Shadows Of Love - 18 in Hindi Adventure Stories by Amreen Khan books and stories PDF | Shadows Of Love - 18

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Shadows Of Love - 18

टूटते मंदिर के धुएँ और राख से घिरी घाटी में जब करन और अनाया खड़े थे, हवा में एक अजीब सी खामोशी पसरी हुई थी। ऐसा लग रहा था मानो सदियों से दबा कोई बोझ अचानक इस धरती से उतर गया हो। लेकिन उसी खामोशी में डर की एक हल्की लहर भी थी—साया की आख़िरी बात उनके कानों में अब तक गूंज रही थी—“ये जंग… अभी… पूरी नहीं हुई…”

अनाया के आँसू अब भी गालों पर चमक रहे थे। उसने काँपते हुए करन का हाथ और कसकर पकड़ लिया। करन ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा,
“अनाया, शायद ये लड़ाई का अंत नहीं… बल्कि असली शुरुआत है।”

अनाया ने धीमे स्वर में कहा,
“अगर सचमुच साया का अंत नहीं हुआ… तो वो फिर लौटेगा। और इस बार वो हमें नहीं, हमारे अपनों को निशाना बनाएगा।”

करन ने तलवार को कसकर पकड़ा। तलवार अब सामान्य दिख रही थी, पर उस पर हल्की-सी सुनहरी लकीर अब भी मौजूद थी—मानो उसकी आत्मा अनाया के मंत्रों से जुड़ गई हो। करन ने गहरी साँस ली और बोला,
“तो हमें तैयार रहना होगा। अब ये सिर्फ़ तुझ-मेरे बीच की जंग नहीं रही… ये पूरी दुनिया की लड़ाई बन सकती है।”


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घाटी से वापसी

वे दोनों धीरे-धीरे घाटी से बाहर निकले। ऊपर आसमान में काले बादल बिखरने लगे और सूरज की हल्की किरणें पहली बार उस जगह पर पड़ीं जहाँ सदियों से अंधेरा छाया हुआ था। चारों तरफ़ टूटे पत्थर, मंदिर की राख और हवा में जली हुई गंध अब भी फैली हुई थी।

गाँववाले, जो दूर से सब देख रहे थे, दौड़ते हुए घाटी की ओर आने लगे। उनके चेहरों पर डर और हैरानी थी।
“देवी-देवताओं का चमत्कार हुआ है…” एक बूढ़ा व्यक्ति बोला।
“सदियों का श्राप टूट गया…” किसी और ने कहा।

लेकिन करन और अनाया जानते थे कि ये अंत नहीं, एक नया मोड़ है।


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घर पर खुलासा

जब वे घर लौटे, तो अनाया के पिता और भाई अरजुन पहले ही वहाँ मौजूद थे। दोनों चिंतित और बेचैन थे। जैसे ही उन्होंने अनाया को सही-सलामत देखा, उनकी आँखों में राहत की लहर दौड़ गई।

अरजुन ने गुस्से और हैरानी भरे स्वर में पूछा,
“अनाया, ये सब क्या हो रहा है? ये साया कौन है? और क्यों बार-बार तुम्हें और करन को निशाना बना रहा है?”

अनाया चुप रही। उसकी आँखें झुक गईं। लेकिन करन ने साहस दिखाया और आगे बढ़कर सब सच बताना शुरू किया।
उसने साया के श्राप, मंदिर के रहस्य और उनके बीच की जंग का पूरा किस्सा सबके सामने रख दिया।

सुनकर सबके चेहरे पीले पड़ गए। अनाया की माँ आयरा की आँखों से आँसू निकल पड़े।
“मतलब… वो दानव अभी ज़िंदा है? और तुम दोनों ने उसे ललकार भी दिया?”

करन ने दृढ़ स्वर में कहा,
“हाँ। और अब वो हमें छोड़कर नहीं जाएगा। लेकिन डरने से कुछ नहीं होगा। हमें इस बार मिलकर लड़ना होगा।”


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नया संकेत

रात गहरी हो चुकी थी। सब सोने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन करन और अनाया की आँखों में नींद कहाँ थी। तभी अचानक खिड़की से ठंडी हवा का झोंका आया। करन ने देखा—बाहर आसमान में एक अजीब सा धुआँ घूम रहा था, मानो किसी ने आग बुझाकर राख को हवा में उड़ा दिया हो।

अचानक उसी धुएँ में एक चेहरा उभर आया—साया का!
उसकी आँखें अब लाल नहीं, बल्कि काली थीं। उसके होंठों पर डरावनी मुस्कान थी।
“सोचा तुम जीत गए? ये सिर्फ़ पहला खेल था… असली रणभूमि अभी बाक़ी है। जब चाँद खून से लाल होगा, तब मैं लौटूँगा। और उस वक़्त… कोई मंत्र, कोई तलवार तुम्हें नहीं बचा पाएगी।”

धुएँ का चेहरा अचानक ग़ायब हो गया।

अनाया चीख़ते हुए करन से लिपट गई।
“करन… ये क्या था? वो फिर लौटेगा… और इस बार और भी ताक़तवर होकर।”

करन ने उसकी पीठ सहलाई और कहा,
“हाँ अनाया… लेकिन इस बार हम अकेले नहीं होंगे। अब ये लड़ाई हम दोनों से कहीं बड़ी है। हमें अपने खून से जुड़े रहस्यों को खोजना होगा। तभी हम साया का हमेशा के लिए अंत कर पाएँगे।”


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अगली सुबह

सुबह होते ही करन और अनाया ने तय किया कि अब उन्हें अपने अतीत के राज़ जानने होंगे। करन को हमेशा से एहसास था कि उसके पिता की मौत किसी रहस्यमयी वजह से हुई थी। और अनाया को भी अक्सर अपने खून से जुड़ी पुरानी कथाओं के सपने आते थे।

अरजुन ने उन्हें रोकने की कोशिश की,
“तुम दोनों बहुत थक चुके हो। अब और खतरे में मत पड़ो।”

लेकिन अनाया ने दृढ़ता से कहा,
“भैया, अगर हम अब पीछे हट गए तो वो हमारी पूरी दुनिया तबाह कर देगा। हमें हर हाल में सच तक पहुँचना होगा।”

करन ने तलवार उठाई और बोला,
“अब वक्त आ गया है इस यात्रा का दूसरा अध्याय शुरू करने का।”


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और इस तरह करन और अनाया एक नई राह पर निकल पड़े—
जहाँ सिर्फ़ उनकी मोहब्बत ही नहीं, बल्कि उनका खून, उनका अतीत और पूरी इंसानियत दाँव पर लगी थी।

कहानी अब नए रहस्यों, नए चेहरों और और भी बड़े इम्तिहानों की ओर बढ़ रही थी…


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अतीत की खोज

करन और अनाया अगले दिन सुबह-सुबह ही सफ़र पर निकल पड़े। तलवार उनके पास थी, जिसे उन्होंने एक कपड़े में लपेटकर रखा था। आसमान साफ़ था, लेकिन हवा में अब भी साया के धुएँ की गंध फैली हुई थी, मानो उसकी परछाई हर जगह पीछा कर रही हो।

गाँव से बाहर निकलते ही करन ने धीमे स्वर में कहा,
“अनाया, मुझे हमेशा लगता था कि मेरे पिता की मौत अचानक नहीं हुई। माँ जब भी उनका ज़िक्र करतीं, उनकी आँखों में कोई गहरा डर दिखाई देता था। मुझे लगता है, सच वहीं छिपा है।”

अनाया ने सिर हिलाया,
“और मुझे अपने बचपन से जुड़े कुछ सपने याद आते हैं। एक स्त्री, सफ़ेद वस्त्रों में, मेरे सिर पर हाथ फेरती थी और कहती थी— ‘तेरा जन्म साधारण नहीं, वरदान और अभिशाप दोनों है।’ मुझे कभी समझ नहीं आया कि इसका मतलब क्या है।”

दोनों ने तय किया कि सबसे पहले करन की माँ, सीमा, से सच जाना जाए।


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सीमा का राज़

जब वे घर पहुँचे तो सीमा आँगन में बैठी थीं। करन और अनाया को देखकर उनकी आँखें भर आईं।
“तुम दोनों ज़िंदा लौट आए, यही मेरे लिए सबसे बड़ा वरदान है।”

करन ने सीधे सवाल किया,
“माँ, अब और छुपाइए मत। पापा की मौत कैसे हुई थी? क्या उनका रिश्ता साया से था?”

सीमा का चेहरा सख़्त हो गया। उन्होंने काँपते हाथों से आँचल कसकर पकड़ लिया।
“करन… तुम्हारे पिता साधारण इंसान नहीं थे। वे प्राचीन रक्षकों की उस वंश परंपरा से जुड़े थे जिनका काम साया जैसे अंधकार को रोकना था। तुम्हारे दादा भी इसी जंग में मारे गए थे। तुम्हारे पिता ने बहुत कोशिश की, लेकिन साया की छाया उन तक पहुँच गई और उन्होंने अपनी जान देकर तुम्हें बचाया।”

करन स्तब्ध रह गया।
“मतलब… मैं भी उसी वंश का हिस्सा हूँ? मेरा खून ही इस लड़ाई की कुंजी है?”

सीमा ने आँसू रोकते हुए कहा,
“हाँ बेटा। यही वजह है कि साया तुझसे डरता है। और यही वजह है कि वो तुझे मिटाना चाहता है।”


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अनाया की भविष्यवाणी

सीमा की बात सुनकर अनाया का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने अपनी माँ, आयरा, से भी सच जानने का फ़ैसला किया।

आयरा पहले तो चुप रहीं, लेकिन जब अनाया ने ज़िद की तो उन्होंने रहस्य खोल दिया—
“तेरे जन्म से पहले ही एक भविष्यवाणी की गई थी, अनाया। कहा गया था कि ‘एक कन्या, जिसकी आँखों में चाँद की चमक होगी, वही अंधकार की तलवार को सोने में बदल सकेगी।’ उस वक़्त हमने सोचा था कि ये सिर्फ़ एक दंतकथा है, लेकिन अब सब साफ़ हो गया है। तू वही कन्या है। तेरे मंत्रों से ही साया का जादू टूट सकता है।”

अनाया के रोंगटे खड़े हो गए।
“मतलब… मेरा जन्म ही इस लड़ाई से जुड़ा था? मैं भाग कर भी इससे बच नहीं सकती?”

आयरा ने उसे गले लगाकर कहा,
“हाँ बेटी, लेकिन याद रख, तू श्राप की बंदी नहीं, एक वरदान है। तेरी मोहब्बत, तेरे शब्द ही इस अंधकार का अंत करेंगे।”


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नया ख़तरा

जैसे ही ये सच सामने आया, अचानक बाहर से शोर सुनाई दिया। लोग चिल्ला रहे थे। करन और अनाया दौड़कर बाहर आए।

गाँव के बीचोबीच धरती फट रही थी। गहरी दरारों से काला धुआँ और आग निकल रही थी। उस धुएँ में अजीब-सी परछाइयाँ आकार ले रही थीं—साया के अनुचरों की। वे इंसानों जैसे थे, लेकिन उनकी आँखें ख़ाली और काली थीं।

गाँववाले दहशत में भागने लगे। अरजुन तलवार और भाला लेकर सामने आ खड़ा हुआ।
“करन! अनाया! ये वही है जिसका डर था। साया अब सीधा हमला कर रहा है।”

करन ने कपड़े से तलवार खोली। जैसे ही उसने उसे उठाया, तलवार की धार चमकने लगी। अनाया ने मंत्रोच्चार शुरू किया। तलवार सुनहरी रोशनी से जगमगाने लगी।

अनुचर चीख़ते हुए पीछे हटने लगे, लेकिन उनकी संख्या बढ़ती जा रही थी।

करन ने गरजकर कहा,
“अनाया! अब ये हमारी जंग ही नहीं, सबकी जंग है। आज से ये गाँव भी रणभूमि है।”

अनाया ने मंत्र और ऊँची आवाज़ में पढ़े। आसमान गरजने लगा, मानो खुद देवता भी इस युद्ध में शामिल हो रहे हों।


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अब कहानी का असली अध्याय शुरू हुआ था—
करन अपनी वंश परंपरा का सच्चा वारिस बन चुका था और अनाया अपनी भविष्यवाणी का सच।
दोनों के सामने सिर्फ़ एक लड़ाई नहीं, बल्कि साया के साम्राज्य को हमेशा के लिए ख़त्म करने का मिशन खड़ा था।

गाँव की पहली लड़ाई

गाँव के बीचोबीच धरती की दरारें और चौड़ी होती जा रही थीं। उनसे उठते धुएँ के बीच से काले-भूरे शरीर वाले डरावने अनुचर बाहर निकल रहे थे। उनकी आँखें बिल्कुल खोखली, जैसे मौत की गुफ़ाएँ हों, और उनके हाथ पंजों जैसे लंबे-लंबे नाखूनों से भरे थे। वे गुर्राते हुए गाँव की ओर बढ़े।

गाँववाले दहशत में भाग रहे थे, बच्चों को माँएँ सीने से चिपकाए इधर-उधर दौड़ रही थीं। मवेशी चीख़ते हुए भागने लगे। हवा में अराजकता और भय की गंध भर गई।


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तलवार का पहला प्रहार

करन ने अपनी तलवार हवा में लहराई। जैसे ही उसने अनाया की ओर देखा, अनाया ने मंत्र पढ़ना शुरू किया। तलवार सुनहरी आग से जलने लगी।
“आज इन अनुचरों को यहीं रोकना होगा!” करन गरजकर बोला।

एक अनुचर दौड़ता हुआ आया और अपने पंजे करन की ओर झपटा। लेकिन करन ने तलवार घुमाई—चमकदार सुनहरी रोशनी ने अनुचर को छूते ही राख में बदल दिया।

गाँववाले ये दृश्य देखकर दंग रह गए। किसी ने पुकारा,
“देवताओं ने हमें अपने रक्षक भेजे हैं!”


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अरजुन का साहस

दूसरी तरफ़ अरजुन भी भाले के साथ डटा हुआ था। हालाँकि उसके पास कोई जादुई ताक़त नहीं थी, लेकिन उसका साहस ग़ज़ब का था।
उसने चिल्लाकर कहा,
“गाँववालो! भागो मत, पत्थर उठाओ, डंडे उठाओ, अपने घर बचाओ!”

गाँव के कुछ नौजवान उसकी बात सुनकर वापस लौटे। किसी ने जलती मशाल उठाई, किसी ने दरांती। वे डर के बावजूद अरजुन के साथ खड़े हो गए।

अरजुन ने एक अनुचर पर भाला फेंका। भाला उसके सीने को भेद गया और वो दानव धुएँ में बदल गया। अरजुन ने गर्व से करन की ओर देखा।
“तुम अकेले नहीं हो करन। मैं भी तेरे साथ हूँ।”


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अनाया का मंत्र

अनाया ने दोनों हाथ आसमान की ओर उठाए और आँखें बंद कर लीं। उसके होंठों से लगातार संस्कृत के शब्द बह रहे थे।
जैसे ही उसका स्वर ऊँचा हुआ, गाँव के चारों ओर एक सुनहरी आभा की दीवार खड़ी होने लगी। अनुचर दीवार को छूते ही कराहने लगे, मानो किसी ने उन्हें जलते अंगारों में धकेल दिया हो।

लेकिन अनुचरों की संख्या बहुत ज़्यादा थी। वे लगातार निकल रहे थे, और हर बार दीवार पर हमला कर रहे थे। अनाया का शरीर काँपने लगा। उसका चेहरा पीला पड़ गया।
“करन… मैं ज़्यादा देर तक इसे थाम नहीं पाऊँगी…”

करन ने तलवार से दो अनुचरों को काटते हुए उसकी ओर देखा,
“अनाया! तू मज़बूत है। तू ही इस गाँव की ढाल है। मैं तेरे साथ हूँ!”


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निर्णायक टक्कर

इसी बीच, दरार से एक औरत जैसी आकृति बाहर निकली। उसके लंबे बाल ज़मीन तक लटक रहे थे और उसकी आँखों से धुआँ निकल रहा था। उसकी आवाज़ गूँजी—
“तुम सोचते हो साया हार गया? ये तो बस उसकी परछाई है। असली अंधकार अभी आना बाक़ी है।”

उसने अपने हाथ फैलाए और काले तूफ़ान की तरह हवा में घूमने लगी। गाँव के पेड़ उखड़ने लगे, घरों की छतें उड़ने लगीं।

गाँववाले चीख़ते हुए ज़मीन पर गिर पड़े।

करन ने तलवार मज़बूती से थामी।
“अनाया! हमें मिलकर इसे रोकना होगा!”

अनाया ने आँखें खोलीं, और उसकी आँखों से आँसू बह निकले।
“अगर मैं मंत्र की आख़िरी शक्ति का इस्तेमाल करूँ, तो शायद इसे रोक सकूँ… लेकिन उसके बाद मैं…”

करन ने उसका हाथ थाम लिया।
“अनाया, अगर तू गिरेगी तो मैं भी तेरे साथ गिरूँगा। लेकिन हम डरकर पीछे नहीं हटेंगे।”


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विजय की किरण

अनाया ने गहरी साँस ली और ज़मीन पर बैठकर आख़िरी मंत्र का जाप शुरू किया। उसकी आवाज़ काँप रही थी, लेकिन हर शब्द के साथ उसकी देह से सुनहरी किरणें निकल रही थीं।

करन ने तलवार को ऊपर उठाया और अनाया के मंत्रों के साथ-साथ उसे आसमान की ओर तान दिया। अचानक तलवार से निकलती रोशनी और अनाया की आवाज़ मिलकर आसमान में एक सुनहरा गोला बना।

वो औरत जैसी आकृति चीख़ी। उसका धुआँ बिखरने लगा। उसके साथ बाकी अनुचर भी राख बनकर हवा में उड़ गए। दरार धीरे-धीरे बंद हो गई।

गाँव में सन्नाटा छा गया। हवा शांत हो गई।


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थकावट और कसम

अनाया ज़मीन पर गिर पड़ी। उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया था। करन भागकर उसके पास आया और उसे गोद में उठा लिया।
“अनाया! आँखें खोल! तुझे कुछ नहीं होगा…”

अनाया ने कमज़ोर मुस्कान दी।
“करन… हमने पहली लड़ाई जीत ली… लेकिन याद रखना… साया की असली शक्ति अभी सामने नहीं आई है…”

करन की आँखों में आँसू भर आए। उसने आकाश की ओर देखा और दृढ़ स्वर में कहा,
“मैं कसम खाता हूँ… चाहे ये जंग कितनी भी लंबी क्यों न हो, मैं अनाया और इस धरती की रक्षा करूँगा। साया का अंत मेरे हाथों से ही होगा।”

गाँववाले धीरे-धीरे पास आए। सबकी आँखों में आँसू और श्रद्धा थी।
“तुम दोनों हमारे लिए देवता हो…” एक बुज़ुर्ग बोला।

लेकिन करन और अनाया जानते थे कि यह तो बस शुरुआत थी। असली रणभूमि अभी बाक़ी थी।
रहस्यमयी औरत का रहस्य

गाँव में लड़ाई ख़त्म हो चुकी थी। अनुचर राख बनकर उड़ चुके थे और धरती की दरार भी धीरे-धीरे भर गई थी। लेकिन सबकी आँखों में एक ही सवाल था—वह औरत कौन थी?

करन और अनाया दोनों थके हुए थे, मगर उस औरत की आख़िरी चीख़ उनके कानों में अब भी गूंज रही थी। उसकी परछाई धुएँ में विलीन हो गई थी, लेकिन जाते-जाते उसने कहा था—
“असली अंधकार अभी आना बाक़ी है…”


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आयरा की पहचान

अगली सुबह, जब करन और अनाया थोड़ी राहत में थे, तो आयरा (अनाया की माँ) ने उन्हें अलग बुलाया। उसके चेहरे पर गहरी चिंता थी।
“अनाया… करन… मुझे लगता है मैं जानती हूँ वो औरत कौन थी।”

अनाया चौंक गई,
“आप… आप जानती हैं?”

आयरा की आँखें भर आईं।
“वो औरत कभी इंसान थी। उसका नाम ‘माधवी’ था। वो तुम्हारे जन्म से बहुत पहले की बात है। माधवी एक साध्वी थी, जिसे तंत्र और शक्ति विद्या का वरदान था। लेकिन उसी विद्या ने उसे घमंडी बना दिया। उसने अमरत्व पाने के लिए साया से संधि की। और उसी पल से वो उसकी परछाई बन गई।”

करन ने गंभीर स्वर में कहा,
“मतलब… वो औरत साया की दासी है?”

आयरा ने सिर हिलाया,
“हाँ, और उससे भी ज़्यादा। माधवी वही है जिसने साया को पहली बार इस दुनिया में बुलाया था। वो उसका द्वार है। जब तक माधवी ज़िंदा है, साया कभी पूरी तरह नष्ट नहीं हो सकता।”


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सीमा का खुलासा

सीमा, करन की माँ, जो अब तक चुप थीं, धीरे से बोलीं—
“तुम्हारे पिता ने भी यही सच्चाई खोजी थी। जब उन्होंने माधवी का नाम लिया था, उसी रात उनकी मौत हुई। साया नहीं चाहता था कि ये राज़ किसी को पता चले। करन, अब ये जिम्मेदारी तेरे कंधों पर है। अगर माधवी को नष्ट कर दिया जाए तो साया की शक्ति आधी रह जाएगी।”

करन की आँखों में दृढ़ता झलक उठी।
“तो अब हमें माधवी को ढूँढना होगा।”


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अनाया का सपना

उस रात अनाया को अजीब सपना आया। उसने खुद को एक अंधेरे महल में पाया। चारों तरफ़ दीवारों पर लाल मशालें जल रही थीं। बीच में वही औरत—माधवी—खड़ी थी। उसके लंबे बाल हवा में उड़ रहे थे और उसकी आँखें अनाया पर टिकी थीं।

माधवी ने गहरी, धीमी आवाज़ में कहा—
“अनाया… तू ही वो है जिसके कारण मेरी अमरता टूट सकती है। तेरी आवाज़, तेरे मंत्र… यही मेरी मौत हैं। लेकिन याद रख, अगर तूने मुझे मारने की कोशिश की, तो सबसे पहले मैं तेरे अपनों को जला दूँगी। तेरे पिता, तेरी माँ, तेरे भाई अरजुन… सब राख हो जाएँगे।”

अनाया चीख़ते हुए जाग गई। उसका शरीर पसीने से तर-बतर था।


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तैयारी की घड़ी

सुबह उसने करन को सब बताया। करन ने उसका हाथ थामकर कहा,
“अनाया, यही साया की चाल है। वो हमें डराकर रोकना चाहता है। लेकिन अगर माधवी सच में साया का द्वार है, तो हमें हर हाल में उसे रोकना ही होगा। नहीं तो ये लड़ाई कभी ख़त्म नहीं होगी।”

अरजुन आगे आया।
“मैं भी साथ चलूँगा। ये अब सिर्फ़ तुम्हारी नहीं, पूरे गाँव की लड़ाई है।”

गाँव के कुछ नौजवान भी खड़े हो गए।
“हम भी चलेंगे। अब डरना छोड़ो, लड़ना सीखो।”

करन ने तलवार उठाई और सबके बीच खड़े होकर बोला,
“अगर हम सब मिलकर चलें तो साया का साम्राज्य भी काँप उठेगा। अब समय आ गया है उस अंधेरे महल तक पहुँचने का जहाँ माधवी छिपी है।”


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आगे का सफ़र

करन और अनाया ने तय किया कि उन्हें उस प्राचीन जंगल की ओर जाना होगा, जहाँ कभी माधवी ने साधना की थी। कहा जाता था कि वहाँ रात को आसमान काला हो जाता है, और पेड़ों के बीच से औरतों की चीख़ें सुनाई देती हैं।

गाँववाले डरते थे उस जगह का नाम लेने से भी, लेकिन करन और अनाया अब बिना डरे उस ओर कदम बढ़ाने को तैयार थे।

अनाया ने करन की ओर देखा, उसकी आँखों में डर और विश्वास दोनों थे।
“करन… अगर सचमुच माधवी साया का द्वार है… तो हमें उसे नष्ट करने के लिए अपनी जान भी देनी पड़ेगी।”

करन ने उसकी ओर देखकर कहा,
“अनाया, तेरी जान से बड़ी कोई जंग नहीं है। अगर तुझे कुछ हुआ, तो मैं ये दुनिया भी छोड़ दूँगा। लेकिन तू चिंता मत कर… इस बार हम जीतेंगे।”

दोनों ने हाथ थामे और अपने सफ़र की नई शुरुआत की—
उस अंधेरे जंगल की ओर जहाँ उनका सामना सिर्फ़ माधवी से ही नहीं, बल्कि उनके अपने सबसे गहरे डर से भी होना था।


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अंधेरे जंगल की दहलीज़

करन, अनाया, अरजुन और गाँव के कुछ बहादुर युवक जब गाँव से निकले तो सबके दिलों में एक ही सवाल था—क्या वे सचमुच ज़िंदा लौटेंगे?

सूरज ढल रहा था। रास्ते में हवा ठंडी होती जा रही थी। जैसे-जैसे वे जंगल के करीब पहुँचे, पेड़ और ऊँचे और घने होते गए। आसमान पर काले बादल छा गए, जबकि पास के गाँव में अब भी रोशनी थी।

अरजुन ने तलवार कसकर पकड़ी और बोला,
“ये जंगल सामान्य नहीं है। यहाँ कदम रखते ही समय और दिशा बदल जाते हैं। सावधान रहना सब।”


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जंगल का पहला जाल

जंगल में कदम रखते ही चारों तरफ़ अजीब-सी खामोशी छा गई। पत्तों की सरसराहट तक बंद हो गई थी। सिर्फ़ एक ठंडी हवा, जो हड्डियों में उतर जाए।

अचानक, आगे रास्ते पर एक छोटी बच्ची दिखाई दी। उसके हाथ में लाल गुड़िया थी और वो धीमे-धीमे गा रही थी।
“आओ खेलो, आओ खेलो…”

गाँव का एक युवक उसके पास जाने लगा।
“ये तो कोई खोई हुई बच्ची लगती है।”

अनाया चौंककर चिल्लाई,
“रुको! ये छलावा है!”

जैसे ही युवक ने बच्ची को छूने की कोशिश की, बच्ची का चेहरा भयानक हो गया। उसकी आँखें काली गुफ़ाओं जैसी, दाँत नुकीले और शरीर हड्डियों का ढांचा। वो युवक पर झपटी।

करन ने तुरंत तलवार घुमाई। सुनहरी चमक के साथ वो प्राणी चीख़ते हुए धुएँ में बदल गया।

अरजुन ने दाँत भींचते हुए कहा,
“जंगल हमें डराकर भटकाना चाहता है। सब अपनी आँखें और दिल मज़बूत रखो।”


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अनाया का भ्रम

कुछ दूर चलने के बाद अनाया अचानक रुक गई। उसकी आँखें बड़ी हो गईं।
“पापा…?”

सामने उसे अपने पिता का चेहरा दिखा। वो पुकार रहे थे,
“अनाया, मेरी बेटी… लौट आ, ये सफ़र तेरे लिए नहीं है।”

अनाया की आँखों से आँसू बह निकले।
“करन, ये पापा हैं… मैं उनके पास जाना चाहती हूँ।”

करन ने तुरंत उसका हाथ थामा और जोर से बोला,
“अनाया! ये सच नहीं है। ये जंगल तेरे दिल के सबसे गहरे डर और मोह को जाल बना रहा है। आँखें बंद कर, और मेरा हाथ मत छोड़।”

अनाया ने काँपते हुए आँखें बंद कीं और मंत्र पढ़ना शुरू किया। तभी वो चेहरा धुएँ में बदल गया और हवा में गूँजती आवाज़ बोली—
“तुम्हारी मोहब्बत ही तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी है…”


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जंगल का हृदय

कई घंटे भटकने के बाद वे जंगल के बीचोबीच पहुँचे। वहाँ एक विशाल वटवृक्ष खड़ा था। उसकी शाखाएँ ऐसे फैली हुई थीं जैसे किसी दैत्य की बाँहें हों। पेड़ की जड़ों के बीच एक गुफ़ा का दरवाज़ा था।

गुफ़ा से लाल रोशनी झलक रही थी और अंदर से औरतों की चीख़ें सुनाई दे रही थीं।

अनाया का चेहरा पीला पड़ गया।
“यही है माधवी का आश्रय… यहीं से साया की शक्ति फैलती है।”

करन ने तलवार म्यान से निकाली। उसका ब्लेड सुनहरी चमक से जगमगाने लगा।
“अगर यही उसका आश्रय है, तो हमें आज ही इसे तोड़ना होगा।”

अरजुन और बाकी युवक भी हथियारों को तैयार कर खड़े हो गए।


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पहला सामना

जैसे ही वे गुफ़ा के पास पहुँचे, अचानक धरती काँप उठी। पेड़ की जड़ों से काले धुएँ के साँप निकल आए। वे फुफकारते हुए सबकी ओर झपटे।

करन ने एक झटके में दो को काट डाला, अनाया ने मंत्र पढ़ा तो कुछ साँप राख बन गए। लेकिन बाकी युवक उन पर टूट पड़े और लड़ाई शुरू हो गई।

इसी बीच, गुफ़ा से वही आवाज़ गूँजी—
“स्वागत है… मेरे अंधकार के मंदिर में।”

गुफ़ा से माधवी बाहर निकली। उसके बाल काले धुएँ की तरह उड़ रहे थे, उसकी आँखें लाल अंगारों सी जल रही थीं।
“तुम सोचते हो तुम मुझे हरा दोगे? मैं ही वो हूँ जिसने साया को जन्म दिया। जब तक मैं हूँ, अंधकार अमर है।”


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टकराव की तैयारी

करन ने तलवार सामने की और अनाया उसके पीछे खड़ी होकर मंत्र पढ़ने लगी। अरजुन और युवक बचे हुए साँपों से भिड़े रहे।

माधवी हँसी,
“आओ करन, आओ अनाया। दिखाओ तुम्हारी मोहब्बत कितनी मज़बूत है। देखना, मैं इसे कैसे तुम्हारी मौत बना देती हूँ।”

करन और अनाया ने एक-दूसरे की ओर देखा।
“आज चाहे कुछ भी हो, ये जंग यहीं ख़त्म होगी।”

और उसी पल असली युद्ध की शुरुआत हुई।


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अंधकार और प्रकाश का पहला टकराव

गुफ़ा के बाहर जब माधवी खड़ी हुई, तो पूरा जंगल उसके अंधेरे से कांप उठा। उसकी आँखें अंगारे की तरह जल रही थीं और उसके चारों ओर हवा भारी और ज़हरीली हो गई थी।

करन ने तलवार मज़बूती से पकड़ी, जिसकी धार सुनहरी आभा से चमक रही थी। अनाया उसके पीछे खड़ी मंत्र पढ़ रही थी, जिससे तलवार और अधिक दमक उठी।

माधवी ने ठहाका लगाया,
“तो यही है वो तलवार… और यही है वो लड़की, जिसकी आवाज़ मेरी मौत है? कितना मज़ाकिया है। चलो, देखती हूँ, मोहब्बत सचमुच अंधकार को हरा सकती है या नहीं।”


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पहला वार

माधवी ने दोनों हाथ फैलाए और अचानक उसके इर्द-गिर्द काले धुएँ का तूफ़ान उठने लगा। उस तूफ़ान से धारदार छायाएँ बनीं, जो तीरों की तरह करन और अनाया की ओर बढ़ीं।

करन ने तलवार से पहली लहर रोक ली, लेकिन दबाव इतना था कि उसके हाथ सुन्न हो गए।
“अनाया, और तेज़ मंत्र पढ़!” करन ने गरजकर कहा।

अनाया ने आँखें बंद कीं और ऊँची आवाज़ में श्लोक गाने लगी। जैसे ही उसके शब्द हवा में गूंजे, तलवार सुनहरी आग से भर उठी। करन ने उसे घुमाया और छायाएँ चीख़ते हुए राख में बदल गईं।

माधवी की आँखों में हैरानी की झलक आई।
“हम्म… तो भविष्यवाणी सच थी। लेकिन याद रखो, रोशनी जितनी तेज़ होती है, उसका साया उतना ही गहरा होता है।”


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भ्रम का जाल

अचानक माधवी ने हाथ से इशारा किया और करन के सामने उसकी माँ सीमा का चेहरा उभर आया।
“करन बेटा… मेरी रक्षा करो!”

करन का दिल दहल गया।
“माँ…?”

लेकिन तभी सीमा का चेहरा बदलकर भयानक मुखौटा बन गया और उस पर झपटा। करन लगभग पीछे गिर पड़ा, लेकिन अनाया ने चिल्लाकर मंत्र पढ़ा और वो चेहरा धुएँ में बदल गया।

अनाया ने क्रोधित स्वर में कहा,
“तेरे छल अब काम नहीं आएँगे माधवी!”


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शक्ति का टकराव

माधवी ने गुस्से में ज़मीन पर पैर पटका। धरती फट गई और गुफ़ा से काले अग्नि-स्तंभ निकलने लगे।
“मैं अंधकार की जननी हूँ! तुम मुझे नष्ट नहीं कर सकते!”

करन ने तलवार ऊँची उठाई।
“और मैं उस वंश का बेटा हूँ, जिसका काम तेरा अंत करना है!”

अनाया ने दोनों हाथ फैलाए, उसकी आँखें चमक उठीं। मंत्र के साथ उसका पूरा शरीर सुनहरी आभा से दमकने लगा। करन और अनाया की शक्ति मिलकर तलवार में समा गई।

वे दोनों साथ में आगे बढ़े। करन ने तलवार सीधा माधवी की ओर साधी।


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निर्णायक पल

तलवार जैसे ही माधवी के काले आभामंडल से टकराई, पूरा जंगल गूँज उठा। रोशनी और अंधकार का भयानक विस्फोट हुआ। पेड़ उखड़कर हवा में उड़ गए, ज़मीन हिलने लगी।

माधवी चीख़ उठी। उसका शरीर धुएँ में बदलने लगा, लेकिन फिर भी उसने हँसते हुए कहा—
“तुमने मुझे घायल कर दिया है… लेकिन याद रखो, जब तक मैं पूरी तरह नष्ट न हो जाऊँ, साया अजर-अमर रहेगा। मैं फिर लौटूँगी… और उस दिन तुम्हारे अपनों का खून मेरी शक्ति बनेगा।”

ये कहकर उसका शरीर राख बनकर गुफ़ा की गहराइयों में समा गया।


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थकावट और रहस्य

करन ज़मीन पर गिर पड़ा, उसका शरीर थकान से काँप रहा था। अनाया भी बैठ गई, उसका चेहरा सफ़ेद और आँखें भारी।

अरजुन और बाकी युवक दौड़कर उनके पास आए।
“तुम दोनों ठीक हो?”

करन ने साँस सँभालते हुए कहा,
“हमने उसे पूरी तरह नष्ट नहीं किया… उसने खुद कहा, वो लौटेगी। लेकिन अब हमें पता चल गया है—माधवी ही साया की कुंजी है। जब तक वो ज़िंदा है, साया वापस आता रहेगा।”

अनाया ने धीरे से कहा,
“और मुझे लगता है… अगली बार वो सिर्फ़ हमें नहीं, हमारे अपनों को भी निशाना बनाएगी।”


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अगली राह

जंगल अब शांत था, लेकिन गुफ़ा के भीतर से धीमी-सी फुसफुसाहट आ रही थी, मानो अंधकार अब भी ज़िंदा हो।

करन ने तलवार उठाई और कहा,
“ये हमारी जीत नहीं… बस पहला कदम है। अब हमें माधवी के अतीत को खोजना होगा—क्योंकि वहीं से उसकी ताक़त का राज़ मिलेगा। और वही उसका अंत भी बताएगा।”

अनाया ने करन का हाथ कसकर पकड़ लिया।
“हाँ, करन… अब ये सिर्फ़ जंग नहीं, हमारा भाग्य है।”

दोनों की आँखों में थकान के बावजूद नई आग जल रही थी। असली युद्ध अभी बाकी था…


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माधवी का अतीत – साध्वी से दानवी तक

रात गहरी थी। करन और अनाया गाँव लौट चुके थे। सब लोग चैन की साँस ले रहे थे, लेकिन करन के मन में एक ही सवाल गूंज रहा था—
“माधवी कौन थी… और उसका साया से क्या रिश्ता है?”

अनाया ने धीमे स्वर में कहा,
“मुझे भी यही लगता है कि जब तक हम उसका अतीत नहीं जानेंगे, हम कभी जीत नहीं पाएँगे।”

तभी उनके सामने गाँव के सबसे बुज़ुर्ग साधु, ऋषि वेदान्त आ गए। उनकी आँखों में सबकुछ जान लेने वाली गहराई थी।
“तुम दोनों ने पहला कदम सही उठाया है। लेकिन माधवी को हराना आसान नहीं। उसका जन्म साधारण नहीं था।”


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माधवी का जन्म

सैकड़ों साल पहले, माधवी एक पवित्र आश्रम में जन्मी थी। वो एक ऋषि की पुत्री थी। बचपन से ही उसमें अपार विद्या और तपस्या की क्षमता थी।
कहते हैं, उसका ध्यान इतना गहरा था कि देवता भी उसकी साधना से प्रभावित हो जाते थे।

लेकिन… हर शक्ति के साथ ईर्ष्या भी जन्म लेती है।

एक दिन, राजसभा में कुछ षड्यंत्रकारी मंत्रियों ने माधवी पर जादूटोना और तंत्र-मंत्र का झूठा आरोप लगाया। राजा ने उसकी साधना पर संदेह कर लिया। लोगों ने उस पर उंगलियाँ उठाईं।

माधवी ने रोकर कहा,
“मैं निर्दोष हूँ! मैं सिर्फ़ भगवान की भक्ति करती हूँ।”

लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी। भीड़ ने उसे पत्थर मारे, उसे तिरस्कृत किया गया। अंततः, उसे जंगल में निर्वासित कर दिया गया।


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श्राप और अंधकार का जन्म

जंगल में माधवी अकेली भटक रही थी। उसके भीतर दर्द और आक्रोश की आग जलने लगी। उसने ईश्वर से पुकारा,
“जब मेरी भक्ति पर शक किया गया, तब तुम कहाँ थे? जब मुझे निर्दोष होकर भी सज़ा मिली, तब तुमने मुझे बचाया क्यों नहीं?”

उसकी आँखों से आँसू नहीं, आग बह रही थी।

उसी समय अंधकार का एक दूत उसके सामने प्रकट हुआ।
“माधवी, अगर तू न्याय चाहती है… तो तेरे आँसू को शक्ति में बदल दूँ। दुनिया ने तुझे ठुकराया है, लेकिन मैं तुझे अमरता दूँगा।”

माधवी ने पहले विरोध किया। लेकिन जब उसने अपने घावों, अपने अपमान और विश्वासघात को याद किया—तो उसका दिल कठोर हो गया।
“ठीक है… अगर रोशनी ने मुझे ठुकराया है, तो मैं अंधकार को अपना लूँगी।”

उस रात माधवी ने काले तंत्र की दीक्षा ली। उसका स्वरूप बदल गया। उसकी आँखें अंगारे सी लाल हो गईं, उसकी आत्मा में दर्द की जगह शाप बस गया।

वो साध्वी से बदलकर अंधकार की जननी बन गई।


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साया का उद्भव

माधवी की शक्ति इतनी भयानक थी कि उसने अपने दर्द से एक परछाई पैदा की—जो उसके हर आदेश पर चलती थी।
वो परछाई ही साया थी।

साया ने उसके शत्रुओं को निगल लिया। राजसभा, राजा, षड्यंत्रकारी—all एक-एक करके भस्म हो गए।
माधवी अब दुनिया से बदला लेने लगी।

ऋषि वेदान्त ने गहरी साँस ली और कहा,
“माधवी ने खुद को अंधकार में डुबो दिया। और साया उसकी ही आत्मा का टुकड़ा है। जब तक माधवी जिंदा है, साया को कोई नहीं मार सकता।”


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रहस्य का खुलासा

करन और अनाया स्तब्ध रह गए।
करन ने कहा,
“मतलब… हम साया को तब तक नहीं मिटा सकते, जब तक माधवी को समाप्त न करें।”

ऋषि वेदान्त ने सिर हिलाया।
“हाँ, लेकिन ध्यान रहे—माधवी सिर्फ़ शक्ति से नहीं मरेगी। उसकी आत्मा अब भी अधूरी है। उसका अंत तभी होगा जब कोई उसे उसके अपने पापों का सामना कराए।”

अनाया ने धीरे से पूछा,
“तो क्या हमें माधवी को मारना है… या उसे उसके श्राप से मुक्त करना है?”

ऋषि मुस्कुराए,
“यही इस युद्ध का असली प्रश्न है, बच्ची।”


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आगे की राह