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अभी भी इतना काबिल हूं की तुझमें थोड़ा सा शामिल हूं निकाल भी दोगे गर जर्रा जर्रा मेरा तो भी खुशी होगी मुझको इसकी की तुझसे बिछड़ कर भी किसी को ना हासिल हूं मै करके टुकड़े जो दोगे छोड़ फैल जाऊंगा आसमां में और आसमां से जमीं तक पहुचुंगा इस कदर... जैसे तेरे कारवां का हिस्सा हूं मै साथ तेरा ना पा सका तो कोई गम नही हौसला मेरा यह है कि तुझे अब भी याद हूं मै तुझे भुलाने की नही करता अब मैं कोई कोशिश, क्योंकी तेरी बातों को याद करके कहता है दिल मेरा - फौलाद हूं , फौलाद हूं... फ़ौलाद हूं मै #षणानन
पूरी दुनिया क्या सोचती है तुम्हारे बारे में, फर्क नही पड़ता, जो तुम्हारी पूरी दुनिया है वो तुम्हे क्या समझता है फर्क पड़ता है, वो तुम्हे किस नजरो से देखता है फर्क पड़ता है, जो अपने दुखों को ना जताए, सिर्फ खुशी जाहिर करे - खाक तुम्हे कुछ अपने लिए मानता है, हां वो मानता है - वो तुम्हे बेइंतिहा मोहब्बत करता है शायद इसी वजह से तुम्हे अपना दुख नहीं बताना चाहता वो सोचता है की तुम सिर्फ खुश रहो, वो सोचता है की तुम उसके सुख के साथी हो, तुम उसके साथ तभी तक हो जब तक उससे तुम्हे खुशी मिलती है, और इसीलिए वो अपना दुख नहीं बताता तुम्हे, इसका मतलब वो तुम्हे चाहता तो बहुत है पर समझ नही पाया उसके लिए तुम बहुत मायने रखते हो लेकिन वो ऐसा समझता है की वो तुम्हारे लिए कोई मायने नही रखता। न - न, इसमें गलती उसकी नहीं तुम्हारी है की तुम उसे अभी तक इतना भी यकीन नही दिला पाए हो कि वो तुम्हारे साथ अपना गम बांट सके, रो सके तुम्हारे कंधे पर सिर रखकर, जब गम में हो तो रुके और सुन सके तुम्हारी बातों को, हां इसमें सरासर तुम्हारी ही गलती है, #षणानन
अच्छी लगती हो जब तुम खिलखिलाती हो, मस्ती करते हुए तुम अच्छी लगती हो ठीक ही है मैंने नहीं बनाया तुझे सागर, तुम नदी की तरह बहते हुए अच्छी लगती हो #षणानन
वापसी की गुहार तुम चले जाओगे, बहुत याद आओगे छोड़ कर जाओगे, दिल को बहुत तड़पाओगे आंखे नम हो जाएंगी याद कर तुम्हे ढूंढेंगी रहेंगी निगाहें इधर उधर तुम्हे यादों में सोचता रहूंगा मै हरदम तुम्हे जब जाना ही था यूं छोड़ कर, तो मुझसे लगन लगाई क्यों लौटना नहीं जब मुंह मोड़कर, तो इतनी प्रीत बढ़ाई क्यों आओ भी अब लौट कर, करने को अंतिम मिलन बेताब हूं तुम्हे सोचकर, निभाने को सारे वचन।। #षणानन
मुझे भी डर है, असफल होने का फासले बढ़ कर, दूर होती मंजिल का लेकिन मंजिल पर पहुंच कर, गुम हो जाते रास्तों का नदियों के सूख जाने का, आसमां के गिर जाने का वृक्षों के सूख जाने, और तारो के टूट जाने का इंसान के भीतर की इंसानियत के मर जाने का #षणानन
शीघ्र अतिशीघ्र से करे जो कोई काज। बिगाड़े आपन काज और गवाएं लाज।। https://www.matrubharti.com/novels/17630/b-b-by-abhinav-bajpai #शीघ्र
कितना बेवकूफ था वो जिसने तुम्हारी हर बात पर कर लिया था भरोसा और कितने बेवकूफ थे तुम जो तुमने तोड़ दिया उसका भरोसा??? #षणानन https://www.matrubharti.com/book/19886108/bakri-aur-bachche-1 #बेवकूफ
बचपन में मेरे आती वो चिड़िया, बनाने अपना घोंसला तिनके बीन कर ले जाती मेरे घर से, कभी खेतो से आयी गेहूं की बाली तो कभी झाड़ू से उसने सींक निकाली देखती दूर से हम सबको चुन चुं कर दाने, चाहा था दबे पांव जाकर पकड़ना मैंने भी पर वो थी कि, घोंसले में फुर्र से उड़ जाती, मेरे हाथ कभी ना आती मेरी ललचाई नज़रों से नहीं कभी घबराई पर ना जाने क्यों एक दिन, वो शरमाई और चली गई जहां से वो थी आई निकली वो बड़ी हरजाई मै रो- रोकर हुआ बेहाल काम पूरा होने पर हरएक को होता है जाना पर मम्मी ने ये बात थी समझाई, फिर एक दिन मिला उसका घोंसला, मेरे घर की दीवार के बड़े से छेद में जिसे मैंने रखा अपनी अलमारी में उसकी याद में संभाल... #षणानन #घोंसला
पुरानी पोस्ट के साथ🙏 "तनहाई", https://www.matrubharti.com #षणानन
एक प्रश्न आप लोगो से.. मैंने बचपन में एक कहानी का नाट्य रूप दूरदर्शन पर देखा था, कहानी और लेखक का नाम मुझे नहीं पता क्या कोई उस कहानी और उसके लेखक का नाम बता सकता है??? उस कहानी का दृश्य इस प्रकार है कि- "एक कुआं होता है जिसकी सफाई करवाने पर तरह तरह की वस्तुएं निकलती है और प्रत्येक वस्तु की एक कहानी होती है, कुआं कि सफाई करने वाले को बाल्टी में रस्सी बांध कर अंदर भेजते है और वो हर बार किसी एक वस्तु के साथ बाहर आता है फिर उस वस्तु से संबधित व्यक्ति के दिमाग में एक कहानी चलती है" प्रत्येक निकलती वस्तु के साथ कहानी और रोमांचक होती जाती है। मुझे खेद है कि इस कहानी का अंत में नहीं देख पाया, किंतु यदि आप में से कोई इस कहानी का नाम और लेखक का नाम बता सके तो मैं इसे दोबारा अवश्य पढ़ना चाहूंगा।🙏🙏🙏 #षणानन
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