Pahli Nazar ki Chuppi - 7 in Hindi Love Stories by Priyam Gupta books and stories PDF | पहली नज़र की चुप्पी - 7

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पहली नज़र की चुप्पी - 7


कभी-कभी कुछ बातें कही नहीं जातीं,
बस वक्त के साथ हल्के-हल्के दिल में गूंजती रहती हैं

जैसे किसी पुराने गाने की धुन,
जो अब भी कहीं दूर से सुनाई देती है…
कई महीने बीत चुके थे उस मुलाक़ात को।
Aarav अपनी नौकरी में व्यस्त था,
शहर, काम, लोग — सब नए थे, बस यादें पुरानी थीं।
हर सुबह वही routine, वही rush —
पर दिल में अब भी एक कोना था जहाँ वो थी।
कभी-कभी वो कैफ़े के पास से गुज़रता,
तो कदम अपने आप ठहर जाते।
वहीं एक कोने में बैठी उसकी याद मुस्कुरा उठती —
“फिर मिल गए?”
Prakhra अब पहले से ज़्यादा शांत हो गई थी।
उसने खुद को काम, किताबों और responsibilities में डुबो दिया था।
पर हर रात जब सब सो जाते,
वो अपनी diary खोलती — वही पुरानी,
जिसमें उसके और Aarav के बीच की अधूरी बातें दर्ज थीं।
पन्ने पलटते हुए उसने पाया —
कुछ पन्ने अब भी खाली हैं।
वो सोचती, “क्या इन खाली पन्नों में अब भी वही कहानी बाकी है?”
एक दिन उसे अपनी diary के बीच एक पुराना note मिला।
उस पर लिखा था —
“Silence isn’t empty, it’s full of answers.”
वो एक पल को मुस्कुरा दी।
याद आया, ये line तो Aarav ने कही थी…
उस दिन जब दोनों library में बैठे थे और Prakhra चुप थी।
Aarav ने कहा था,
“तुम्हारी खामोशी में बहुत कुछ है, Prakhra — बस कोई सुनना जाने।”
उस दिन वो बस मुस्कुरा दी थी।
और आज… वही मुस्कान उसके दिल में फिर से गूंज उठी।
दूसरी तरफ, Aarav ने अपने laptop में पुराने mails खोले।
एक mail draft में पड़ा था — “To: Prakhra”
पर भेजा कभी नहीं गया।
उसमें लिखा था:
“कभी-कभी लगता है, हम दोनों एक incomplete sentence जैसे हैं —
शब्द हैं, पर full stop नहीं।”
वो mail आज भी “Drafts” में था,
जैसे उनकी कहानी — लिखी तो गई, पर भेजी नहीं गई।
उस रात Aarav अपनी balcony में बैठा था।
बारिश हो रही थी, हवा में वही पुराना भीगापन था।
उसने अपनी diary खोली और लिखा —
“कुछ खामोशियाँ वक्त से भी गहरी होती हैं।
और शायद, हमारा रिश्ता उन्हीं में से एक था।”
वो लिखते-लिखते रुक गया,
क्योंकि उसे लगा जैसे किसी ने उसका नाम पुकारा हो —
हल्की सी हवा में,
किसी की आवाज़ जैसे गूँज रही थी —
“Aarav…”
वो मुस्कुरा दिया।
शायद हवा नहीं… उसकी याद थी।
अगले दिन, Prakhra ने एक exhibition में जाने का फैसला किया।
थीम थी — “Echoes of the Unsaid.”
हर painting में किसी की कहानी थी,
किसी की चुप्पी का रंग था।
वो एक painting के सामने रुकी —
एक लड़का और लड़की opposite directions में जा रहे हैं,
बीच में बस बारिश की बूंदें हैं।
Title लिखा था —
“Pehli Chuppi ki Goonj.”
उसके होंठों से बस एक शब्द निकला — “Aarav…”
उस रात उसने अपनी diary में लिखा —
“कभी-कभी सोचती हूँ, अगर हम एक बार और बात करते,
तो शायद हमारी कहानी पूरी हो जाती।
पर अब लगता है, अधूरी कहानियाँ ही ज़्यादा खूबसूरत होती हैं —
क्योंकि वो खत्म नहीं होतीं।”
दूसरी तरफ, उसी रात Aarav अपने phone gallery में पुरानी pictures देख रहा था।
वो भी उसी painting को देख रहा था — किसी ने उसकी insta story पर डाली थी।
Title पर उसकी नज़र ठहर गई —
“Pehli Chuppi ki Goonj”
वो मुस्कुरा दिया।
“कभी नहीं सोचा था, हमारी चुप्पी एक कहानी बन जाएगी।”
धीरे-धीरे दोनों अपनी ज़िंदगी में लौट गए।
पर जब भी रात होती,
बारिश गिरती,
या कोई पुराना गाना बजता —
दिल के किसी कोने से वही गूंज आती —
“पहली चुप्पी…”
“कभी-कभी, दो लोगों के बीच जो खामोशी होती है,
वो ही सबसे loud confession होती है।” 🌙
🌸 To be continued…
Next Episode – “खामोशी का जवाब” 💌
जहाँ वो चुप्पी अब बोलने की कोशिश करेगी… और दिलों में सुकून लौटेगा।