The Silent Hero in Hindi Drama by Md Ibrar pratapgarhi books and stories PDF | एक चुप हीरो

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एक चुप हीरो

कुछ लोग इस दुनिया में ऐसे होते हैं
जो खुद को कभी सबसे आगे नहीं रखते,
जिनकी ज़िंदगी की आवाज़ बहुत धीमी होती है,
लेकिन जिनके कंधों पर
पूरे परिवार की दुनिया टिकी होती है
वो कुछ बहादुर भाई होते हैं उनकी सुबह अलार्म से नहीं ज़िम्मेदारी से शुरू होती है।
जब बाकी लोग नींद से जूझ रहे होते हैं,
तब वो अपने मन की थकान को
तकिये के नीचे दबाकर
काम के लिए निकल पड़ते हैं
उनके चेहरे पर मुस्कान कम होती है,
लेकिन आंखों में चिंता हमेशा रहती है।
क्योंकि उनके लिए
आज से ज़्यादा कल मायने रखता है उन्हें भी सपने आए थे। बहुत सारे।
किसी ने कभी पूछा नहीं
कि वो क्या बनना चाहते थे।
और उन्होंने भी कभी बताया नहीं।
क्योंकि जब घर की ज़रूरतें
दरवाज़े पर खड़ी हों,
तो सपनों को चुपचाप
पीछे हटना पड़ता है
उन्होंने अपनी इच्छाओं को
समझौते का नाम दे दिया।
नई चीज़ों की चाह को
अभी ज़रूरी नहीं कह दिया।
अपने लिए जीने की सोच को
फिर कभी” पर टाल दिया
उनकी कमाई
कभी बड़ी नहीं लगती,
लेकिन उसी कमाई में
पूरे घर की हंसी छुपी होती है।
किसी की पढ़ाई,
किसी की दवा,
किसी की ज़रूरत,
किसी का भविष्य
और फिर हम जैसे लोग भी होते हैं
जो उसी घर में रहते हैं,
उसी छत के नीचे सांस लेते हैं,
लेकिन ज़िम्मेदारी से
हमेशा दूर भागते हैं
ना पढ़ाई को गंभीर लेते हैं,
ना काम को।
वक़्त हमारे पास बहुत होता है,
पर मक़सद नहीं होता
दिन ऐसे ही निकल जाते हैं
कभी इधर घूमते हुए,
कभी उधर।
कभी मोबाइल की दुनिया में खोए हुए,
कभी किसी के इंतज़ार में
अगर कोई पसंद आ जाए,
तो दिन का पूरा हिसाब
उसी के इर्द-गिर्द घूमने लगता है।
किस समय दिखेगी,
कब बात होगी,
कब जवाब आएगा
हमारी परेशानियाँ
छोटी होती हैं,
लेकिन हम उन्हें
बहुत बड़ा बना लेते हैं और वहीं वो भाई
जो बिना बोले
हमारी हर परेशानी
अपने ऊपर ले लेते हैं
अगर घर में पैसों की कमी हो,
तो वो अपने खर्च काटते हैं।
अपने जूते पुराने चलाते हैं,
अपने कपड़े दोहराते हैं।
कभी कहते नहीं कि
“मेरे लिए भी कुछ चाहिए।
उन्हें ये तक याद नहीं रहता
कि आख़िरी बार
उन्होंने अपने लिए
कुछ खरीदा कब था जब घर में कोई बीमार हो,
तो सबसे पहले वही दौड़ते हैं।
जब कोई खुश हो,
तो पीछे खड़े होकर
मुस्कुराते हैं
उन्हें आगे रहना नहीं आता,
उन्हें संभालना आता है सबसे दर्दनाक बात ये है
कि उनका दर्द
कभी दिखाई नहीं देता।
क्योंकि वो
अपनी तकलीफ़ को
आवाज़ नहीं देते
वो थकते हैं,
लेकिन बताते नहीं।
वो डरते हैं,
लेकिन जताते नहीं।
वो टूटते हैं,
लेकिन बिखरने नहीं देते रात को जब सब सो जाते हैं,
तब वो अकेले
अपने मन से लड़ते हैं।
छत को देखते हुए
हिसाब लगाते हैं
कल क्या करना है,
कैसे करना है,
कहां से करना है
उनकी नींद हल्की होती है,
क्योंकि ज़िम्मेदारी भारी होती है कभी-कभी
हम उनकी खामोशी को
कमज़ोरी समझ लेते हैं।
उनकी सादगी को
मजबूरी नहीं,
आदत समझ लेते हैं हमें लगता है
वो ऐसे ही हैं।
लेकिन सच ये है
उन्होंने खुद को
ऐसा बना लिया है जिस दिन वो थककर
बीमार पड़ जाएं,
उस दिन एहसास होता है
कि वो कितने ज़रूरी थे।
जिस दिन वो देर से लौटें,
उस दिन बेचैनी फैल जाती है।
जिस दिन उनकी कमाई रुक जाए,
उस दिन सब कुछ रुक जाता है
लेकिन वो फिर भी
शिकायत नहीं करते क्योंकि उन्हें
अपने परिवार से प्यार है।
बिना शर्त।
बिना उम्मीद और हम
अक्सर उस प्यार को
हल्के में ले लेते हैं
हम भूल जाते हैं
कि हमारी आज़ादी
किसी की कुर्बानी से आई है।
हमारी मस्ती
किसी की मेहनत से बनी है।
हमारा आराम
किसी की बेचैनी पर टिका है
अगर एक पल के लिए
हम रुककर सोचें,
तो शायद
आंखें नम हो जाएं क्योंकि जो चुपचाप
सब कुछ सह रहा है,
वही असली हीरो है।
जिसे न मंच चाहिए,
न तालियां सिर्फ़ ये चाहता है
कि उसका परिवार
सुरक्षित रहे,
खुश रहे इसलिए अगर आपकी ज़िंदगी में
ऐसा कोई भाई है
तो उसे नज़रअंदाज़ मत कीजिए।
उसकी खामोशी को समझिए।
उसकी मेहनत को महसूस कीजिए और अगर आप भी
हम जैसे हैं,
तो आज नहीं तो कल
खुद से एक सवाल ज़रूर पूछिए
क्या हम वाकई
उनके साथ न्याय कर रहे हैं क्योंकि हर घर में
कोई न कोई ऐसा होता है
जो सबको संभालते-संभालते
खुद को पीछे छोड़ देता है। दिल से एक दुआ निकलती है
ईश्वर ऐसे हर भाई को
ताक़त दे, सुकून दे,
और वो सम्मान दे
जो वो कभी मांग नहीं पाते
लेकिन पूरी ज़िंदगी कमाते हैं और हमें
इतनी समझ दे
कि किसी दिन
हम उनके कंधों का बोझ
थोड़ा सा हल्का कर सकें।