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दिल में जो दर्द था, उसे अब छिपाते हैं, जो कभी अपने थे, वो भी पराए हो जातेे हैं। वो जो कहते थे, साथ निभाएंगे हमेशा, अब उनके बिना भी हम ,उन्हे याद फरमाते है कभी उनके ख्वाबों में खो जाते थे हम, अब उनकी यादों में रुलाए जाते हैं हम। धोखा था, पर दर्द इससे भी गहरा है, कि हमने खुद को खुद से ही खो दिया है। कभी जो हमारा था, वो अब किसी और का हो गया, रिश्तों की वो मिठास अब कड़वाहट बन गई। पर दिल को समझा लिया है, इस राज़ को, कभी जो हमारा था, वो कभी हमारा था ही नहीं
कौन-सी बात कहाँ, कैसे कही जाती है, ये सलीक़ा हो, तो हर बात सुनी जाती है.!! जैसा चाहा था तुझे, देख न पाये दुनिया, दिल में बस एक ये हसरत ही रही जाती है.!! एक बिगड़ी हुई औलाद भला क्या जाने, कैसे माँ-बाप के होंठों से हँसी जाती है.!! कर्ज़ का बोझ उठाये हुए चलने का अज़ाब, जैसे सर पर कोई दीवार गिरी जाती है.!! अपनी पहचान मिटा देना हो जैसे सब कुछ, जो नदी है वो समंदर से मिली जाती है.!! पूछना है तो ग़ज़ल वालों से पूछो जाकर, कैसे हर बात सलीक़े से कही जाती है.!!
जीवन क्या है जब मैंने जाना तब राहों पर चलना आया बहुत कठिन है जग की माया अब हमको ये समझना आया लोग हमारे अपने है जब तक जब तक रहती है पास में माया भईया बहुत कठिन है जीवन हमको अब ये समझना आया सब अपने रंग बदलते हैं गर ना हो पिता का साया मतलब की इस दुनिया मुझे कोई समझ ना आया दुनिया की हर चीज है सस्ती गर सर पर बाप का साया जीवन क्या है जब मैंने जाना तब राहों पर चलना आया बहुत जटिल है यह दुनिया और इस दुनिया की माया
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