Kuchh pal Anjane se - 2 in Hindi Love Stories by Gunjan Banshiwal books and stories PDF | कुछ पल अनजाने से - भाग 2

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कुछ पल अनजाने से - भाग 2

तथ्या को परवरिश अपने भाई से मिली थी जिस कारण उसका सबसे ज्यादा लगाव अपने भाई समीर से ही था लेकिन यदि समीर के बाद तथ्या के जीवन में कोई महत्वपूर्ण था तो वो अमन था।अमन, तथ्या व समीर बचपन में साथ खेला करते थे। क्योंकि तथ्या सबसे छोटी थी इसलिए सबकी चहीती भी थी। अमन और समीर हमेशा तथ्या के साथ उसकी परछाई की तरह रहते थे।जब कभी खेलते हुए तथ्या को चोट लग जाती तो वे दोनों भी उसके साथ रोने लगते थे।

संध्या के गुजर जाने के बाद बरखा ने  तथ्या व समीर को बहुत प्यार से संभाला था। संध्या जब भी तथ्या के बाल बनाती तो दोनों संध्या का हाथ तथ्या के बालों से हटाकर खुद बाल बनाने लगते। संध्या ने बचपन  में ही तथ्या को अपनी बहु के रूप में स्वीकार कर लिया था।जब भी तथ्या व अमन साथ होते तो उन्हें साथ देख बरखा बहुत खुश होती थी।

लेकिन लगभग दो साल बाद अमन के पिताजी का ट्रांसफर  दूसरे स्थान पर हो गया और अमन उसके परिवार के साथ शहर चला गया। हालांकि संध्या जब भी गांव आती तो तथ्या को अपने साथ शहर ले जाती थी।ऐसे करके तथ्या भी दो तीन बार शहर जा चुकी थी। जब भी तथ्या शहर जाती तो अमन के साथ बिताए उन पलो को जो समय के साथ अनजाने लगने लगते उन्हें और भी गहरी यादों में बदल कर दोनों अपने दिलों में बसा लेते थे।

लेकिन जब अमन को पढ़ने के लिए हॉस्टल भेजा गया तो उसके बाद तथ्या एक बार भी शहर नहीं गई। लेकिन यह सोचकर कि अमन भी पढ़ने गया है वो भी पढ़ने लगी और धीरे धीरे पढ़ाई में बहुत तेज हो गई। 

ये सब तो हुई अमन ओर तथ्या के बचपन की बाते अब हम वापस उसी सड़क पर चलते हैं जिस सड़क से समीर और अमन घर जा रहे है।

जब अमन और समीर घर पहुंचे तब तथ्या घर के कुछ सामान का हिसाब लगा रही थी समीर को देख वह उठकर दरवाजे की और चली गई।

तथ्या -  ( दरवाजे पर ) भाई आज आपको आज सैर करने में इतना समय कैसे लग गया मुझे तो चिंता होने लगी थी।

समीर - मैं आज सैर पर नहीं गया था तथ्या बल्कि आज तो में किसी  खास मेहमान को लाने गया था।

तथ्या -( आश्चर्य से )  किसी लाने गए थे भैया आप

समीर  -  दरवाजे से दूसरी तरफ हट गया !पहचाना तथ्या 

तथ्या ने मुस्कुरा कर अपनी गर्दन झुका ली और अमन ओर समीर अंदर  आने के बाद समीर दोनों को बाते कर का बोलकर नहाने के लिए चल गया।

अमन और तथ्या एक दूसरे को देख कर बहुत खुश है तथ्या अमन को देख कर ठीक वैसे ही खुश होती है जैसे विरह में बैठी प्रेमिका परदेस से आए अपने प्रेमी को देख कर खुश होती है।  देखते देखते तथ्या की आंखों से दो आंसू की बूंदे झलक पड़ी जिन्हें अमन ने अपनी हथेली में समेट लिया और अपनी हथेलियों को अपने चेहरे से लगा लिया।दोनों ने अपने मुंह से अब तक एक शब्द भी नहीं बोला था।

शायद मनुष्य की यही प्रवृत्ति होती है जिसकी एक झलक पान के लिए वह दिन रात तड़पता है ,रोता है जब वो आंखों के सामने होती है तो वह बिल्कुल चुप हो जाता है।