Adhure ishq ki puri dastan - 8 in Hindi Love Stories by Nirali Ahir books and stories PDF | अधूरे इश्क की पूरी दास्तान - 8

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अधूरे इश्क की पूरी दास्तान - 8

नीलिमा की मम्मी से बात करने के बाद आकाश सीधा नीलिमा के कमरे की ओर गया नीलिमा अपने कमरे में तैयार हो रही थी उसने ब्लैक कलर का सलवार सूट पहना था ऊपर से खुल्ले बाल,बड़ी बड़ी आंखों में काला काजल,होठों पर हल्का गुलाबी लिपस्टिक ओर माथे पे छोटी सी बिंदी।
     आकाश पलक झपकाए बिना उसे पीछे से आईने में देखता ही रह गया।अपने पीछे आकाश को देख नीलिमा बोली क्या हुआ आकाश इसे क्यू देख रहे हो,पहले कभी देखा नहीं क्या।
    देखा तो कई बार पर इस रूप में नहीं.....
     नीलिमा बोली क्या बडबडा रहे हो जोर से बोलो थोड़ा।ये सुन आकाश होश में आया ओर इधर उधर देखने लगा,नीलिमा बोली कुछ कह रहे थे तुम? आकाश बोला नीलिमा वो.....तुम....में....कह रहा था कि....फिर खुद को संभालते हुए गला साफ करने की एक्टिंग करते हुए बोला जल्दी चलो वरना लेट हो जाएंगे।
     नीलिमा ने कहा पर जाना कहा है वो तो बताओ फोन पे भी तुम यही बोल रहे थे हमे प्रोजेक्ट के लिए किसी दोस्त के वहां मिलना है अच्छे से तैयार हो जाना किस के घर जा है?
     आकाश ने बोला सारे सवाल यही कर लोगी या फिर चलोगी भी? चलो तुम्हे खुदबखुद ही पता चल जाएगा।वैसे ये सरप्राइज़ है तुम्हारे लिए।
     तुम ओर तुम्हारी सरप्राइज़ मेरे तो पल्ले नहीं पड़ते चलो अब जल्दी घर भी लौटना है।ये कहते हुए नीलिमा कमरे से बाहर चली गई,किचेन में जाकर अपनी मम्मी से बोली मम्मा में जा रही हु।उसकी मम्मी ने कहा पर सुनो जरा जल्दी...... उसकी बात काटते हुए नीलिमा बोली जरा जल्दी आना,बाहर ज्यादा देर तक मत रुकना,मुझे पता है आप ओर पापा बाहर जाने वाले हैं में जल्दी आजाऊंगी।
     उसकी मम्मी ने हंस के कहा शैतान कही कि जा अब जल्दी आ जाना।नीलिमा बाय बोलकर आकाश के साथ कार में बैठ गई और दोनों प्रीतम के घर की ओर चल दिए।
     इस तरफ प्रीतम बेचारी सी शकल बनाकर इधर उधर घूम रहा था ओर बार बार घड़ी की ओर देख रहा था ओर सोफे पे बैठा हुआ विष्णु प्रीतम को देखे जा रहा था। विष्णु ने कहा बस कर भाई तुझे ऐसे घूमते देख देख कर मुझे चक्कर आने लगे है,आकाश ने बोला था वो लेके आएगा तो आ जाएगा अभी 11 बजने में 5 मिनट बाकी है।
     विष्णु ये बोल ही रहा था तभी डोरबेल बजी,विष्णु प्रीतम की ओर देखते हुए बोला लो आ गई आपकी मोहब्बत जाइए और उसका वेलकम कीजिए।तभी प्रीतम हड़बड़ाकर बोला विष्णु तू...जा तू ही खोल में यही रहता हूं में डोर खोलूंगा तो उसे देखके ओर नर्वस हो जाऊंगा।

    विष्णु छेड़ते हुए बोला वैसे तो बड़ी जल्दी पड़ी थी घड़ी से नजर नहीं हट रही थी और अब a गई तो नर्वस हो रहा है।प्रीतम ने उसे खड़ा करते हुए का बेटा जब तुझ पर आएगी ना तब पता चलेगा लड़की को प्रपोज करना कितना मुश्किल होता है फिलहाल तू डोर ओपन कर कही वो दरवाजे से ही न लौट जाए।

     विष्णु खड़ा होकर बोला हा जाता हु में बस इसी कम के लिए ही तो था।ऐसा कहके उसने डोर ओपन किया सामने ही आकाश ओर नीलिमा खड़े थे,विष्णु ने मजाकिया अंदाज में कहा आइए नीलिमा जी तशरीफ लाइए आपका बड़ी ही बेसब्री से इंतजार हो रहा था यहां ऐसा कह उसने प्रीतम की ओर देखा अपनी आईब्रो उठा कर बोला क्यू प्रीतम !

    प्रीतम शर्मा गया ओर अपनी नजरें नीलिमा के ऊपर से हटाली। तभी आकाश ने बोला जी हमारा इंतजार नहीं हो रहा था क्यू की नीलिमा को में ही लेकर आया हु? विष्णु ने उसकी ओर देखते हुए कहा अरे हां आप भी है वो क्या है नीलिमा जी के चहेरे से नजर हटे तब आपको देखे ना!
    
    तभी नीलिमा ने विष्णु के कान को पकड़ते हुए बोला सारी शरारतें यही करलेगा या अंदर भी बुलाएगा? विष्णु ने करहते हुए बोला देखा प्रीतम अभी तो ये भाभी बनी भी नहीं ओर अभी से कण पकड़ ने लगी।ये सुन नीलिमा खड़ी रह गई और प्रीतम ओर आकाश की ओर हैरानी से देखने लगी।
     माहौल को हल्का करते हुए प्रीतम ने बोला चुप कर बदमाश कितना सताएगा उसे अंदर तो आने दे,फिर अपनी शरारतें करना,ये सुन आकाश भी बोला हा चलो नीलिमा अंदर ये पागल हैं विष्णु चल साइड हो जा अन्दर आने दे। विष्णु ने साइड में जाते हुए कहा हा क्यों नहीं आइए नीलिमा जी अन्दर आइए।
    जैसे ही नीलिमा ने घर की चौखट के अंदर पैर रखा ऊपर से फूलों की बारिश होने लगी ये देख हैरान नीलिमा बहुत खुश हो गई,तभी प्रीतम पास जाकर बोला वेलकम तो माई होम नीलिमा।

    नीलिमा ने प्रीतम की ओर देखा और हंसकर बोली ये सब क्या है प्रीतम? तभी विष्णु ने घर की सारी लाइटें बंध कर दी। नीलिमा ओर प्रीतम की ऊपर हल्की पीली स्पोर्ट लाइट पड़ रही थी। प्रीतम धीरे से अपने घुटनों पर बैठ गया जेब में से अंगूठी निकाली और झिझकती आवाज में बोला नीलिमा में... तुमसे.... प्यार.....आगे उसकी आवाज ना निकल सकी वो नीलिमा की ओर देखने लगा।
     
     तभी नीलिमा ने कहा प्रीतम ये सब.......?

     तभी प्रीतम ने हिम्मत कर के बोला हा नीलू में तुमसे पहली नजर में ही प्यार कर बैठा हु। तुम्हे जब से देखा है तबसे तुमसे दूर रहना मुश्किल लग रहा है। जब भी तुम्हारे चहेरे की ओर देखता हु तो दिल करता है तुम्हे बस यूंही देखता ही रहू,मेरा बस चले तो तुम्हे अपनी आंखों से एक सेकंड भी दूर ना जाने दु , अगर कोई मेरी नजर से देखे तो इस पूरी दुनिया में तुमसे ज्यादा खूबसूरत ओर कोई नजर नहीं आएगा और खास तो तुम्हारे होंठो के नीचे ये काला तिल तुम्हारे चहेरे को ओर भी सुंदर बनाता है।
     
      नीलू में जिंदगी के सफर में तुम्हे हमसफर बनाना चाहता हु,क्या तुम बनना चाहेगी मेरी हमसफर??
    
    नीलिमा को चुपचाप अपनी ओर ताकता देख प्रीतम ओर भी बेचैन हो गया ओर बोला में जानता हु तुम भी मुझे पसंद करती हो क्या मेरे साथ मेरा मनपसंद जीवनसाथी बनकर साथ चलना चाहोगी?
     
     ये सब सुन नीलिमा की आंखों में आंसू आ गए और वो प्रीतम की ओर एकटक देखे ही जा रही थी ऐसा लग रहा था मानो वो कुछ बोलना चाह रही थी पर बोल नहीं पा रही थी।

   प्रीतम ओर अधिक बेचैन होकर बोला जो भी कहना चाहो कहदो नीलू में यही पर हु आराम से जवाब दो 
     "Will you marry me"?