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Abhinav Jha

Abhinav Jha

@abhinavjha6924


यह जिंदगी बहुत ही रंगीन है,
हर लम्हा भी हसीन है।।
हां है,
मगर जब तू संग है।।

चलो ना, बीते कल में जाते हैं। वही राग फिर गुनगुनाते हैं। जो छूट गया उसे फिर से दोहराते हैं। अब फिर एक हो जाते हैं।

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इस साल के वैश्विक महामारी में खुद को बचाना है,
हर वक्त हर लम्हा अपनों संग बिताना है।
छोड़ देनी है वह सभी कारणों को जो यह कहती कि वक्त कहां है।
बच्चों में यु घुलना है, मानो दूध में मिश्री तभी तो जीवन का मिठास मिलेगा, वक्त ठहरेगा।
जो ढूंढते थे खाने में स्वाद,
वो आज स्वाद के उस्ताद बन गए।
जो रसोई में न जाते थे, वो आज सैफ बन गए।
वृद्धों का रखना है खास खयाल, क्योंकि वह शान होती है, आन होती है ,वही तो घर की जान होती है।

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राहों में चलते चलते
बीते कल से यूं मुलाकात हुई।
हां या ना, क्या कुछ बात हुई?

हां,कुछ यादें ताजा हुई, कुछ बातें साझा हुई,
फिर भी वह बात कहां नई,
क्योंकि अब तो दौड़ थी नई।
राही वन कुछ कदम ही चले हम,
पर हां कुछ पल संग तो चले हम।
वक्त ने खुद को यूं दोहराया,
बीते कल को सामने लाया।
दोनों मिले बातें भी हुई,
मगर सिमटकर रोते हुए।

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क्या पता था ऐसे दिन भी आएंगे...
जब ऊपर खुदा आसमां होगा और नीचे खुला मैदान, पास सब होंगे फिर भी किसी का इंतजार होगा।
भुला चुके वह दौड़ छोड़ चुके वह शोर, अब तो बच्चों की हंसी से होता भोर।
पहले अपनों से ही बस थे रिश्ते मीठे, आज तो उनसे भी है नाते जिनसे थे रूठे।
क्या पता था ऐसे दिन भी आएंगे.....
काम का सुरूर यूं चढ़ा था, घर कहां है क्या पता था। आज सुकून यूं मिला है, सोचता हूं यह दिन कहा था।
क्या पता था ऐसे दिन भी आएंगे....।

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