The Silent Painting’s First Breath - 3 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | इश्क के साये में - एपिसोड 3

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इश्क के साये में - एपिसोड 3

🌑 एपिसोड 3: रंगों में छुपा अतीत


उस रात के बाद आरव की नींद जैसे उससे रूठ गई थी।

हर बार आँखें बंद करता, उसे अनाया का चेहरा दिखता—वही उदास आँखें, वही अधूरी मुस्कान।

कमरा अब भी वैसा ही था, मगर हवा में कुछ बदला हुआ था… जैसे किसी की मौजूदगी।


आरव पेंटिंग के सामने खड़ा था।

“तुम आओगी न?”

उसने धीमी आवाज़ में पूछा।


घड़ी ने बारह बजाए।


मोमबत्ती की लौ काँपी।

और फिर—

रंग हिले।


अनाया धीरे-धीरे पेंटिंग से बाहर आई। आज उसके चेहरे पर डर कम और थकान ज़्यादा थी।


“आज तुम जल्दी आ गईं,” आरव ने कहा।


“क्योंकि आज… मुझे तुम्हें कुछ बताना है,”

उसकी आवाज़ में बोझ था।


आरव ने कुर्सी खींचकर बैठने का इशारा किया, फिर खुद ज़मीन पर पालथी मारकर बैठ गया—जैसे बराबरी चाहता हो।


“बताओ,” उसने कहा।

“मैं सुन रहा हूँ।”



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अनाया की नज़रें दीवारों पर टँगी अधूरी स्केचेस पर पड़ीं।

“तुम्हें पता है… मुझे भी कभी रंगों से प्यार था,” उसने कहा।

“मैं नाचती थी, गाती थी… खुलकर जीती थी।”


आरव चौंक गया।

“तुम कलाकार थीं?”


“नहीं,” वह हल्की-सी हँसी हँसी।

“मैं आज़ाद थी।”


फिर उसकी आँखें धुंधली हो गईं।


“एक आदमी था,” उसने कहना शुरू किया।

“बहुत बड़ा कलाकार। लोग उसकी पूजा करते थे।”


आरव का दिल तेज़ हो गया।

“और तुम…?”


“मैं उसकी प्रेरणा थी,”

उसकी आवाज़ भर आई।

“या शायद… उसकी ज़िद।”


कमरे में ठंड बढ़ गई।


“वह मुझे अपनी सबसे बड़ी कृति बनाना चाहता था,” अनाया बोली।

“उसने कहा—तुम अमर हो जाओगी।

लेकिन उसने यह नहीं बताया कि अमरता एक क़ैद भी हो सकती है।”


आरव की साँसें भारी हो गईं।


“उसने एक रात…”

अनाया की आवाज़ काँपने लगी।

“मुझे धोखे से अपने स्टूडियो बुलाया।

मोमबत्तियाँ, मंत्र… और रंगों में कुछ ऐसा मिलाया गया…

जो मेरी रूह को बाँध सकता था।”


उसकी आँखों से आँसू बह निकले—हवा में घुलते हुए।


“मैं चीखी,” उसने कहा।

“लेकिन कला की दीवारें मेरी आवाज़ निगल गईं।”



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आरव खड़ा हो गया।

“यह गुनाह है,” उसने गुस्से से कहा।

“किसी की ज़िंदगी छीन लेना।”


“मेरी ज़िंदगी नहीं छीनी गई,” अनाया ने धीरे से कहा।

“बस रोक दी गई।”


वह आरव के पास आई।

उनके बीच अब डर नहीं था।


“मैं हर दिन देखती रही,” वह बोली।

“लोग आते, देखते, खरीदते…

लेकिन कोई मेरे दर्द को नहीं देख पाया।”


आरव की आँखें भर आईं।

“मैं तुम्हें आज़ाद करूँगा,” उसने कहा।

“चाहे जो भी करना पड़े।”


अनाया ने उसकी ओर देखा—

उस नज़र में डर था, और उम्मीद भी।


“मत कहो ऐसा,” उसने फुसफुसाकर कहा।

“क्योंकि मेरी आज़ादी की क़ीमत…”

वह रुक गई।

“तुम्हारी तन्हाई हो सकती है।”


आरव ने बिना सोचे जवाब दिया।

“अगर तुम्हारी क़ैद मेरी तन्हाई से बड़ी है…

तो मुझे वह मंज़ूर है।”


कमरे में एक अजीब-सी शांति फैल गई।



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उस रात पहली बार अनाया बैठी।

सोफ़े पर—हालाँकि उसका शरीर अब भी ज़मीन को छू नहीं रहा था।


“क्या तुम्हें डर नहीं लगता?” उसने पूछा।


आरव मुस्कुरा दिया।

“अब नहीं।

अब मुझे बस यह डर है…

कि कहीं तुम्हें खो न दूँ।”


अनाया ने आँखें बंद कर लीं।

“इंसान और रूह का रिश्ता आसान नहीं होता।”


“लेकिन नामुमकिन भी नहीं,”

आरव ने कहा।


एक पल के लिए लगा जैसे वह उसे छू पाएगा।

हवा में हल्की गर्माहट थी।


फिर अनाया धीरे-धीरे पीछे हटी।


“मुझे जाना होगा,” उसने कहा।

“आज बहुत कुछ कह दिया।”


“कल फिर आओगी?”

आरव की आवाज़ में बेचैनी थी।


“हाँ,” उसने मुस्कुराकर कहा।

“क्योंकि अब यह कहानी अधूरी नहीं रह सकती।”


वह वापस पेंटिंग में समा गई।



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आरव देर तक वहीं बैठा रहा।

उसकी नज़रें पेंटिंग पर जमी थीं—

अब वह उसे देखता था, और अनाया उसे देखती थी।


यह सिर्फ़ रूह की कहानी नहीं थी।

यह भरोसे की शुरुआत थी।

और शायद…

इश्क़ के साये में पनपती एक ऐसी

मोहब्बत,

जो नियम नहीं मानती।



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🌘 हुक लाइन (एपिसोड का अंत)


आरव नहीं जानता था कि अनाया को आज़ाद करने का रास्ता, उसे खुद से दूर ले जा सकता है…



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