હું રડી લઉં .

એણે પૂછ્યું, "સંબંધ" એટલે શું ?
મેં કહ્યું.... તું બંધાય અને હું ય બંધાઊ..

એણે પૂછ્યું, "નસીબ" એટલે શું ?
મેં કહ્યું.... દરેક જન્મ માં મળીએ તું અને હું....

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आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो


आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो

राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें,
रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो

आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में,
कूच का ऐलान होने को है तय्यारी रखो

ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे,
नींद रखो या न रखो ख़्वाब मेयारी रखो

ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन,
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो

ले तो आए शाइरी बाज़ार में 'राहत' मियाँ,
क्या ज़रूरी है कि लहजे को भी बाज़ारी रखो

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एक कहानी ......
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एक भंवरे की मित्रता एक गोबरी (गोबर में रहने वाले) कीड़े से थी ! एक दिन कीड़े ने भंवरे से कहा- भाई तुम मेरे सबसे अच्छे मित्र हो, इसलिये मेरे यहाँ भोजन पर आओ!

भंवरा भोजन खाने पहुँचा! बाद में भंवरा सोच में पड़ गया- कि मैंने बुरे का संग किया इसलिये मुझे गोबर खाना पड़ा! अब भंवरे ने कीड़े को अपने यहां आने का निमंत्रन दिया कि तुम कल मेरे यहाँ आओ!

अगले दिन कीड़ा भंवरे के यहाँ पहुँचा! भंवरे ने कीड़े को उठा कर गुलाब के फूल में बिठा दिया! कीड़े ने परागरस पिया! मित्र का धन्यवाद कर ही रहा था कि पास के मंदिर का पुजारी आया और फूल तोड़ कर ले गया और बिहारी जी के चरणों में चढा दिया! कीड़े को ठाकुर जी के दर्शन हुये! चरणों में बैठने का सौभाग्य भी मिला! संध्या में पुजारी ने सारे फूल इक्कठा किये और गंगा जी में छोड़ दिए! कीड़ा अपने भाग्य पर हैरान था! इतने में भंवरा उड़ता हुआ कीड़े के पास आया, पूछा-मित्र! क्या हाल है? कीड़े ने कहा-भाई! जन्म-जन्म के पापों से मुक्ति हो गयी! ये सब अच्छी संगत का फल है!

संगत से गुण ऊपजे, संगत से गुण जाए
लोहा लगा जहाज में , पानी में उतराय!

कोई भी नही जानता कि हम इस जीवन के सफ़र में एक दूसरे से क्यों मिलते है,
सब के साथ रक्त संबंध नहीं हो सकते परन्तु ईश्वर हमें कुछ लोगों के साथ मिलाकर अद्भुत रिश्तों में बांध देता हैं,हमें उन रिश्तों को हमेशा संजोकर रखना चाहिए।

परमात्मा सदैव सबको सुखी रखें

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पिता
पिता जीवन है, संबल है, शक्ति है
पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है

पिता उंगली पकड़े बच्चे का सहारा है
पिता कभी कुछ खट्टा, कभी खारा है

पिता पालन है, पोषण है, पारिवारि का अनुशासन है
पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है

पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है
पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है

पिता अपदर्शित अनन्त प्यार है
पिता है तो बच्चों को इंतजार है

पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं
पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं

पिता से परिवार में प्रतिपल राग है
पिता से ही माँ का बिंदी और सुहाग है

पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है
पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है

पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ति है
पिता रक्त में दिये हुए संस्कारों की मूर्ति है

पिता एक जीवन को जीवन का दान है
पिता दुनिया दिखाने का अहसान है

पिता सुरक्षा है, सिर पर हाथ है
पिता नहीं तो बचपन अनाथ है

तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो
पिता का अपमान नहीं, उन पर अभिमान करो

क्योंकि मां­बाप की कमी कोई पाट नहीं सकता
और ईश्वर भी इनके आशीशों को काट नहीं सकता

विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है
मां­बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है

विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्राएं व्यर्थ हैं
यदि बेटे के होते मां­बाप असमर्थ हैं

वो खुशनसीब हैं मां­बाप जिनके साथ होते हैं
क्योंकि मा­बाप की आशीशों के हजारो हाथ होते हैं

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,*રસ્તા ઘણાં છે ને મંજિલ એક છે*
*ભગવાન એક છે ને હજાર સવાલ છે*
*હજાર ફૂલ છે ને એક માળી છે*
*સાલું કેટલું ગજબ છે કે*
*તકદીર હાથમાં છે ને હાથ ખાલી છે...*

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