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तुम्हारा कुछ सामान.. हम दोनो के बीच पड़ी तुम्हारी ये पुरानी किताब नाम से तो किसी बड़े इंशा-पर्दाज़ की मालूम पड़ती हैं। मगर उस से मेरा क्या वास्ता में तो बस उसे किताब ए मोहोब्बत नाम देती हूं। जिसके पन्नो के बीच कैद है कई पुराने रोमानी खत। कई सूखे गुलाब और कई पोशीदा एहसास...
नमस्कार । मैंने अपने इनबॉक्स में कई संदेश देखे हैं लेकिन प्रीमियम सदस्यता की कमी के कारण मैं उन्हें देख नहीं पा रही हूं और ना उनका उत्तर दे पा रही हूं इसलिए यदि आप में से किसी के पास कोई महत्वपूर्ण प्रश्न है तो बेझिझक मुझसे इंस्टाग्राम पर संपर्क करें। ध्यान दें इसका उल्लेख अवश्य करें की आप मातृभारती कम्युनिटी से है। धन्यवाद। 🆔 https://instagram.com/aastha_rawat04?igshid=MzNlNGNkZWQ4Mg==
Hello everyone. I have seen many messages in my inbox but due to lack of premium membership I am not able to see or reply to them so if any of you have any important question feel free to contact me Message me on Instagram. Note - that it should be mentioned that you are from Matrubharti my I'd https://instagram.com/aastha_rawat04?igshid=MzNlNGNkZWQ4Mg==
Aastha Rawat लिखित कहानी "अंतरा - भाग 2" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें https://www.matrubharti.com/book/19944002/antara-2
A suspense thriller story antara read now. Aastha Rawat लिखित कहानी "अंतरा - भाग 1" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें https://www.matrubharti.com/book/19943225/antara-1
सदैव वो पुरानी तस्वीरे जिनमे तुम थे और में भी थी वो दूर होते हुए भी सदैव मुझे सबसे पहले दिखती रही क्यों की तस्वीरों का आकर्षण सदैव रही तुम्हारी चमकती आंखे जिनमे सदैव मुझे दिखती रही कुछ और पुरानी तस्वीरे जिनमे भी तुम थे और मैं भीं थी । और उनका आकर्षण भी सदैव रही तुम्हारी चमकती आंखे।।
कुछ भावनाओ को उनके हवाले किया सो वो हंस दिए। कुछ भावनाओ को कागजों के हवाले किया सो वो फट गए .....
कुछ चिट्ठियां मैंने उनके नाम भी लिखी जिनसे फिर कभी मुलाकात ना हुई थी। और पहुंचा दी ऐसे पते पर जहां आना जाना लगा रहता था। - आस्था रावत
सावन जब फिर बरेसेगा जब फिर गुलाब खिल जायेंगे क्या तुम तब आओगे? जब ये सारे कोरे पन्ने मेरी कविता से भर जायेंगे आंसुओ से फट जायेंगे। टुकड़ों में बंट जायेंगे क्या तुम तब आओगे? घुट घुट गहरी काली घटा जब बिन बरसे मर जायेगी। ठंडी ठंडी सर्द हवा जब हर आंसू को जमाएगी चंदा होगा आसमान में पर चांदनी धुंधली हो जायेगी क्या तुम तब आओगे जब पेड़ों की पत्ती गिर जाएगी सूखी पतझड़ शोर मचाएगी कलियां सब सड़ जायेगी क्या तुम तब आओगे जब ये जोगन मर जायेगी
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