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akriti choubey

akriti choubey Matrubharti Verified

@akritichoubey.417838
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बिकते बाजारों मे

भरने खुदकी झोली लिए देखो,

खुद यहां पैसों के धनवान बैठे हैं,,

चहरे की मासूमियत लेने देखो,

खुद यहां मासूमियत के

कद्रदान बैठे हैं

लुटते हुए ख्वाबों का

लगा हुजूम शहर में

तमाशा देखने देखो,

खुद यहां तमाशवान बैठे हैं

टूटते हुए खुदमे ही,,लुटते हुए खुदमें ही,

बंद हथेली मुट्ठी में बिकने

देखो खुद यहां अरमान बैठे हैं,

खुदकी आग के फेरे लेकर

खुदकी ही आहूति देकर

हँसते हुए हम देखो

खुद गवाकर अपनी जान बैठे हैं ,

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इन्तेजार........

आज हमें बरबस ही सड़क की याद आ गई,,याद आकर दिमाग मे ऐसे समा गई,,की हम,,,जूते पहन मास्क लगाए,,निकल पड़े गली भ्रमण को,,,



थोड़े आगे ही चौक पर हमें कुछ वर्दी वाले महाशय दिखे,,,

उन्हें देखते ही हम वहाँ से ऐसे फिसले की सीधे एक तंग गली में दिखे,,,



उस गली के अंत मे हमे एक सिसकी सुनाई दी,,,

हमने भी अपनी झांकी उसी ओर बढ़ाए दी,,,,

उस ओर हमे एक हरा सा मानव दिखा था,,,,

हमने गोर किया तो उसके सर पर कोरोना लिखा था,,,,

उसे पढ़ते ही शरीर के रोम रोम पसीने से भर आए,,,

हम अपने बाहर निकलने के पिलान पर बहुतै पछताए,,,

हमने पैर पीछे भागने की योजना थी बनाई,,,

तभी हमारे कानवा में एक आवाज दी सुनाई,,,



कोरोना

भाई थक गए होंगे थोड़ी देर सुस्ताई लो,,,

घर जाके तो बोर हुइहो,तनिक हमसे ही बतियाईलो,,,,

हम उसकी आवाज सुने तो उसकी तरफ ही घूम लिए,,,

हालात पतली,चहरा उतरा,लाठी की वो टेक लिए,,



हम उससे पूछ ही लिए,की "भाई डेढ़ साल में तुम्हारी कछुआ से चीते की चाल हो गया,,,

पर अब जे तुम्हारा का हाल हो गया,,,



कोरोना रोते हुए बोला " का बताएं भैया हम तो खुश थे चमगादड़ में,,फिर कोनों ने चमगादड़ खा लिया,,,

हम नही आए कोनो के घर ,ऊने खुदही हमका बुला लिया,,,,



हम बोले ,,जो भी तुमने कहि है ,,,

जे बात बिल्कुल सही है,,,,

हम तुम्हाई बात समझते हैं,,

पर तुम्हाए नैन काए बरसते हैं,,



कोरोना

का बताए भैया,,दो दिनों से कछु नई खायो,,,,

इंसान तो छोड़ो बाको कुत्ता भी बाहर नई आयो,,,,



अब तो मरनेई बाले है तो सोचा तनिक कोई से बतियाई लें,,,,

कोनो को अपना दरद सुनाई दे,,,



अब तो जीने की हिम्मत ही टूट गई,,,

फैलने की शक्ति तो पीछेई कहीं छूट गई,,,

जे मोदी ने लोगों है का सुधार दिया,,,

हमे तो जे लॉक डाउन नेई मार दिया,,,,



      .....

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यूँ कब तक धर्म मजहब की दुहाई देगा,
एक बार रमजान बोलकर तो देख
तुझे राम नाम सुनाई देगा,

-akriti choubey

Hii,, friends,,
मैं आपकी दोस्त आकृति,,
मैं इस फील्ड में अभी नई हूं,इसलिए मेरी लेखन में बहुत सी अशुद्धियां है,,पर में अपना बेस्ट देने की कोशिश कर रही हूँ तो प्लीज आप सब अपना सपोर्ट दे और अगर कोई मिस्टेक हो तो मुझे उसके बारे में जरूर बताएं,,

       आपकी दोस्त😇😇

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तुम बार बार रूठो,
मैं तुम्हे मनाऊं,
उम्मीद मत रखना,
मैं ऐसी थोड़ी हूँ,
मैं तुम्हारी पसन्द नही,कोई बात नही,
सबको पसन्द आ जाऊँ,
💰"पैसा थोड़ी हूँ"

-akriti choubey

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कोई गीता,तो कोई कुरान लिए,कोई संग धर्म, ईमान लिए,कोई छुआ-छूत का भेद लिए,कोई संग लिए नाराजी
"मैं पण्डित की बेटी हूँ,तू पांच पहर नमाजी है।"

-akriti choubey

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कभी हँसती,तो कभी हँसाती है जिंदगी,
कभी रोती,तो कभी रुलाती है जिंदगी,
लोग तो तुझे यूँ ही बदनाम करते हैं
मौत से पहले तू ही याद आती है जिंदगी

-akriti choubey

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