Tere Mere Darmiyaan - 46 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 46

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तेरे मेरे दरमियान - 46

विकास :- यही कुछ 1000 करोड़ की ।


काली :- साला , एक ही बार मे बड़ा हाथ , चल ठिक है तेरा काम हो जाएगा । पर इस काम के लिए मुझे 50 करोड़ चाहिए ।

50 करोड़ सुनकर विकास हैरान होकर कहता है ---

विकास :- भाई 50 करोड़ ?

काली :- पुरी बात तो सुन ।

विकास :- जी भाई ।

काली :- 50 करोड़ लड़की को उठाने का , क्योकी हाई प्रोफाईल मामला है तो पुलिस को भी खिलाना पड़ेंगां , क्योकी पुलिस का लफड़ा नही मंगता है । 50 करोड़ साईन कराने का और 50 करोड़ उस बुड्डे को उठाने का । टोटल बोले तो 150 करोड़ ।

विकास ये सुनकर हैरान था । तब विकास कहता है --

विकास :- भाई 150 करोड़ , बहोत ज्यादा है ।

काली :- ऐ , तु धनबाद का फुटपात समझा है क्या , जो कम है ज्यादा है कररेला है । 150 मे मंजुर है तो बोल , वरना जा ।

विकास कुछ सौचता है फिर कहता है --

विकास :- ठिक है भाई मंजूर है ।

काली :- 50 खोया भेज एडवांस का और दोनो फोटू भेज , तेरा काम हो जाएगा ।

विकास :- ठिक है भाई ।

इधर 2 दिन बाद आदित्य जानवी के पास आता है और कहता है --

आदित्य :- जानवी जल्दी से तैयार हो जाओ , हमे कोर्ट जाना है । 

जानवी :- कोर्ट पर क्यों ?

आदित्य: - क्यों का क्या मतलब , आज पेसी है ना डिवोर्स की । आज के बाद तुम आजाद । जल्दी करो , मामा जी के आने से पहले निकलना होगा ।


जानवी सोच मे पड़ जाती है तो आदित्य कहता है --

आदित्य :- क्या सौचने लगी ।

जानवी :- कुछ नही । 

इतना बोलकर जानवी वहां से आदित्य के साथ कोर्ट चली जाती है । जानवी का मन कोर्ट आने का नही कर रहा था , पर फिर भी वो विकास के बारे मे सोचकर आ जाती है । तब जज कहते है जो उन दोनो के सामने बैठे थे ।

जज :- शादी के 10 दिन भी नही हूआ और तुम दोनो को डिवोर्स चाहिए । कुछ दिन और सौच लेते ।


जानवी चुप रहती है तब आदित्य कहता है ---


आदित्य :- सर हमने ठिक से सौच लिया है आप बस 
पेपर पर मोहर लगा दिजिए ।

जज :- ठिक है , मैने मोहर लगा दिया है , और कोर्ट तुम दोनो 6 महिना समय देती है , अगर इस बिच तुम दोनो का मन बदले तो आ के बता देना ।

आदित्य :- पर सर 6 महिना ज्यादा नही हो गया । 

जज :- इससे कम कुछ नही हो सकता है । Next .

इतना बोलकर जज साहब दुसरे लोगो को बुला लेता है । आदित्य और जानवी बाहर आता है । जानवी चुप रहती है , तो आदित्य कहता है ---

आदित्य: - मुझे लगा था के सब कुछ आज ही हो जाएगा । पर अब 6 महिना तुम्हें वेट करना होगा। कुछ किया भी तो नही जा सकता ।

तभी वहां पर काली का आदमी भी आ जाता है पर आदित्य के होने के कारण वो जानवी को उठा नही पा रहा था । 


शाम का समय था जानवी बहोत टेंशन मे थी , जानवी घरके गार्डन मे उदास बैठी थी । त्रिपुरारी ये दैख कर परेशान था । त्रिपुरारी जानवी के पास जाता है और कहता है --


त्रिपुरारी :- क्या बात है बेटा , तुम यहां अकेली बैठी हो । आदित्य ने कुछ कहा है क्या ?


जानवी :- नही मामा जी , वो तो बस मैं ।

त्रिपुरारी :- तो तुम दोनो मे झगड़ा हूआ है । इसिलिए परेशान हो ।
जानवी कुछ कहती इससे पहले त्रिपुरारी कहता है --

त्रिपुरारी :- तुम्हें पता है बेटा आदित्य कैसा लड़का है । चलो फिर मैं तुम्हें आज उसके बारे मे बताता हूँ ।

बचपन से ही आदित्य बहोत जिद्दी और गुस्से वाला था , उसे जो चिज चाहिए होता था , उसे वो लेकर ही मानता था । इससे तंग आकर उसके पापा ने उसे बोर्डिग स्कूल मे एडमिशन करा दिया । आदित्य सिर्फ 10 साल का था जब वो अपने माँ और पापा से अलग हो गया । 


एक छोटे बच्चा जिसे उस उम्र मे माँ और पापा का साथ चाहिए होता है उस उम्र मे वो उससे छीन गया । स्कुल मे रोज घंटो गेट के पास बैठ कर वो अपने माँ और पापा का इंतेजार करने लगता था । 

और रोज उसे निराशा ही होता था । कभी गुस्सा तो कभी आदित्य के जिद के कारण स्कुल से उसके पापा को कॉल जाता है और आदित्य के जिद्दी और गूस्सेल नेचर के कारण आदित्य को अपने साथ ले जाने को कहते है । पर आदित्य के पापा स्कुल को किसी तरह समझा कर ( पैसे दैकर , ये बात त्रिपुरारी जानवी को नही बताता है ) आदित्य को वही रख देते थे । एक दिन मैं उससे मिलने उसको स्कुल गया तो दैखा के वो गेट के पास बैठा था । आदित्य मुझे दैखकर खउश हो जाता है और भाग कर मेरे पास आता है और कहता है --

आदित्य :- कंश आप , माँ और पापा भी आए है क्या ?

तिरु :- नही बेटा , उन्होने ही मुझे तुम्हारे पास भेजा है । पर बेटा तुम यहां अकेले क्या कर रहे हो । तुम्हें बाकी बच्चो की तरह खेलना नही है ।

तभी वहां पर मौजुद सिक्योरिटी गार्ड कहता है ----

सिक्योरिटी : - सर आप इसे यहां से लेकर जाईए । यहां इसे मत रखिए ।

तिरु :- क्यों क्या बात है ?

सिक्योरिटी: - साहब ये बच्चा रोज घंटो यहां पर बैठकर अपने माँ और पापा का इंतजार करता है । पड़ने मे ये यहां पर रह रहे सब बच्चो से सबसे आगे है , पर जब स्कुल का टाईम खत्म हो जाता है तो ये यही पर बैठा रहता है । 


सिक्योरिटी आदित्य के पास आता है और उसके ( आदित्य के ) हाथ और पिठ के सर्ट को उपर करके दिखाता है , तिरु दैखता है आदित्य शरिर पर चोंट के बहोत दाग थे । जिसे दैखकर तिरु हैरान होकर कहता है --


तिरु :- ये सब क्या है , इतने गहरे जख्म । ये सब क्या है ?

सिक्योरिटी : - क्या बताउ साहब , ये बच्चा बहोत प्यारा है ये अपने माँ पापा को बहोत प्यार करता है । पज़ाई के बाद ये ना तो खेलता है ना किसी से बात करता है । चुप चाप यहां पर आकर अपने माँ और पापा का इंतेजार करता है । यहां की टीचर इसे खेलने और बाकी लड़को से बात करने को और कई और काम करने को कहते है तो ये बच्चा कहता है ।

" मुझे यहां पर पड़ने के लिए भेजा है जो मैं कर रहा हूँ उसके बाद जो समय है वो मेरा है , उसे मैं अपने तरीके से रहूंगा । 

इस बात पर टीचर मेडम ने इसे बहोत मारती है पर ये इतना कैसे सहन कर लेता है साहब पता नही । साहब आपसे हाथ जोड़कर विनती है इसे यहां से लेकर जाओ ।

तिरु के आंखो से आंशु आ जाता है , तिरु आदित्य से पूछता है --

तिरु :- क्यों बेटा , माँ की बहोत याद आती है ?

आदित्य ना मे अपना सर हिलाता है और फिर अपने मामा तिरु को पकड़कर रोने लगता है । आदित्य उस समय बहोत रोता है , फिर तिरु सिक्योरिटी से कहता है --

तिरु :- टीचर का कमरा कौन सा है ?

सिक्योरिटी उसे सब बता देता है । तिरु टीचर के पास जाता है और उस टीचर को बहोत डांटता है । तब वो टीचर तिरु से कहता है --


टीचर :- मुझे माफ कर दिजिए पर मेरा इसमे कोई गलती नही है , मैने इसके पापा को कई बार कहा के आपलोगो के बिना ये बच्चा नही रहेगा । पर वो मुझे यही कहते है के इसका गुस्सा और जिद को किसी भी तरह से ठिक कर दूं । सर ये बच्चा बहोत अच्छा है , हर चिज मे नवम्बर वन है । और माता , पिता को भी वैसे ही नम्बर वन वाला प्यार करता है । 

तिरु :- ठिक कर दो का मतलब , इतना मारना नही होता । मैं आपलोगो को नही छोड़ुगां, एक मासुम बच्चे पर इतना जुल्म । मैं अभी जाकर आपलोगो के खिलाफ कंप्लेन दर्ज कराउगां ।

तभी वहां की प्रिंसिपल कहती है --

प्रिसिपल :- ऐसा मत करिए , नही तो हमारा स्कुल बंद हो जाएगा । हम आपसे वादा करते है के आगे से किसी भी बच्चे पर हमारा कोई भी टीचर हाथ नही उठायेगा । 

तिरु :- ठिक है. पर अब मैं इसे यहां से लेकर जा रहा हूँ ।

इतना बोलतर तिरु आदित्य को वहां से लेकर चला जाता है । तिरु आदित्य को बाहर बहोत कुछ खिलाता है , और खिलोने खरिद कर देता है जिससे तिरु खुश हो जाता है । आदित्य तिरु से कहता है --

आदित्य :- मामा जी , पापा ने मेरे साथ ऐसा क्यू किया , क्या मैं इतना बुरा हूँ ।


To be continue.......318