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Dhvani Upadhyay

Dhvani Upadhyay

@1998dhvaniupadhyay2798
(4)

कैसे करूं मैं इनकार उसका,
जिसको खुद रब ने मेरे लिए बनाया है,

-Dhvani Upadhyay

दुनिया के सौ रंग
नही समझ पाओगे आप की कल क्या था इसका ढंग,
आज क्या है इस मजबूरी का नया रंग,
वक्त नही लगेगा इसे बदलते हुए क्योंकि हैं ये गिरगिट के सम,
बाहर से है ये अलग पर अंदर झांक के देखो तो दिखेगा इसका असली रंग,
क्योंकि पर्वत भी लगते है नीले सम,
ऐसे ही दुनिया के है सौ रंग.....

-Dhvani Upadhyay

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भटकने का समय नहीं रहा अब,
क्योंकि ज़िंदगी के हर मकसद को जान चुका हु अब मैं,
अच्छे लोगो की खोज मैं हार चुका हु मैं,
हर किसी से महोब्बत जुड़ा कर दिल तुड़वा चुका हु मैं,
बहस और दलीलों से अब ऊपर उठ चुका हु मैं,
सबको यकीन दिलाना अब छोड़ दिया है मैने,

-Dhvani Upadhyay

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तेरा ख्वाबों में ना आना और खयालों से गुजर जाना,

मानो एक दुआ कबूल होते होते खुदा का मुकर जाना

-Dhvani Upadhyay

ये आसमान जलती जमीन पर नहीं आने वाला ,
अब यहां कोई पयंबर नहि आने वाला ,

प्यास कैसी है चलो रेत निचोड़ी जाय,
अपने हिस्से में समंदर नहीं आने वाला,

-Dhvani Upadhyay

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दर्द की धून
एसे लगी जैसे फूल पे मानो तितली का आकर्षण,
एसे थिरकती रही उस पर मानो नृत्यांगना का नाच,
बहूत रुलाया पर थक कर भी फिर से,
उठ कर नाचना सीखा गयी,
जिन्दगी के रंग को देखना सिखा गयी,
रोज मिलन होगा हमारा कहकर चली गई।

-Dhvani Upadhyay

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किसकी क्या मजाल जो छेड़े दिलेर को,
गर्दिश में तो घेर लेते है कुत्ते भी शेर को,

-Dhvani Upadhyay

I am drowning
I am drowning in love is a whirl
A beautiful whirl
In which to drown immersion
I would be the crown with no diversion...
Not waving only drowning...🌊🌊🌊

-Dhvani Upadhyay

શબ્દોના સહવાસથી સ્પર્શી જાય છે કોઈ અહિં,
છેક ભીતર સુધી મહેંકી જાય છે કોઈ અહિં,
-ધ્વનિ ઉપાધ્યાય