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कैसे करूं मैं इनकार उसका, जिसको खुद रब ने मेरे लिए बनाया है, -Dhvani Upadhyay
दुनिया के सौ रंग नही समझ पाओगे आप की कल क्या था इसका ढंग, आज क्या है इस मजबूरी का नया रंग, वक्त नही लगेगा इसे बदलते हुए क्योंकि हैं ये गिरगिट के सम, बाहर से है ये अलग पर अंदर झांक के देखो तो दिखेगा इसका असली रंग, क्योंकि पर्वत भी लगते है नीले सम, ऐसे ही दुनिया के है सौ रंग..... -Dhvani Upadhyay
भटकने का समय नहीं रहा अब, क्योंकि ज़िंदगी के हर मकसद को जान चुका हु अब मैं, अच्छे लोगो की खोज मैं हार चुका हु मैं, हर किसी से महोब्बत जुड़ा कर दिल तुड़वा चुका हु मैं, बहस और दलीलों से अब ऊपर उठ चुका हु मैं, सबको यकीन दिलाना अब छोड़ दिया है मैने, -Dhvani Upadhyay
तेरा ख्वाबों में ना आना और खयालों से गुजर जाना, मानो एक दुआ कबूल होते होते खुदा का मुकर जाना -Dhvani Upadhyay
ये आसमान जलती जमीन पर नहीं आने वाला , अब यहां कोई पयंबर नहि आने वाला , प्यास कैसी है चलो रेत निचोड़ी जाय, अपने हिस्से में समंदर नहीं आने वाला, -Dhvani Upadhyay
दर्द की धून एसे लगी जैसे फूल पे मानो तितली का आकर्षण, एसे थिरकती रही उस पर मानो नृत्यांगना का नाच, बहूत रुलाया पर थक कर भी फिर से, उठ कर नाचना सीखा गयी, जिन्दगी के रंग को देखना सिखा गयी, रोज मिलन होगा हमारा कहकर चली गई। -Dhvani Upadhyay
किसकी क्या मजाल जो छेड़े दिलेर को, गर्दिश में तो घेर लेते है कुत्ते भी शेर को, -Dhvani Upadhyay
I am drowning I am drowning in love is a whirl A beautiful whirl In which to drown immersion I would be the crown with no diversion... Not waving only drowning...🌊🌊🌊 -Dhvani Upadhyay
શબ્દોના સહવાસથી સ્પર્શી જાય છે કોઈ અહિં, છેક ભીતર સુધી મહેંકી જાય છે કોઈ અહિં, -ધ્વનિ ઉપાધ્યાય
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