Intejaar in Hindi Poems by SARWAT FATMI books and stories PDF | इंतेज़ार

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इंतेज़ार

जी चाहता हैं

कभी अपनी हँसी पर भी आता हैं गुस्सा

कभी सारे जहाँ को हसाने को जी चाहता है

कभी छुपा लेते हैं, गमो को इस

दिल के किसी कोने मे

कभी किसी को सब कुछ बताने

को जी चाहता हैं

कभी रोती नही हूँ मैं किसी किमत पर

कभी यूही आंसू बहाने को जी चाहता हैं

कभी अच्छा लागता है,आज़ाद उड्ना

कभी किसी बंधन मे बंध जाने को जी चाहता है

कभी लगता हैं अपने बेगाने से

कभी बेगानो को अपना बनाने को जी चाहता हैं

कभी उपर वाले का नाम हि आता ज़ुबान पर

कभी उस्के पास जाने को जी चाहता है

रहने दो

वो खफा हैं हमसे तो खफा ही रहने दो

हम को उनका गुनाहगार ही रह्ने दो

वो समझते हैं के हम ने छोड दिया उनको

बात तो झुठ हैं मगर सच ही रहने दो

मैंने तो माँगी हैं खुदा से खुशीयाँ उनकी

जो आता हैं इलज़ाम हम पे तो

इलज़ाम ही रहने दो

उनकी शर्त हैं के मैं बेवफा बनु

अगर खुशी मिले उनको तो

मुझे बेवफा ही रहने दो

आयेगा वक़त तो दिखायेंगे उनको अपना ज़खम

अभी खामोश हूँ तो मुझे बस खामोश ही रहने दो

बयान करु

तेरे बिना मेरी जिंद्गी क्या हैं

वो तुझे कैसे बताऊ

वो अकेला छोड कर चले गये

क्या गुज़री मुझ पर वो कैसे बयान करु

लौट कर आना एक बार जरुर

क्योकी मेरे ज़नाजे का फुल

और खाट ढूँढेगी तुझे

रोकर जब पलके तेरी मुझे तलाशेंगी

तब मेरी कमी तुझे पुकारेगी

मैं रुठ कर चली जाऊगी

और तुम जिंद्गी भर रुठे रह जाओगे

दुआवो

तुझे बडी दुआवो से माँगा है हमने

कभी जुदा नही होंगे खुदा से फरयाद किया हैं हमने

मोहब्बत हो गयी हैं तेरी दिवानगी देख कर

अब तो हाथ भी उठाते हैं

तेरी दुआवो के लिये

तेरी छोटी छोटी बाते याद हैं हमे

छोड कर कही नही जायेंगे तुझे

तेरी एक हँसी के लिये कर दु कुर्बान अपनी जिंद्गी

अये खुदा मेरी उम्र लम्बी कर दे

खामोश

खामोश हूँ मै तेरी खामोशी के लिये

आज जो हूँ सिर्फ तेरे लिये

पल पल की खबर दी हवाओ ने तेरे आने की

खता होगयी उन हवाओ को पहचान्ने मे

किताबो के पन्नो को पढ रही थी मैं

के अचानक हवाओ ने पन्ने ही पलट दिये

बैर हो गयी हैं मुझे उन हवाओ के झोको से

जो बेवक़्त आते है और तेरी याद दिला जाती है

समुंद्र के किनारे बैठ कर उन यादो को याद करती हूँ

जो बिताये थे कुछ पल तेरे साथ

अब उसे पुकारा करती हूँ मैं

अब क्या बताऊ तुमहे ‘’सरवत ‘’

समुंद्र के लहरो की तरह ज़िंद्गी बह गयी

महसुस

मैंने जब सोचा तेरे बारे मे

खुद को महसुस किया

क्या सोचा था तेरे बारे मे

क्या होगया मेरे साथ

तेरे से एक गुज़ारिश हैं

मुझे बेवफा मत कहना

आज भी उस चाँद की तरह मै बेबस हूँ

पर तु एक सुरज हैं, तुझ से ही हैं रोश्नी

अब क्या बताऊ तुझे,के मैं एक अंधेरे कमरे की तरह बन गयी

जहाँ कभी रोशनी नही आती

ज़रुरत

आज मुझे तुम्हारी ज़रुरत थी

पर तुम नही थे

हर याद,हर सास मे तुम थे

पर तुम मेरे पास नही थे

मै रात मे सिसकीया लेकर रोती रही

पर आँसू पोछने को तुम नही थे

अकेले बैठ कर तुम्हारे आने का इंतेज़ार कर रही थी

पर तुम्ने इस इंतेज़ार को इंतेज़ार ही रह्ने दिया

दुर जाते रहे मुझसे तुम

पर तुम्ने एक बार मुड कर नही देखा

क्या गुज़री मुझपे

सभी की खुशीयो मे शामील रहे

और आज मेरी खुशियो को अपने पैरो तले खुचलते रहे

सिखना

गमो मे मुस्कुराना कोई तुमसे सिखे

किसी को हसाँना कोई तुमसे सिखे

इतनी छोटी सी उम्र मे क्या तुम्ने सिखा

वो कोई तुमसे सिखे

माना की कभी खफा हो जाती हूँ तुमसे

मनाना कोई तुमसे सिखे

चले जाते हो मुझसे तुम दुर

लेकिन पास बुलाना, याद करना

कोई तुमसे सिखे

उम्मीद

मैं हवा तु पानी

मैं सहारा तु मंज़ील

मैं इंतेज़ार तु प्यास

तु जीने की ताकत

मैं हौसले की मुरत

तु आगाज़ मैं तेरी संगम

तुही दिल की धडकन

तुही मेरा सब कुछ

चाहा तुझे तुझसे ज़्यादा

खता थी मेरी या प्यार

अब तुही बतादे मेरे यार

अच्छा लगता हैं

ज़िंदगी हमे किस मोड पर ले आयी हैं

ना मरना अच्छा लगता हैं और ना ज़िना

किस किस से कहु अपने दिल की बात

कभी अपने तो कभी पराये अच्छे लगते हैं

कैसे अपने दिल को समझाऊ

के आंखो मे अश्क लेकर मुस्कुराना कैसा लगता हैं

कभी भिड मे लगता हैं आवाज़ आयी किसी की

मुस्कुरा कर मुडना अच्छा लगता हैं

कभी सभी को हसाना अच्छा लगता हैं

तो कभी उनके हिस्सो मे

शामील हो कर गमो को छुपाना अच्छा लगता हैं

सोचा था

हमने सोचा था के प्यार दे

जाएंगे तुमहे

कशती पर बैठ कर किनारे

तक ले जाएंगे तुमहे

सोचा था तुमहे जहाँ की

खुशीया दे जाएंगे

पल पल की खबर रख कर

चेहरे पर मुस्कान रख कर

तुम्हे हसाने की कोशीस कर जाएंगे

कभी सोचा था युही चलेंगे साथ तुम्हारे

पर यू तुम रुक जाओगे

कभी सोचा ना था

चाहती हूँ

भिड मे तुम्हारे हिस्सो मे शामील होना चाहती हूँ

तुम्हारे खवाबो को सच करने के

लिये हौसला देना चाहती हूँ

हो जाए गलतीया तो उसे

सुधार कर बढना चाहती हूँ

मैं कुछ नही हूँ तुम्हारे लिये

पर कुछ ना हो कर भी होना चाहती हूँ

तुम्हारे हाथो को हाथ मे लेकर

तुम्हारे साथ चलना चाहती हूँ

खवाबो को सच कर के सभी को

खुश रखना चाहती हूँ

चले जाओगे

चले जाओगे बेशक मेरी ज़िंद्गी से

मगर इस दिल से किस तरह जाओगे

आएगी जब मेरी याद आंशू ही बहाओगे

चाहोगे मुझसे मिलना पर मिल नी पाओगे

पुछेगा कोई तो गलती मेरी ही बताओगे

होंगे तुम्हारे मेहफिल मे सभी

मगर हमे नही पाओगे

मेहफिल मे रेहकर भी तन्हा हो जाओगे

सोचोगे जब मेरे बारे मे तो फिर पचताओगे

माना की मिल जाएंगे बहुत से

मगर मुझे कहाँ से लाओगे

मुशकिल हैं

मोहब्बत का इरादा बदल जाना मुशकिल हैं

तुझे खोना भी मुशकिल है, तुझे पाना भी मुशकिल हैं

ज़रा सी बात पर आंखे भिगो लेते हो

तुझे अपने दिल का हाल बताना भी मुशकिल हैं

उदासी तेरे चेहरे पे गवारा भी नही

लेकिन तेरे लिये चाँद सितारे तोड कर लाना भी मुशकिल हैं

यहाँ लोगो ने खुद पे पर्दे इतने डाल रखे हैं

के किस के दिल मे क्या है नज़र आना भी मुशकिल हैं

तुझे ज़िंद्गी भर याद रखने कि कसम तो नही ली

पर एक पल के लिये तुझे भुल जाना भी मुशकिल हैं