you are mine in Hindi Love Stories by Tanya Singh books and stories PDF | तुम मेरे हो

Featured Books
Categories
Share

तुम मेरे हो

कॉलेज का पहला दिन था। भीगी-भीगी सी सुबह, हवा में मिट्टी की खुशबू थी।
आरोही अपनी किताबें सीने से लगाए, नए चेहरे, नए माहौल को देखती हुई कैंपस में दाख़िल हुई।
दिल में हल्की सी घबराहट, और आँखों में अनगिनत सपने।

क्लासरूम में जगह ढूँढ़ते हुए वो पीछे की सीट पर बैठ गई। तभी एक आवाज़ आई —
“Excuse me, ये सीट खाली है?”

उसने पलटकर देखा — एक लंबा, सादा-सा पर बहुत आकर्षक चेहरा।
सफेद शर्ट, हल्की मुस्कान और आँखों में कुछ ऐसा जो दिल को छू जाए।

“हाँ, बैठ सकते हो,” आरोही ने धीरे से कहा।
“Thanks. वैसे मैं आयान,” उसने हाथ बढ़ाया।
आरोही ने हल्का सा सिर झुकाया, “आरोही…”

और उस एक लम्हे में, जैसे वक़्त ठहर गया हो।

---

दिन बीतते गए। आरोही और आयान की मुलाकातें बढ़ने लगीं।
कभी लाइब्रेरी में, कभी कैंटीन में, कभी कॉलेज के गार्डन में —
हर जगह उनकी हँसी, बातें और एक अनकही सी चाह मौजूद रहती।

आयान हमेशा उसे हँसाने की कोशिश करता,
और आरोही उसकी हर बात ध्यान से सुनती।
वो दोनों एक-दूसरे के लिए अब ‘ज़रूरत’ बन चुके थे,
बस किसी ने अब तक इज़हार नहीं किया था।

एक दिन बारिश हो रही थी।
आयान ने छतरी आगे बढ़ाई — “चलो, साथ चलते हैं।”
आरोही मुस्कुराई, “बारिश में भीगने का मज़ा छतरी के नीचे नहीं आता।”
“तो फिर भीग चलो… मेरे साथ।”
और दोनों हँस पड़े।
उन्हें नहीं पता था — यही हँसी, एक दिन याद बन जाएगी।

---

कॉलेज का फेस्टिवल चल रहा था।
आयान ने आरोही को स्टेज पर गाना गाते देखा।
वो पल उसकी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत लम्हा था।

शाम को जब सब चले गए,
आयान ने उसे कैंपस के पुराने बरगद के पेड़ के नीचे बुलाया।
धीरे से बोला,
“आरोही, मुझे नहीं पता ये क्या है,
पर जब तुम पास होती हो तो सब सही लगता है।
क्या तुम… मुझसे प्यार करती हो?”

आरोही की आँखों में नमी और मुस्कान साथ आई,
“पता नहीं कब हुआ, पर हाँ… तुम मेरे दिल में हो, आयान।”

उस रात आसमान में तारे भी मुस्कुरा रहे थे —
क्योंकि दो दिलों ने एक-दूसरे को पा लिया था।

---

पर ज़िंदगी हमेशा परियों की कहानी नहीं होती।
अचानक आयान का फोन बंद आने लगा।
क्लास में उसका आना कम हो गया।
आरोही ने बहुत कोशिश की, पर कोई जवाब नहीं।

एक हफ़्ते बाद कॉलेज में ख़बर फैली —
आयान शहर छोड़ गया है।

आरोही को कुछ समझ नहीं आया।
वो दिन रात रोती रही, अपने हर खत में वही सवाल लिखती रही —
“क्यों गए तुम, आयान?”

कभी जवाब नहीं आया।

---

सात साल बीत गए।
आरोही अब एक सफल लेखिका बन चुकी थी।
उसकी किताबें लोगों के दिलों को छू रही थीं,
पर उसका अपना दिल अब भी अधूरा था।

एक दिन बुक लॉन्च इवेंट में,
वो भीड़ में किसी की नज़र से टकराई —
वो वही आँखें थीं… आयान।

वो पल थम गया।
इतने सालों बाद भी वही एहसास जिंदा था।

---

आयान ने बताया —
“मुझे कैंसर था, आरोही। डॉक्टर ने कहा था ज़्यादा वक़्त नहीं है।
मैं नहीं चाहता था कि तुम मेरी वजह से टूटो,
इसलिए चला गया…”

आरोही की आँखों से आँसू गिर पड़े।
“तुमने मुझसे सच क्यों नहीं कहा?”

आयान ने धीमे से मुस्कुराया,
“क्योंकि तुम्हारी मुस्कान मेरी आख़िरी दवा थी।”

---

आयान अब ठीक हो चुका था — बीमारी पीछे छूट चुकी थी।
लेकिन उनके बीच बीते सालों की दूरी अब भी जिंदा थी।

एक शाम उसने कहा,
“आरोही, मैं अब भी वही महसूस करता हूँ…
क्या तुम मुझे फिर से एक मौका दोगी?”

आरोही ने उसका हाथ थाम लिया,
“तुम्हें मौका नहीं देना है, आयान…
क्योंकि मेरे दिल में तुम्हारी जगह कभी किसी ने ली ही नहीं।”

---

अब दोनों साथ थे — न डर, न दूरी, बस सुकून।
आरोही फिर से मुस्कुराना सीख चुकी थी,
और आयान ने पहली बार खुद से जीना सीखा।

बरसों बाद जब बारिश हुई,
दोनों एक ही छतरी के नीचे खड़े थे —
पर अब किसी ने कहा नहीं,
“भीग चलो…”

क्योंकि अब वो एक-दूसरे की पनाह बन चुके थे।

---

आरोही की नई किताब का नाम था —
“Tum Mere Ho”
और उसके पहले पन्ने पर लिखा था:

> “कुछ लोग वक्त के साथ बदल जाते हैं,
और कुछ… वक्त को बदल देते हैं।
आयान, तुम मेरे हो — हमेशा।”



---
समाप्त 
- By Tanya Singh