Kuchh pal Anjane se - 3 in Hindi Love Stories by Gunjan Banshiwal books and stories PDF | कुछ पल अनजाने से - भाग 3

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कुछ पल अनजाने से - भाग 3

पूरा एक दिन बीत गया था। तथ्या और अमन दोनों ने एक दूसरे से बिल्कुल भी बात नहीं की थी।ऐसा नहीं था कि वे बात नहीं करना चाहते थे,उनके पास बाते तो बहुत थी पर इस बात की समझ नहीं थी कि शुरूआत  कहा से की जाए। लंबे सफर और दिन भर की थकान के कारण अमन जल्दी ही सो गया क्योंकि जल्दी उठकर वह तथ्या के साथ गांव घूमना चाहता था। आखिर इतना लंबा सफर केवल उसने तथ्या के लिए ही किया था।

अगली सुबह अमन ने समीर से गांव घूमने की बात कही लेकिन समीर को फसल को बेचने के लिए शहर जाना था।इसलिए समीर ने तथ्या को अमन के साथ जाने को कहा। तथ्या और अमन दोनों गांव  घूमने के लिए चले गए। कुछ  देर चुपचाप घूमने के बाद दोनों एक तालाब के किनारे जा बैठे।

अमन - क्या बात है तथ्या मुझे  आए पूरा एक दिन गुज़र गया लेकिन तुमने अभी भी मुझे एक शब्द भी नहीं बोला बल्कि हाल चाल तक नहीं पूछे।

तथ्या - तुमने भी तो कोशिश नहीं की बात करने की अमन अभी ये सब बाते छोड़ो संध्या चाची  और चाचा जी कैसे है।क्या उन्हें हमारी याद बिल्कुल भी नहीं आती कितना लंबा समय बीत चला है, चाची ने इतने दिनों में एक बार भी घर की तरफ रुख नहीं किया मां के जाने के बाद चाची ने ही मां की कमी पूरी की थी उनके हाथों में ही मैने मां के हाथ का स्पर्श महसूस किया था। तुम्हे पता है ऐसा एक।दिन भी नहीं गया जब मैंने चाची को या तुम्हे याद न किया हो।

अमन -  तुम याद करने की बात कह रही हो तथ्या मैं और मां तो तुम्हे भूल ही नहीं पाए ।हां वो अब तक गांव नहीं आई है। लेकिन इसके पीछे एक वजह है।

तथ्या - कैसी वजह ? 

अमन    इस बार मां की जिद्द थी कि उन्हें तुमसे बेटी के  रूप मे नहीं बल्कि बहु के रूप में मिलना  चाहती है। 

मैने अपने और मां के दिल की बात तुमसे कह दी अब मैं तुमसे तुम्हारे दिल की बात जानना चाहता हूं।

तथ्या -  ( आंखों में आंसू लिए) क्या मुझे इस बात को  जाहिर करने की जरूरत है। मैने हमेशा केवल तुम्हे अपना पति माना है  तुम्हारे अलावा अन्य किसी पुरूष को मैने अपनी जिंदगी में इस स्थान के योग्य नहीं समझा और ना ही कभी समझ पाऊंगी लेकिन तुम तो जानते हो भैया की बात से हटाकर मैने कभी कुछ नहीं किया और ये तो मेरी पूरी जिंदगी की बात है ,मेरी लिए इस मामले में भैया की हां बहुत जरूरी है।

अमन - तुम इस बात की बिल्कुल भी फिक्र मत करो तथ्या मैने  मां से आने के लिए पहले ही  कह दिया था वो कल गांव आ जाएंगी और समीर से हमारे रिश्ते के बारे  में  जरूर बात कर लेंगी अभी मुझे केवल तुम्हारी हां सुननी थी। जिसका इंतजार न जाने मैने कितने सालों से किया था। 

अगली सुबह अमन की मां ( संध्या ) गांव  आ गई। तथ्या ने संध्या का स्वागत किया।सारे दिन चारों ने खूब बात की और  संध्या ने अमन व तथ्या से बात की और उनकी मर्जी सुनने के बाद  तथ्या को गले से लगा लिया ।

रात के खाने के बाद जब सब एक साथ बैठे हुए थे और बात कर रहे थे तब संध्या ने समीर से अमन व तथ्या की शादी की बात की  समीर की आंखों में तथ्या की शादी की बात सुनकर आंसू आ गए। समीर ने तथ्या से उसकी मर्जी जानी जब तथ्या ने हां कहा दिया तो समीर की आंखों से जैसे आंसुओं की नदियां बह रही थी।उसने तुरंत उठकर तथ्या के सिर पर हाथ रख दिया तथ्या भी समीर की आंखों में आंसू देखकर उसके गले लग गई।

दोनों भाई  -बहन को इस तरह देख कर अमन और संध्या की आंखे भी छलक पड़ी।

अगले दिन बड़ी धूम -धाम से  अमन और तथ्या की सगाई हो गई।