Shadows Of Love - 7 in Hindi Adventure Stories by Amreen Khan books and stories PDF | Shadows Of Love - 7

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Shadows Of Love - 7

सीमा के अतीत की परतें खुलती जा रही थीं। उसका सफर साधारण से असाधारण और फिर खौफनाक बन चुका था। बचपन में वह हमेशा अपने गाँव की गलियों में मासूमियत से खेला करती थी। उसके सपने बहुत बड़े नहीं थे, बस इतना चाहती थी कि परिवार चैन से जिए, माँ-बाप की आँखों में खुशी रहे और भाई-बहन सुरक्षित रहें। मगर किस्मत ने उसे उस रास्ते पर धकेल दिया जहाँ से लौटना नामुमकिन था।

उसके पिता एक ईमानदार अफसर थे। वे भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होते तो ताक़तवर लोग उनसे नाराज़ हो जाते। धमकियाँ मिलतीं, दबाव डाला जाता, लेकिन पिता पीछे नहीं हटते। आखिरकार एक दिन, उनके ही घर के सामने गोली चलाकर उनकी हत्या कर दी गई। यह हादसा सीमा की ज़िंदगी का सबसे बड़ा मोड़ था। उसने पहली बार महसूस किया कि कानून और व्यवस्था केवल किताबों में है, असल दुनिया में ताक़त और पैसा ही राज करते हैं।

माँ की आँखों में दर्द था, परिवार सहमा हुआ था, और चारों ओर साज़िशों का जाल। उसी दिन सीमा ने ठान लिया था कि वह कभी भी अपने परिवार को असहाय नहीं होने देगी। उसने पढ़ाई के साथ-साथ हथियार चलाना सीखा, अपराधियों की चालें समझीं और धीरे-धीरे उन लोगों से दोस्ती की जो गुप्त दुनिया में ताक़तवर थे।

शुरुआत में उसका इरादा केवल अपने परिवार की रक्षा करना था। लेकिन जैसे-जैसे हालात बिगड़ते गए, वैसे-वैसे सीमा का रास्ता अंधकारमय होता गया। वह जान चुकी थी कि दुनिया में सिर्फ वही लोग सुरक्षित हैं जिनके पास शक्ति है। इसी सोच ने उसे अपराध की उस दुनिया में पहुँचा दिया जहाँ से वापसी की कोई राह नहीं थी।

वह तेज़ दिमाग और बहादुर दिल की लड़की थी। जल्द ही उसने छोटे-मोटे गिरोहों को अपने काबू में करना शुरू किया। लोग उसे डर से नहीं, बल्कि उसकी न्यायप्रियता से मानने लगे। अगर कोई औरत या बच्चा मुसीबत में होता, तो सीमा उनके लिए ढाल बनकर सामने आती। इसी वजह से उसके गैंग के लोग उसे केवल डॉन नहीं, बल्कि रक्षक मानते थे।

समय बीता और सीमा ने अंतरराष्ट्रीय गिरोहों तक पहुँच बना ली। हथियार, ड्रोन, तकनीक—सब उसके पास था। अब उसकी शक्ति इतनी बड़ी हो चुकी थी कि बड़े-बड़े अपराधी और भ्रष्ट राजनेता भी उससे डरने लगे। लेकिन यह ताक़त सीमा के लिए अभिमान नहीं, बल्कि जिम्मेदारी थी।

वह अंदर से अब भी वही लड़की थी जो कभी न्याय के लिए लड़ी थी। फर्क बस इतना था कि अब उसका न्याय पाने का तरीका कानून से नहीं, बल्कि अपनी बनाई दुनिया से होता था।

उधर अर्जुन और आयरा लगातार उसकी गतिविधियों पर नज़र रख रहे थे। उन्हें मालूम था कि सीमा को रोकना आसान नहीं होगा। उसके पास न केवल हथियार थे, बल्कि लोगों का भरोसा भी था। सबसे कठिन काम यह था कि उसे दुश्मन मानकर लड़ना या फिर इंसान मानकर समझाना।

रात के अंधेरे में जब सीमा अकेली बैठती, तो उसके सामने पिता की मुस्कुराती तस्वीर आ जाती। आँसू उसकी आँखों से बहते, लेकिन अगले ही पल वह कठोर चेहरे के साथ उठ खड़ी होती। उसकी दुनिया अब सिर्फ सुरक्षा और बदले पर टिकी थी।

कहानी यहीं से और गहरी हो रही थी—जहाँ एक मासूम बेटी का दर्द उसे अंडरवर्ल्ड की रानी बना चुका था, और अब उसके सामने वही लोग खड़े थे जो उसकी सच्चाई को समझते भी थे और रोकना भी चाहते थे। 
अर्जुन और आयरा ने कई दिनों तक सीमा के ठिकानों की जानकारी जुटाई। हर कदम सोचा-समझा हुआ था, क्योंकि वे जानते थे कि सीमा अब सिर्फ एक इंसान नहीं, बल्कि एक पूरी व्यवस्था थी।

आख़िरकार एक रात, शहर की सीमा पर बने पुराने गोदाम में उनका सामना हुआ। चारों ओर सीमा के लोग हथियार लिए खड़े थे, ऊपर ड्रोन मंडरा रहे थे, और बीच में काले परिधान में सीमा खड़ी थी। उसके चेहरे पर वही कठोरता थी, लेकिन आँखों में कहीं न कहीं दर्द की झलक अब भी बाकी थी।

अर्जुन आगे बढ़ा और शांत स्वर में बोला—
“सीमा, तुम्हें रोकना ज़रूरी है। लेकिन हमें मालूम है कि तुम अपराधी दिल से नहीं बनीं, हालात ने मजबूर किया है।”

सीमा ने हल्की हँसी के साथ जवाब दिया—
“मजबूरी... यही शब्द हर कोई कहता है। पर सच तो यह है, अर्जुन, कि इस दुनिया में जो मजबूर है वही कुचला जाता है। मैंने कुचले जाने के बजाय कुचलना सीख लिया।”

आयरा ने गहरी साँस लेकर कहा—
“अगर तुम्हें सिर्फ शक्ति चाहिए थी, तो तुम भी बाकी अपराधियों जैसी होतीं। लेकिन तुम्हारे फैसलों में हमेशा इंसानियत झलकती है। इसका मतलब है कि तुम्हारे अंदर वह लड़की अब भी जिंदा है जो न्याय चाहती थी।”

सीमा की आँखों में एक पल के लिए चमक आई, पर उसने तुरंत चेहरा सख्त कर लिया—
“न्याय? न्याय की तलाश में मेरे पिता की जान गई, मेरे परिवार को डर में जीना पड़ा। कानून और न्याय तो सिर्फ किताबों के शब्द हैं। असली दुनिया में गोली और पैसे की भाषा बोली जाती है।”

अर्जुन ने दृढ़ स्वर में कहा—
“गलत। असली दुनिया में इंसानियत अब भी जिंदा है। और तुम चाहो तो उसका सबसे बड़ा सबूत बन सकती हो। अपराध की इस दुनिया से निकलकर वही ताक़त बन सकती हो जो निर्दोषों की रक्षा करे, बिना खून बहाए।”

सीमा कुछ देर चुप रही। उसके लोग बेचैनी से इशारे करने लगे, लेकिन उसने हाथ उठाकर उन्हें शांत कर दिया। वह धीरे-धीरे अर्जुन और आयरा की तरफ बढ़ी और धीमे स्वर में बोली—
“तुम दोनों सोचते हो कि मुझे बदल सकते हो? या फिर सिर्फ अपने मिशन को पूरा करना चाहते हो?”

आयरा ने बिना झिझक कहा—
“हमारा मिशन सिर्फ तुम्हें पकड़ना नहीं है, सीमा। हमारा मिशन है तुम्हें वो आईना दिखाना जिसमें तुम अब भी वही बेटी नज़र आओ, जिसने अपने पिता के सपनों के लिए लड़ाई शुरू की थी।”

सीमा की आँखें भर आईं, लेकिन अगले ही पल उसने कठोर स्वर में कहा—
“अगर तुम मुझे रोकना चाहते हो, तो याद रखना... यह आसान नहीं होगा। मेरे पास सिर्फ हथियार नहीं, पूरा तंत्र है। और मैं उसे यूँ ही छोड़ दूँ... यह सोचना भी मत।”

गोदाम का माहौल अचानक और भारी हो गया। दोनों तरफ हथियार ताने लोग खड़े थे। हवा में तनातनी साफ महसूस हो रही थी। लेकिन इस टकराव के बीच कहीं न कहीं एक उम्मीद भी जन्म ले चुकी थी—शायद सीमा का दिल अब भी पूरी तरह पत्थर नहीं बना।
सीमा का दिल उस रात चैन से नहीं सो पाया। गोदाम में अर्जुन और आयरा की बातें उसके कानों में गूंजती रहीं। जब वह अपने कमरे में अकेली बैठी, तो सामने पिता की तस्वीर रखकर देर तक देखती रही।

उसकी आँखों से आँसू निकले, लेकिन अगले ही पल उसने उन्हें पोंछ दिया।

“पापा… मैंने ये सब इसलिए किया ताकि कोई हमें फिर से तोड़ न सके। लेकिन क्या मैं वाक़ई वही कर रही हूँ जो आपने सिखाया था?”

वह बुदबुदाई, और कमरे में सन्नाटा गहराता गया।


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अगले दिन सीमा ने अपने गैंग के बड़े लोगों की बैठक बुलाई।

उसके एक साथी ने कहा—
“मालकिन, हमें खबर मिली है कि अर्जुन और आयरा लगातार हमारा पीछा कर रहे हैं। हमें उन्हें तुरंत खत्म करना होगा।”

सीमा ने गहरी नज़र से उसकी तरफ देखा और सख़्त स्वर में बोली—
“खून बहाना आसान है। लेकिन अगर हमें ताक़तवर बनना है, तो दिमाग से काम करना होगा। फिलहाल कोई भी हमला नहीं होगा। वे क्या चाहते हैं, यह समझना ज़रूरी है।”

उसकी बात सुनकर बाकी लोग हैरान रह गए। सबको पहली बार लगा कि उनकी डॉन किसी और दिशा में सोच रही है।


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उधर अर्जुन और आयरा ने भी बैठक की।

आयरा बोली—
“अर्जुन, मैंने उसकी आँखों में देखा था। वह बाहर से भले कठोर हो, लेकिन अंदर से अब भी टूट रही है। हमें इस टूटन को ताक़त बनाना होगा।”

अर्जुन ने सिर हिलाते हुए कहा—
“सही कह रही हो। लेकिन हमें बहुत संभलकर आगे बढ़ना होगा। अगर हमने ज़रा भी गलती की, तो वह हमें दुश्मन मानकर सब खत्म कर देगी।”


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रात को सीमा अकेली बैठी थी। बाहर से उसकी हवेली रोशनी और पहरे से भरी थी, लेकिन अंदर उसका दिल अंधेरे से घिरा हुआ था। अचानक उसने खिड़की से बाहर झाँका, और उसे याद आया जब वह छोटी थी तो पिता के साथ बैठकर सितारे गिनती थी।

उसकी आँखें नम हो गईं।
“क्या मैं वाक़ई सही रास्ते पर हूँ?” उसने खुद से सवाल किया।


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कुछ दिन बाद अर्जुन और आयरा ने एक और योजना बनाई। उन्होंने तय किया कि वे सीमा के अतीत से जुड़ा सच उसके सामने रखेंगे। उन्होंने सीमा की माँ और भाई को सुरक्षित जगह पर लाकर उससे मिलवाने का फैसला किया।

जब सीमा अपनी माँ के सामने आई, तो उसका सख़्त चेहरा अचानक पिघल गया। माँ की काँपती आवाज़ गूंजी—
“बेटी, तूने यह सब क्यों चुना? तेरे पापा चाहते थे कि तू उनकी तरह ईमानदारी से जिए, दूसरों के लिए ढाल बने… हथियारों की डॉन नहीं।”

सीमा की आँखों से आँसू बहे। उसके अंदर एक तूफ़ान उठ खड़ा हुआ।

अर्जुन धीरे से बोला—
“सीमा, ये तुम्हारा मोड़ है। तुम चाहो तो इस अंधेरे से निकल सकती हो। तुम्हारे पास ताक़त है, बस दिशा बदलनी है।”

सीमा ने काँपती आवाज़ में कहा—
“अगर मैं सब छोड़ दूँ… तो क्या सच में मैं किसी की रक्षा कर पाऊँगी? या फिर मैं खुद शिकार बन जाऊँगी?”

आयरा ने मुस्कुराकर कहा—
“सीमा, असली ताक़त बंदूक में नहीं, बल्कि उस दिल में होती है जो दूसरों के लिए धड़कता है। और वह दिल तुम्हारे पास अब भी है।”

सीमा चुप रही। उसके भीतर की लड़ाई अब और तेज़ हो चुकी थी—एक तरफ सत्ता, डर और हथियारों की दुनिया, दूसरी तरफ उसका अतीत और वह मासूम लड़की जो अब भी जिंदा थी।
सीमा के भीतर की लड़ाई अब हर पल और गहरी हो रही थी। बाहर से वह अब भी उसी कठोर डॉन की तरह दिखती थी, लेकिन भीतर उसका दिल दो हिस्सों में बँट चुका था। एक ओर उसका साम्राज्य, उसकी ताक़त, उसके हथियार; दूसरी ओर माँ की बातें, पिता की यादें और अर्जुन-आयरा का सच।


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एक रात उसके गैंग के बड़े लोग उसके पास आए।

उनमें से एक बोला—
“मालकिन, आपकी नरमी हमें भारी पड़ सकती है। दुश्मन बढ़ते जा रहे हैं। अगर आपने अर्जुन और आयरा को नहीं रोका, तो वे हमारे लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाएँगे। हमें उन्हें खत्म करना होगा।”

दूसरे ने भी जोड़ा—
“अगर आपने हिचकिचाहट दिखाई तो पूरा साम्राज्य हाथ से निकल जाएगा। लोग आपको कमजोर समझने लगेंगे।”

सीमा ने गहरी साँस ली, फिर धीमे स्वर में बोली—
“कमज़ोर वही होते हैं, जो डर से दूसरों का खून बहाते हैं। ताक़तवर वही है जो दुश्मन को भी जीत ले, बिना गोली चलाए।”

उसके लोग एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे। यह पहली बार था जब सीमा ने इस तरह की बात की थी।


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उधर अर्जुन और आयरा अपने अगले कदम पर चर्चा कर रहे थे।

आयरा ने कहा—
“हमें उसे यकीन दिलाना होगा कि उसकी शक्ति खत्म नहीं होगी अगर वह यह रास्ता छोड़ दे। बल्कि उसे एक नई दिशा मिलेगी।”

अर्जुन बोला—
“लेकिन उसका गैंग… वे उसे कभी बदलने नहीं देंगे। अगर सीमा ने हमारे रास्ते का चुनाव किया तो सबसे पहले उसका अपना साम्राज्य उसके खिलाफ खड़ा हो जाएगा।”

आयरा गंभीर स्वर में बोली—
“यही तो असली लड़ाई है। बाहरी नहीं, भीतर की।”


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सीमा रात को अकेली छत पर खड़ी थी। हवाओं के साथ उसकी यादें लौट आईं—पिता की मुस्कुराहट, माँ की दुआएँ, और बचपन का वह सपना कि वह दुनिया बदल देगी।

उसकी आँखों में आँसू भर आए।
“क्या मैं सच में सबकुछ छोड़ सकती हूँ?” वह बुदबुदाई।

अचानक पीछे से आवाज़ आई—
“छोड़ना नहीं है, सीमा। बस बदलना है।”

वह मुड़ी तो अर्जुन और आयरा खड़े थे। उनके चेहरे पर कोई डर नहीं था।

सीमा ने हैरानी से पूछा—
“तुम दोनों यहाँ? तुम्हें पता है अगर मेरे लोग देख लेंगे तो…”

अर्जुन ने बीच में ही कहा—
“हमें फर्क नहीं पड़ता। हम यहाँ दुश्मन बनकर नहीं आए। हम चाहते हैं कि तुम खुद को पहचानो।”

आयरा आगे बढ़ी और बोली—
“सीमा, सोचो… अगर तुम्हारा साम्राज्य हथियारों से हटकर इंसानियत पर टिके, तो कितने लोग तुम्हें सचमुच रक्षक मानेंगे। तुम वह बन सकती हो जो इस अंधेरे में उम्मीद की रोशनी जगाए।”

सीमा की आँखें डगमगा गईं। उसका दिल कह रहा था कि अर्जुन-आयरा सच कह रहे हैं, लेकिन दिमाग बार-बार उसे चेतावनी दे रहा था कि यह रास्ता खतरनाक है।

उसने काँपती आवाज़ में कहा—
“अगर मैंने यह रास्ता चुना… तो सबसे पहले मेरे अपने लोग मुझे खत्म कर देंगे।”

अर्जुन ने दृढ़ स्वर में कहा—
“तो हम तुम्हारे साथ खड़े होंगे। यह लड़ाई तुम्हारी अकेली नहीं होगी।”

कुछ पल का सन्नाटा छा गया। सीमा की साँसें तेज़ थीं। फिर उसने गहरी नज़र से अर्जुन और आयरा को देखा।

“शायद वक्त आ गया है… जब मुझे अपना सबसे बड़ा फैसला लेना होगा।”

उसकी आवाज़ में थरथराहट भी थी और एक नई दृढ़ता भी।

अगली सुबह सीमा ने अपने सारे बड़े साथियों और सरगनाओं को हवेली के आँगन में बुलाया। चारों ओर हथियारों से लैस लोग खड़े थे, माहौल भारी था। सबको लग रहा था कि आज कोई बड़ा ऐलान होने वाला है।

सीमा ऊँचे मंच पर चढ़कर खड़ी हुई। उसके चेहरे पर वही कठोरता थी, लेकिन आँखों में तूफ़ान छिपा था।

वह गहरी आवाज़ में बोली—
“तुम सब मुझे आज तक डॉन कहकर मानते आए हो। मैंने भी तुम्हें ताक़त और सुरक्षा दी है। लेकिन आज मैं तुमसे एक सच कहने आई हूँ।”

लोग हैरानी से एक-दूसरे की ओर देखने लगे।

सीमा ने आगे कहा—
“मेरे पिता ने मुझे सिखाया था कि इंसानियत सबसे बड़ी ताक़त है। मैंने उन्हें खोकर हथियार उठाए, सोचा ताक़त से सबकुछ सुरक्षित कर लूँगी। पर सच्चाई यह है कि जितनी बंदूकें मैंने उठाईं, उतना ही खून बहा। और जितना खून बहा, उतना ही डर बढ़ा। क्या यही ताक़त है?”

भीड़ में सन्नाटा छा गया। कुछ लोग बेचैन होकर फुसफुसाने लगे।

सीमा ने और ऊँची आवाज़ में कहा—
“आज मैं यह ऐलान करती हूँ कि अब से यह साम्राज्य खून और हथियारों का नहीं, बल्कि सुरक्षा और इंसानियत का होगा। जो मेरे साथ इस नए रास्ते पर चलना चाहे, उसका स्वागत है। लेकिन जो केवल डर और खून से ताक़त पाना चाहता है, वह अब मेरा हिस्सा नहीं।”

यह सुनते ही पूरा आँगन गूंज उठा। कुछ लोग जोर से चिल्लाए—
“यह पागलपन है! मालकिन बदल गई है! हमें यह मंज़ूर नहीं!”

उनमें से एक ने गुस्से में कहा—
“सीमा, अगर तूने यह रास्ता चुना तो तू हमारी दुश्मन है!”

दूसरी ओर कुछ पुराने साथी उसके सामने झुककर बोले—
“हम आपके साथ हैं, चाहे जो भी हो। आपने हमें हमेशा ढाल बनकर बचाया है। अगर अब आप इंसानियत का रास्ता चुन रही हैं, तो हम आपके पीछे खड़े हैं।”

आँगन दो हिस्सों में बँट गया—एक तरफ वो लोग जो अब भी हथियार और खून चाहते थे, दूसरी तरफ वो लोग जिन्होंने सीमा को सचमुच रक्षक माना।

सीमा ने उन बाग़ी लोगों की आँखों में देखते हुए सख़्त स्वर में कहा—
“जो मेरा साथ छोड़ना चाहते हैं, अभी चले जाएँ। लेकिन अगर किसी ने मासूमों पर हमला किया, तो याद रखना—अब मैं सिर्फ डॉन नहीं, उनकी रखवाली करने वाली बनूँगी।”

तनाव इतना बढ़ चुका था कि गोली चलने का डर हर किसी को था। तभी अर्जुन और आयरा वहाँ आए।

अर्जुन ने ऊँची आवाज़ में कहा—
“जो लोग अब भी सीमा को रोकना चाहते हैं, जान लें—वह अकेली नहीं है। उसके साथ हम हैं, और वो सच्चाई है जिसे कोई हरा नहीं सकता।”

आयरा ने भी जोड़ा—
“सीमा अब अंधेरे की नहीं, रोशनी की रानी है। और रोशनी को रोकने वाले खुद अंधेरे में खो जाते हैं।”

सीमा ने पहली बार भीड़ के सामने मुस्कुराकर कहा—
“आज से मेरा नया सफर शुरू होता है। यह आसान नहीं होगा, पर यही सही है।”

उसकी आवाज़ पूरे आँगन में गूंज उठी।

कुछ लोग भारी मन से पीछे हट गए, कुछ ने गुस्से में हथियार पटक दिए, और कुछ सीमा के पैरों में झुककर उसके साथ चलने का वचन देने लगे।

यह वह पल था जब सीमा ने अपने साम्राज्य का चेहरा बदल दिया।

सीमा के ऐलान ने पूरे अंडरवर्ल्ड को हिला दिया। जिन दुश्मनों से वह पहले टकराकर उन्हें दबा चुकी थी, अब वही उसे कमज़ोर समझकर हमला करने की तैयारी करने लगे। और सबसे खतरनाक बात यह थी कि उसके अपने बाग़ी साथी गुप्त रूप से उन दुश्मनों के साथ मिल चुके थे।


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एक रात अर्जुन ने खबर दी—
“सीमा, तुम्हारे खिलाफ गठजोड़ बन चुका है। तुम्हारे पुराने दुश्मन और तुम्हारे ही बाग़ी आदमी मिलकर बहुत बड़ा वार करने वाले हैं।”

आयरा ने नक्शा मेज़ पर फैलाते हुए कहा—
“उनकी योजना है कि पहले तुम्हारे ठिकानों पर धावा बोले जाए, फिर जनता में यह खबर फैलाई जाए कि सीमा अब डॉन नहीं रही। ताकि तुम्हारा डर खत्म हो और लोग तुम्हें छोड़ दें।”

सीमा ने गहरी नज़र से नक्शा देखा और धीमे स्वर में बोली—
“तो अब यह सिर्फ मेरी नहीं, उन लोगों की भी लड़ाई है जो मेरे साथ नई राह पर आए हैं। मैं पीछे हटकर उन्हें मरने नहीं दूँगी।”

अर्जुन ने उसकी तरफ देखते हुए कहा—
“लेकिन यह जंग खून से नहीं जीतनी होगी। अगर हम उनके जैसे बन गए, तो तुम्हारे सारे फैसले व्यर्थ हो जाएँगे।”

सीमा ने गंभीर स्वर में जवाब दिया—
“मुझे खून नहीं, इंसानियत से जीतना है। पर अगर उन्होंने निर्दोषों पर गोली चलाई, तो फिर मैं चुप नहीं बैठूँगी।”


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अगले दिन खबर आई कि दुश्मन का बड़ा काफिला सीमा के इलाके की तरफ बढ़ रहा है। चारों ओर डर फैल गया। लेकिन इस बार सीमा ने जनता को छुपने नहीं दिया।

वह खुले मैदान में आकर बोली—
“जो लोग मेरे साथ हैं, वे हथियार नहीं, हिम्मत लेकर खड़े हों। यह लड़ाई सिर्फ सीमा की नहीं, हम सबकी है।”

लोग उसके चारों ओर इकट्ठा हो गए। कुछ ने पत्थर उठाए, कुछ ने बस अपनी आवाज़ ऊँची कर दी।


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रात गहराते ही हमला शुरू हुआ। दुश्मन गाड़ियों में भरकर आए, उनके हाथों में मशीनगनें थीं। लेकिन जैसे ही उन्होंने गोलियाँ चलानी चाहीं, अचानक ड्रोन ऊपर से गिर पड़े।

अर्जुन ने हँसते हुए कहा—
“याद है सीमा, तुम्हारे ही हथियार? आज इन्हें हमने इंसानियत के लिए इस्तेमाल किया है।”

ड्रोन से धुआँ और आवाज़ निकलने लगी। दुश्मन गड़बड़ा गए, उनकी पंक्तियाँ टूट गईं।

आयरा ने जनता की ओर देखकर कहा—
“अब वक्त है कि डर को हराओ!”

लोगों ने जोर-जोर से नारे लगाने शुरू किए। उनकी आवाज़ गोलियों की आवाज़ पर भारी पड़ने लगी।


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सीमा आगे बढ़ी और चिल्लाई—
“जो लोग मासूमों पर गोली चलाना चाहते हैं, याद रखो… अब मैं तुम्हारी डॉन नहीं, तुम्हारे खिलाफ खड़ी हूँ। और इंसानियत की ताक़त किसी भी गोली से बड़ी है!”

उसकी आवाज़ में ऐसी गूंज थी कि कई दुश्मन हथियार डालने लगे। लेकिन कुछ बाग़ी साथी ज़िद पर अड़े रहे।

उनमें से एक ने कहा—
“सीमा, तू बदल गई है। अब तेरी मौत ही तेरी असली सज़ा है!”

वह गोली चलाने ही वाला था कि अर्जुन ने आगे बढ़कर उसे रोक लिया।

अर्जुन बोला—
“सीमा की मौत नहीं होगी… बल्कि तुम्हारे जैसे सोच की हार होगी।”

आयरा ने उसकी बंदूक छीनकर जमीन पर फेंक दी।


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जंग लंबी चली, लेकिन अंत में इंसानियत की जीत हुई। दुश्मन पीछे हट गए, बाग़ी साथियों को पकड़ लिया गया।

मैदान में खड़े लोगों ने सीमा का नाम पुकारा। अब वे उसे डॉन नहीं, अपनी “रक्षक” कह रहे थे।

सीमा की आँखों में आँसू थे। उसने आसमान की ओर देखकर धीरे से कहा—
“पापा, आज मैं सच में आपके रास्ते पर लौट आई हूँ।”

अर्जुन और आयरा उसके पास आए।

आयरा मुस्कुराई—
“तुम्हारा नया सफर अब शुरू हुआ है, सीमा।”

अर्जुन ने सिर हिलाकर कहा—
“और इस सफर में तुम अकेली नहीं हो।”

सीमा ने दोनों की ओर देखा और पहली बार उसके चेहरे पर बोझ की जगह सुकून झलक रहा था।

सीमा का वह फैसला उसके जीवन की सबसे बड़ी जंग थी, लेकिन असली कहानी तो अब शुरू हो रही थी। अंडरवर्ल्ड की रानी से इंसानियत की नेता बनने का रास्ता आसान नहीं था। उसके पास अब भी सत्ता थी, संसाधन थे, लोग थे—मगर अब उन्हें अपराध नहीं, समाज की भलाई की ओर मोड़ना था।


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सीमा ने अपने पुराने ठिकानों को बंद करने का आदेश दिया। जहाँ पहले हथियारों की तस्करी होती थी, वहाँ अब अनाज और दवाइयों के गोदाम बनने लगे। जिन कारखानों में गोलियाँ ढलती थीं, वहाँ अब स्कूल और प्रशिक्षण केंद्र बनने लगे।

एक दिन सभा में सीमा ने जनता से कहा—
“आज से यह इलाका डर का नहीं, उम्मीद का इलाका होगा। तुम सब मेरे लोग नहीं, मेरे परिवार हो। और परिवार के लिए बंदूक नहीं, प्यार चाहिए।”

लोगों की आँखों में आंसू आ गए। पहली बार उन्होंने देखा कि जिस औरत से वे डरते थे, वही औरत अब उनके लिए ढाल बन रही थी।


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लेकिन यह बदलाव सबको मंज़ूर नहीं था। भ्रष्ट नेता और पुराने दुश्मन घबराने लगे।

एक राजनेता ने अपने साथियों से कहा—
“अगर सीमा सच में जनता की नेता बन गई, तो हमारी कुर्सियाँ हिल जाएँगी। उसे रोको, वरना वह हमें खत्म कर देगी।”

उन्होंने गुप्त रूप से एक नई साज़िश रची—सीमा को झूठे मामलों में फँसाना, उसकी छवि खराब करना और जनता को उसके खिलाफ भड़काना।


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उधर अर्जुन और आयरा लगातार उसके साथ खड़े थे।

आयरा ने कहा—
“सीमा, लोग तुम्हारे साथ हैं, लेकिन सत्ता में बैठे गद्दार तुम्हें गिराने की कोशिश करेंगे। तुम्हें और सावधान रहना होगा।”

अर्जुन ने भी जोड़ा—
“यह लड़ाई अब बंदूकों की नहीं, बल्कि सच्चाई और झूठ की है। हमें हर चाल को जनता के सामने बेनकाब करना होगा।”

सीमा ने दृढ़ स्वर में कहा—
“अगर वे मेरे खिलाफ झूठ फैलाएँगे, तो मैं जनता के बीच जाकर सच बताऊँगी। अब मैं छिपकर नहीं, खुलकर लड़ूँगी।”


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सीमा ने पहली बार खुले मंच पर रैली की। हजारों लोग इकट्ठा हुए। उसने माइक पर कहा—
“मैं वह सीमा हूँ जिसे तुम सब डॉन कहकर डरते थे। लेकिन आज मैं वही सीमा हूँ जो तुम्हारी रक्षक है। मेरे खिलाफ कितनी भी साज़िश हो, मैं पीछे नहीं हटूँगी। क्योंकि अब मेरी ताक़त बंदूक नहीं, तुम सब हो।”

भीड़ गूंज उठी—
“सीमा जिंदाबाद! इंसानियत जिंदाबाद!”


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परछाइयों में खड़े दुश्मन यह देखकर तिलमिला उठे। उन्होंने तय किया कि अगर झूठ से काम नहीं बना, तो दोबारा खून से रास्ता खोला जाएगा।

अगले ही पल, सीमा की नई राह सबसे बड़े इम्तिहान के दरवाज़े पर खड़ी थी—
अब दुश्मन सिर्फ अंडरवर्ल्ड नहीं, बल्कि राजनीति और सत्ता की पूरी मशीनरी थी।

सीमा की नई राह ने पूरे शहर में हलचल मचा दी थी। जहाँ लोग उसे उम्मीद मानने लगे थे, वहीं सत्ता और अंडरवर्ल्ड के गठजोड़ ने उसके खिलाफ सबसे खतरनाक चाल चल दी।


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एक रात अचानक खबर फैली—सीमा के समर्थकों पर हमला हुआ है। कई लोग घायल हो गए, कुछ की मौत हो गई। हमलावरों ने पीछे खून से लिखा संदेश छोड़ा:
“जो इंसानियत की बात करेगा, उसका यही अंजाम होगा।”

सीमा ने यह दृश्य देखा तो उसका दिल कांप गया। उसने अपने लोगों के शवों को देखा और उसकी आँखों में दर्द की जगह आग उतर आई।

उसने खुद से कहा—
“अगर मैं अब भी चुप रही, तो मेरे लोग मारे जाते रहेंगे। क्या यही है मेरी नई राह? क्या मुझे फिर से हथियार उठाने पड़ेंगे?”


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अर्जुन और आयरा उसके पास पहुँचे।

अर्जुन बोला—
“सीमा, यही तो वे चाहते हैं। कि तुम गुस्से में आकर फिर डॉन बन जाओ। अगर तुमने हथियार उठाए, तो तुम्हारी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी।”

आयरा ने उसका हाथ थामकर कहा—
“सीमा, याद करो… तुम्हारे पिता ने तुम्हें क्या सिखाया था। ताक़त इंसानियत में है। अगर तुम डरीं, तो उनके सपनों को धोखा दोगी।”

सीमा की आँखों में आँसू थे। उसने फटी आवाज़ में कहा—
“लेकिन मेरे लोग मर रहे हैं… मैं कैसे देखूँ यह सब?”

अर्जुन ने दृढ़ स्वर में कहा—
“तुम्हें हथियार से नहीं, दिमाग से लड़ना होगा। अगर खून से जवाब दोगी तो वे जीत जाएँगे। लेकिन अगर सच और रणनीति से जवाब दोगी, तो उन्हें हार माननी पड़ेगी।”


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सीमा ने गहरी साँस ली और कहा—
“ठीक है। अगर यह जंग इंसानियत और झूठ की है, तो मैं इसे उसी मैदान पर लड़ूँगी।”


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अगले दिन शहर में तहलका मच गया। सीमा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। मीडिया, जनता, और यहाँ तक कि उसके दुश्मन भी हैरान थे।

सीमा मंच पर आई और कहा—
“कल जिन निर्दोषों को मारा गया, वह मेरी नहीं, इंसानियत की हत्या थी। और यह हत्या उन लोगों ने की है जो डरते हैं कि सच्चाई का उजाला उनके अंधेरे को खत्म कर देगा।”

उसने सबूत पेश किए—वीडियो, गुप्त रिकॉर्डिंग, और अर्जुन की टीम द्वारा जुटाए गए दस्तावेज़। इन सबूतों से यह साफ हो गया कि हमलों के पीछे वही भ्रष्ट नेता और पुराने अंडरवर्ल्ड डॉन थे।

पूरा हॉल गूंज उठा। मीडिया ने तुरंत खबर फैलाई—“सीमा ने खोला साज़िश का भंडाफोड़।”


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दुश्मनों की साज़िश जनता के सामने उजागर हो गई, लेकिन वे इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं थे। उन्होंने अंतिम हमला करने की योजना बनाई—सीमा की रैली में बम विस्फोट।

आयरा को खबर मिली। वह दौड़कर सीमा के पास आई—
“सीमा! रैली पर हमला होने वाला है। हमें इसे रोकना होगा।”

अर्जुन ने तुरंत नक्शा फैलाया और कहा—
“हम उनके जाल में नहीं फँसेंगे। इस बार हम उन्हें उन्हीं की चाल में फँसाएँगे।”


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रैली का दिन आया। हज़ारों लोग सीमा के समर्थन में जमा हुए। लेकिन भीड़ में छिपे दुश्मन विस्फोटक लगाने की कोशिश कर रहे थे।

तभी अचानक ड्रोन आकाश में चमके और भीड़ पर नज़र डालने लगे। अर्जुन की टीम ने उन्हें पकड़ लिया।

अर्जुन चिल्लाया—
“हमलावरों को गिरफ्तार करो!”

आयरा ने मंच पर खड़ी होकर लोगों को शांत किया।

सीमा आगे बढ़ी और बोली—
“देख लिया तुम सबने? वे हमें डराना चाहते हैं। लेकिन याद रखो—जो सच की राह पर चलता है, उसे कोई नहीं रोक सकता। आज हमने यह जंग जीत ली है, और कल हम पूरी दुनिया को बदलेंगे।”

भीड़ गरज उठी—
“सीमा! सीमा!”


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परंतु उस भीड़ के पीछे, अंधेरे में खड़े एक रहस्यमयी शख़्स ने फोन पर कहा—
“खेल अभी खत्म नहीं हुआ। असली तूफ़ान तो आने वाला है।”


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रैली के बाद पूरे शहर में यह चर्चा थी कि सीमा ने न सिर्फ अपने दुश्मनों की चाल नाकाम की, बल्कि जनता का भरोसा भी जीत लिया। पर उसी जीत के पीछे एक छिपा हुआ साया था—वह रहस्यमयी शख़्स, जो अंधेरे से सब देख रहा था।


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कुछ दिनों बाद, सीमा के दफ़्तर में एक पैकेट पहुँचा। पैकेट के अंदर न तो धमकी भरा पत्र था और न ही बम—बल्कि उसमें एक पुराना फोटो था। फोटो में सीमा अपने पिता के साथ खड़ी थी, और पीछे एक आदमी दिख रहा था, जिसे देखकर सीमा का चेहरा सख़्त हो गया।

उसने दबी आवाज़ में कहा—
“यह वही है… वही जिसने मेरे पिता के खिलाफ साज़िश रची थी।”

अर्जुन ने पूछा—
“कौन है यह?”

सीमा ने गहरी साँस ली और बोली—
“विक्रम मल्होत्रा… वह आदमी जो आज एक इंटरनेशनल नेटवर्क का मुखिया है। वह राजनीति, अंडरवर्ल्ड और हथियारों—तीनों का मालिक है। और पापा की मौत के पीछे भी वही था।”

आयरा ने गंभीर स्वर में कहा—
“मतलब असली खेल अब शुरू हो रहा है। यह सिर्फ शहर की लड़ाई नहीं, पूरी दुनिया का जाल है।”


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उसी रात सीमा को एक कॉल आया। दूसरी तरफ गहरी, ठंडी आवाज़ गूंजी—
“सीमा, मैंने तुम्हें बचपन से देखा है। तुम वही नादान लड़की हो जो सोचती है कि इंसानियत से दुनिया बदल जाएगी। लेकिन असली ताक़त मेरे पास है। अगर अपनी माँ और भाई की ज़िंदगी चाहिए, तो ये खेल छोड़ दो।”

सीमा का चेहरा खून की तरह लाल हो गया।
“विक्रम! अगर तूने उन्हें छूने की भी कोशिश की, तो तेरे साम्राज्य की ईंट से ईंट तोड़ दूँगी।”

फोन कट गया, लेकिन अब साफ़ था—जंग व्यक्तिगत हो चुकी थी।


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अर्जुन ने कहा—
“विक्रम सिर्फ अपराधी नहीं, वह शातिर खिलाड़ी है। वह सीधे वार नहीं करेगा, बल्कि तुम्हें अंदर से तोड़ने की कोशिश करेगा।”

आयरा ने जोड़ा—
“और उसने सबसे बड़ी कमजोरी पर वार किया है—तुम्हारा परिवार।”

सीमा ने दृढ़ स्वर में कहा—
“नहीं। इस बार मैं अपनी कमजोरी को ताक़त बनाऊँगी। पापा की मौत का हिसाब और अपने परिवार की सुरक्षा—दोनों एक साथ।”


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अगले दिन खबर आई कि सीमा की माँ और भाई गायब हो गए हैं। शहर में अफ़वाहें फैल गईं कि सीमा ने उन्हें खुद छिपा दिया है। मीडिया और दुश्मन दोनों उसका नाम खराब करने लगे।

भीड़ में लोग सवाल करने लगे—
“क्या सीमा सच में बदल गई है, या यह सब नाटक था?”

सीमा को लगा जैसे ज़मीन उसके पैरों के नीचे से खिसक रही हो।


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रात को, अंधेरे कमरे में सीमा अकेली बैठी थी। अचानक अर्जुन अंदर आया और बोला—
“हिम्मत मत हारो। हमने उनके लोकेशन का सुराग पा लिया है। तुम्हारी माँ और भाई ज़िंदा हैं।”

आयरा नक्शा फैलाते हुए बोली—
“विक्रम ने उन्हें पहाड़ों के बीच बने एक गुप्त ठिकाने में कैद कर रखा है। वहाँ पहुँचना आसान नहीं होगा। चारों ओर हथियारबंद लोग, लेज़र सुरक्षा और ड्रोन निगरानी है।”

सीमा की आँखों में आग जल उठी।
“तो अब यह खेल ख़त्म होगा। विक्रम ने मेरे बचपन से ही मेरी ज़िंदगी को नरक बनाया। अब मैं उसकी दुनिया को उसकी आँखों के सामने जलाऊँगी।”

अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा—
“तो तय हो गया। यह होगा ‘ऑपरेशन अंत’। और इसमें जीत या हार से ज़्यादा, इंसानियत का भविष्य दाँव पर है।”


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रैली के बाद पूरे शहर में यह चर्चा थी कि सीमा ने न सिर्फ अपने दुश्मनों की चाल नाकाम की, बल्कि जनता का भरोसा भी जीत लिया। पर उसी जीत के पीछे एक छिपा हुआ साया था—वह रहस्यमयी शख़्स, जो अंधेरे से सब देख रहा था।


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कुछ दिनों बाद, सीमा के दफ़्तर में एक पैकेट पहुँचा। पैकेट के अंदर न तो धमकी भरा पत्र था और न ही बम—बल्कि उसमें एक पुराना फोटो था। फोटो में सीमा अपने पिता के साथ खड़ी थी, और पीछे एक आदमी दिख रहा था, जिसे देखकर सीमा का चेहरा सख़्त हो गया।

उसने दबी आवाज़ में कहा—
“यह वही है… वही जिसने मेरे पिता के खिलाफ साज़िश रची थी।”

अर्जुन ने पूछा—
“कौन है यह?”

सीमा ने गहरी साँस ली और बोली—
“विक्रम मल्होत्रा… वह आदमी जो आज एक इंटरनेशनल नेटवर्क का मुखिया है। वह राजनीति, अंडरवर्ल्ड और हथियारों—तीनों का मालिक है। और पापा की मौत के पीछे भी वही था।”

आयरा ने गंभीर स्वर में कहा—
“मतलब असली खेल अब शुरू हो रहा है। यह सिर्फ शहर की लड़ाई नहीं, पूरी दुनिया का जाल है।”


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उसी रात सीमा को एक कॉल आया। दूसरी तरफ गहरी, ठंडी आवाज़ गूंजी—
“सीमा, मैंने तुम्हें बचपन से देखा है। तुम वही नादान लड़की हो जो सोचती है कि इंसानियत से दुनिया बदल जाएगी। लेकिन असली ताक़त मेरे पास है। अगर अपनी माँ और भाई की ज़िंदगी चाहिए, तो ये खेल छोड़ दो।