Kuchh pal Anjane se - 1 in Hindi Love Stories by Gunjan Banshiwal books and stories PDF | कुछ पल अनजाने से - भाग 1

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कुछ पल अनजाने से - भाग 1

सवा का महीन था। चारों तरफ हरी चादर पेड़ पौधों को ढके हुए थी । आकाश में काली घटाएं छाई हुई थी जिसके कारण बहुत अंधेरा सा लगता था।रह- रह कर आकाश में बिजली कड़कती थी और सुनसान सड़क को भयानक रास्ते में तब्दील कर देती थी।
समीर ओर अमन दोनों आपस मे बाते करते हुए चले जा रहे थे।
समीर -  अमन तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही हैं? घर पर सब कैसे है।
अमन-  घर पर सब ठीक है और मेरी पढ़ाई भी पूरी हो चुकी है।हाल ही में मैने एक एक्जाम  पास कर लिया है बहुत जल्दी एक अच्छी नौकरी हाथ लग जाएगी।मां तुम्हे और तथ्या को बहुत याद करती है।इतने सालों में एक दिन भी ऐसा नहीं गया जब मां ने तुम्हे या तथ्या को याद ना किया हो।बल्कि वो तो मेरे साथ आना चाहती थीं लेकिन अचानक मामाजी की तबियत खराब होने के कारण उन्हें ननिहाल जाना पड़ा।
अमन - तथ्या की भी पढ़ाई पूरी हो चुकी होगी ना अब तक तो क्या करती है वो अब?
समीर - हां तथ्या ने  एग्रीकल्चर की पढ़ाई पूरी कर ली है।
साथ ही वो सभी जानवरों का ख्याल  भी रखती है।
तथ्या अब घर के साथ- साथ , खेती का हिसाब -किताब करने में निपुण हो चुकी है।
अमन - क्या वो अब भी कुछ शरारती हैं।
समीर - हां। शरारती तो वो अब भी बहुत है। दिन के समय जब पास के बच्चे उसके पास आ जाते है तो वो भी उनके साथ शामिल हो जाती है।
लेकिन जितना खेलती है। उतना ही वक्त उन्हें पढ़ाती भी है। 
समीर कड़कती हुई बिजली की तरफ इशारा करते हुए 
जब  बिजली कड़कती है तब तथ्या कुछ डर जाती है और बहुत देर तक मेरा हाथ कस कर पकड़ कर बैठ जाती है।कभी कभी तो डर के कारण उसकी आंखों में आंसू भी आ जाते है।
और कभी कभी तो वह जोर से चिल्ला उठती है .. मां 
लेकिन मुझे देखने के बाद वो अपना बर्ताव सामान्य कर लेती है जिससे मुझे बुरा न लगे।
अक्सर जब उसे मां की याद आती हैं तब वह अकेले में रो लेती है। लेकिन अपने आंसू  मेरे सामने जाहिर नहीं होने देती।
मां की कमी ने उसे अकेलेपन में जीना ओर अकेले लड़ना बहुत अच्छे से सिखा दिया है।
मेरी गुड़िया  बहुत समझदार हो चुकी है।  इतने सालों में उसने मुझे कभी मां की कमी महसूस नहीं होने दी बहुत बार तो उसने मुझे डॉट भी लगाई है।
 मैं तो उसकी मां बनने में असफल हो गया लेकिन वो मेरी मां बनने में पूरी तरह सफल हुई है।
मैं भी बहुत कोशिश करता हूं कि उसे मां की याद न आए पर ..
इतना कहते हुए समीर की आंखों से आंसू निकल जाते है।अमन भी अपनी आंखों के समंदर को अपने रुमाल में समेट लेता है।ओर जोर से समीर के कंधे पर हाथ रखता है।
दोनों थोड़ा चुप हो जाते है और घर की ओर जाने लगते है
अमन को तथ्या से मिलने की बेचैनी थी लेकिन जैसे जैसे घर की दूर घट रही थी अमन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी।रह रह कर छोटी सी तथ्या का चेहरा अमन की आंखों के सामने आता रहता था।
दूसरी तरफ अमन को कुछ चिंता हो रही थी।उसके मन में कुछ सवाल उठ रहे थे जैसे तथ्या मुझे पहचान भी पाएगी या नहीं 
में तथ्या से कैसे बात शुरू कर पाऊंगा।
तथ्या मेरे जाने पर कैसा बर्ताव करेगी ...
ये सब इसलिए था क्योंकि अमन ओर तथ्या एक दूसरे को बचपन से पसंद करते थे। और शहर जाने के बाद अमन व तथ्या एक दूसरे से बिल्कुल भी नहीं मिले थे
जब तथ्या की मां ने तथ्या को।जन्म दिया उसके माह भीतर ही तथ्या की मां का स्वर्गवास हो गया।
बरखा जो तथ्या की मां थी जब सात माह की गर्भवती थी तब तथ्या की पिताजी उन्हें ये वायदा दिए शहर गए थे कि जब उनका प्रसव का समय आएगा तब तक वह वापस गांव लौट आयेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
तथ्या के जन्म के बाद इंतजार करते हुए चिंता के कारण उनके प्राण शरीर से अलग हो गए।
समीर अपनी मां की मौत का कारण अपने पिताजी को मानता था।इस कारण जब भी कभी तथ्या अपने पिता के बारे में जानने की कोशिश करती तो समीर चुप हो जाता था या तथ्या के जिद्द करने पर किसी काम का  बहाना करके बाहर चला जाता था। लेकिन अब तथ्या ने भी अपने पिताजी के बारे में जानकारी लेना बंद कर दिया था हकीक़त तो यह थी कि इतने इंतजार के बाद उसे  अपने पिताजी से नफरत हो गई थी।