Kash.. Kuchh kah pati in Hindi Poems by SARWAT FATMI books and stories PDF | काश..कुछ कह पाती

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काश..कुछ कह पाती

कहना

मेरी ज़ुबान लड्खडाती रही है

तुझसे कुछ कहने से

इस दिल मे दर्द तो बहुत हैं

तुझे बताने के लिए

नज़रे तुमसे कैसे मिलाए

वो कुछ ना कह दे तुमसे

कदम बढाने से पहले खुद को रोक लेती हुँ मैं के कही

वो कदम तुमहारे पास आ कर रुक ना जाए

सजा खुद को दे रही हुँ मै

डर हैं कही तुझे ये

एहसास हो ना जाए

दुर होने की वजह क्या बताऊ तुझे

कुछ पल की मेहमान हुँ

वो तुझे बताऊ कैसे

दर्द

आज मैं वही आ खडी हुई जहाँ पहले थी

आँसू तो है आँखो मे

पर एक लकिर की तरह

गला तो ऐसे भी सुख गए

सिसकियो को समभालने मे

हिचकिया भी नही आती के

बहाने से पानी के पास जाऊ

वक़्त ने ऐसा करवट बदला के

मै खुद करवट बन गई

दुनिया अब अच्छी नही लगती मुझे

खुद मे ही दुनिया बना दिया दुनिया वाले ने

अब तो कदम भी उठाती हुँ चलने के लिए

तो यूही कदम रुक जाते है

किस किस से कहु ये सब अपनी बाते

कभी अपनो ने तो कभी दुनिया वाले ने रुलाया है

अब तूही बता “सरवत” ज़िंदगी किस के नाम करू

यादे

कभी रातो मे छुप के रोना

कभी चाँद को देखकर बाते करना

कभी तुम्हारी बाते याद कर के हँस पडना

तो कभी उन यादो के कडवी बात याद कर के रो पडना

कभी मेरी परछाई बन के साथ चलना

तो कभी उस परछाई से तुम्हारा दुर जाना

कभी मेरा कुछ ना कहना और तुम्हारा समझ जाना

पर आज मेरा कहना पर तुम्हारा कुछ ना समझना

कभी तुम्हारा प्यार से बाते करना

तो कभी तुम्हारा “शक” की नज़रो से बाते करना

कभी तुम्हारा पल पल प्यार दिखाना

तो कभी उन्ही पाल मे रुला देना

अब आलम ये है की मेरा तुमसे कुछ ना कहना

और तुम्हारा हर पल मे खुश रहना

“सरवत” कहना मान लो मेरा दिल ना देना

किसी को जब कोई कह दे हुँ मैं तुम्हारा हमदर्द या साया

आदत

किसी का दिल दुखाना मेरी आदत नही

किसी से अपनी खुशी मांगना मेरी आदत नही

हम ने उन्हे ही अपनी खुशी मांगी

जिन की खुशीयो मे हम शामील नही

ज़िंद्गी के सफर मे जब मुड कर देखा उन्हे

तो दुर खडे वो अपने लोगो के साथ खुशीयाँ बाट रहे थे

जब मेरी नम आंखो ने उनसे अपनी खुशी मांगी

तो उन्होने हॅँस कह दिया

अपनी खुशी किसी और मे डुँढने की कोशीश करो

मैं फिर वही आ खाडी हुई

जहाँ पहले थी

खुशीयाँ डुँढने मे,मै खुद को भुल गई

और तकदीर ने मुझे गम ही दे डाला

सोचना

रास्ते मे जाते हुए उनकी बाते

याद कर के हँस पडना

गुज़ारा जो था लम्हा उनके साथ

याद करते हुए महफिल मे रो पडना

मांना की उनके दिल मे अब मै नही

जाते जाते उनहोने प्यार से हाथ थामते हुए कह दिया

भुल जाना मेरे उन यादो को जो गुज़ारा था कभी तुम्हारे साथ

मैं भी रोते हुए कह दिया

जो वादा किया था मेरे संग

मत करना किसी और के संग

जाते हुए पलट कर देखा नही मुझे

और कहते हैं के खुश रहना मेरे बगैर

अब क्या बताऊ दोस्तो अपने दिल की बातो को

बस गए हैं वो मेरे सांसो मे..

दबे पांवो

दबे दबे पांवो मेरी ज़िंदगी मे आना

आकर मेरी तक्दीर बदल देना

मेरी हँसी मे अपनी खुशी डुँढ्ना

अपनी हाथो को मेरे हाथो मे थामना

मुशकीलो मे मेरे करीब रहना

तेरी इज़्ज़त से आगे बढना

रातो मे चाँद को देखते हुए कहना

ये है हमारी मंज़ील जिसे हमे पाना हैं

उसकी छोटी छोटी बाते

पता नही कब बडी बन गई

उसकी आंखो,और धडकनो मे मेरा नाम नही

पता नही कब वो दबे पांवो मेरी ज़िंद्गी से चली गई..


एहसास

मैं युही अकेले रह गयी

सोचा कभी तो होगी कमी का एसास मेरा

जब कभी मिलते थे हम उनसे तो कहते थे

रह ना पाऊंगा तुम्हारे बिना

और उसकी नाम आंखे सब कह जाती थी

और आज जब मिलते हैं हम उनसे

तो कहते हैं खुश होना तुम

और मेरी नम आंखे कहती हैं

हाँ रहने की कोशिश करती हुँ

और उसका कहना ध्यान रखना खुद का

और किसी के साथ चले जाना

मैं अकेली रह गई,और मेरी नम आंखे वो पहचान ना पाए

या खुदा कर मुझपे इतनी अतह के हो उसको मेरी कमी का एहसास एक बार

सवाल

अपनी हँसी मे आंसू छुपा लेना

रुठे लोगो को प्यार से मना लेना

किसी के खुशी मे शामील हो कर

अपनी खुशी ढुढं लेना

आइने सामने खुद को निहार लेना

कभी उसकी बातो को याद कर के खुद मे हँसते हुए रो लेना

राह मे चलते हुए खुद को तन्हा पा लेना

गिरते हुए आंसू मे उसकी तस्वीर नज़र आ जाना

उसके नाम को कलम उठाते ही लिख देना

कभी खुद से सावल करना

क्यू चाहा उसे जो कभी मेरा ना हुआ

प्यार था वो मेरा,या एक भुल जो भुले ही नही जाता

कुछ कहना

जब मैंने तुम्हे देखा दिल मे कुछ बात हुई

सोचा पास आकर पुछ लु तुम्से

पर युही तुम दुर चली गई

आंखो मे अश्क लेकर दोस्तो के सामने मुस्कुराता हूँ मैं

पता नही तुम्हे देख सब कुछ कहने को जी चाहता हैं

सब के होते हुए भी मैं अकेला हूँ

क्यो तुम्हे देख कर अपना सा लगता हैं

खामोशीयाँ देख कर तुम ने मुझसे कुछ कहा

और तुम्हारी इन बातो को रात मे याद करते ही सिसकियो मे रो पडा

तुम्हारी यादे,तुम्हारी हँसी,तुम्हारी बाते,

तुम्हारा मुझे बिना कहे समझना,तुम्हारा प्यार से मुझे समझाना

हर पल मुझे तुम्हारी याद दिलाती हैं

और मैं खुद से सवाल करता हूँ कभी कभी

क्यो तुम मुझे पहले नही मिली

तुम्हारा पास मे रहना,तुम्से बाते करना

अकसर मेरे दिल को सुकुन दे जाता हैं

साथ

एक पल के लिए लगा

अब तु हमारे बिच नही

खुदा से दुआ मांगा भी तो

सिर्फ तेरी लम्बी उम्र के लिए

माना तेरे दिल मे ज़खम बहुत हैं

पर इस दिल मे एक नाम हैं

जो तुझे ना रोने देगा और ना उदास रहने

वो कोई ओर नही,वो तुम्हारी आत्मा ओर तुम्हारी परछाई होगी

असर ना था

पहली बार ऐसा हुआ

जो कभी नही हुआ

ज़िंद्गी के रंग फिज़ाओ मे भिखरने लगे

खुद की गलतीया ओर खुद के प्यार को बिखरते हुए देखने लगे

के काश..कुछ कह पाती मैं

के काश..रोक पाती मैं

दुवाए भी बहुत किया

पर शायद मेरी दुवाओ मे वो असर ही नही था