बारिश लगातार हो रही थी।
मुंबई की सड़कों पर रात के ढाई बजे भी ट्रैफिक की लाइट्स पानी में झिलमिला रही थीं।
आरव कपूर, शहर का सबसे चर्चित बिज़नेसमैन, अपनी काली कार से होटल “द रीजेंसी” के सामने आकर रुका। चेहरे पर वही ठंडा भाव, जैसे उसे किसी चीज़ की परवाह ही नहीं।
अंदर लॉबी में उसकी नज़र अचानक उस लड़की पर पड़ी —
सफेद सूट में, पूरी भीगी हुई, काँपती हुई...
वो थी मायरा।
आरव ने एक पल के लिए देखा, फिर वापस मुड़ने ही वाला था कि रिसेप्शनिस्ट बोली,
“सर, ये लड़की कह रही थी कि उसका कोई पहचान वाला नहीं है... मोबाइल भी पानी में गिर गया।”
आरव ने कुछ सेकंड सोचा और कहा,
“इसे मेरे कमरे में भेज दो, पहले कपड़े बदलवा दो। बाकी बात मैं खुद कर लूँगा।”
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कमरे में जब मायरा आई, तो उसके चेहरे पर डर और उलझन साफ थी।
वो बोली, “आपको तकलीफ़ हुई, पर मैं कल ही चली जाऊँगी।”
आरव ने कॉफी कप नीचे रखते हुए कहा,
“मैंने तकलीफ़ नहीं, एक मौका दिया है — खुद को सँभालने का।”
मायरा चुप रही।
आरव की आवाज़ में अजीब-सी ठंडक थी, पर उसके शब्दों में सच्चाई झलकती थी।
वो बोला, “तुम्हारी आँखों में जो डर है, वो मैंने पहले भी देखा है। किसी ने तुमसे कुछ छीना है, है ना?”
मायरा की आँखें नम हो गईं।
“सब कुछ... मेरे पिता का बिज़नेस, उनका नाम, यहाँ तक कि उनका भरोसा भी। किसी ने हम पर झूठे केस कर दिए…”
आरव ने धीरे से कहा,
“नाम बताओ।”
मायरा बोली, “राघव चौहान।”
आरव के होंठों पर हल्की मुस्कान आई।
“दुनिया छोटी है मायरा… राघव कभी मेरा भी दोस्त था।”
मायरा ने हैरानी से देखा,
“फिर… आप मेरी मदद क्यों करेंगे?”
आरव उसकी ओर बढ़ा,
“क्योंकि मैं भी किसी वक़्त सब कुछ खो चुका हूँ। और अब… बदले का वक्त आ गया है।”
उसकी आँखों में पहली बार मायरा को डर नहीं, बल्कि एक ठंडा दृढ़ निश्चय दिखा।
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तीन दिन बाद,
मायरा अब आरव की कंपनी में “पब्लिक रिलेशन ऑफिसर” थी — पर असल में ये सिर्फ एक नकाब था।
दोनों मिलकर राघव के इम्पायर को अंदर से तोड़ने की तैयारी कर रहे थे।
हर दिन के साथ मायरा को आरव की रहस्यमयी दुनिया में कुछ और खिंचाव महसूस होता।
कभी वो सख्त, ठंडा और बेरहम लगता,
और कभी बस एक टूटा हुआ इंसान — जो अब भी किसी पुराने जख्म में जी रहा था।
एक रात, ऑफिस की टैरेस पर खड़े आरव ने उससे पूछा,
“अगर मैं ये सब सिर्फ बदले के लिए नहीं, बल्कि तुम्हारे लिए कर रहा हूँ तो?”
मायरा ने धीमे स्वर में कहा,
“तो फिर मैं डर जाऊँगी… क्योंकि मुझे यकीन नहीं कि कोई इतना टूटा हुआ इंसान… किसी से प्यार कर सकता है।”
आरव उसकी आँखों में झाँकता रहा।
“प्यार टूटा नहीं करता मायरा… बस उसका चेहरा बदल जाता है।”
बारिश फिर से शुरू हो चुकी थी।
दोनों चुप थे —
बस हवा में बदले और मोहब्बत की खुशबू एक साथ घुल रही थी।
बारिश के बाद मुंबई की हवा कुछ ठंडी हो गई थी।
कंपनी की 27वीं मंज़िल पर, आरव के केबिन की लाइट्स अभी भी जल रही थीं। घड़ी रात के ढाई बजा रही थी।
मायरा चुपचाप अंदर आई — हाथ में दो कप कॉफी लिए।
आरव अब भी लैपटॉप पर झुका हुआ था, आँखों के नीचे हल्के काले घेरे और चेहरे पर थकावट थी।
“आप फिर सोए नहीं?” मायरा ने धीरे से पूछा।
आरव ने बिना देखे कहा, “नींद सिर्फ उन्हें आती है जिन्हें सुकून होता है।”
मायरा कुछ पल उसे देखती रही, फिर उसके सामने कप रखकर बोली,
“आपका अतीत आपको अब भी चैन नहीं लेने देता, है ना?”
आरव ने लैपटॉप बंद किया और कुर्सी पर पीछे झुकते हुए बोला,
“अतीत नहीं… उस आदमी ने जो छीन लिया, वो अब भी लौटाना बाकी है।”
“राघव चौहान…” मायरा के होंठों से नाम निकला।
आरव ने पहली बार उसकी आँखों में देखा।
“हाँ। वो सिर्फ मेरा दोस्त नहीं था, वो मेरा भाई जैसा था। और उसने ही मुझे खत्म करने की साज़िश रची थी।”
मायरा धीरे-धीरे बोली,
“पर क्यों?”
आरव ने खिड़की की ओर देखा — बाहर बारिश की बूंदें शीशे पर फिसल रही थीं।
“क्योंकि मैंने एक ऐसी लड़की से प्यार किया था… जिससे उसे हक़ नहीं था।”
मायरा का दिल एक पल के लिए रुक गया।
“वो… कौन थी?”
आरव के होंठों पर हल्की हँसी आई, पर आँखों में दर्द।
“उसका नाम अनाया था। और वो अब इस दुनिया में नहीं है।”
कमरे में सन्नाटा छा गया।
सिर्फ बारिश की आवाज़ थी और दो लोगों के बीच एक भारी खामोशी।
आरव ने धीरे से कहा,
“राघव ने न सिर्फ मुझे धोखा दिया… बल्कि अनाया को भी छीन लिया। अब वक्त है उसे सबकुछ खोने का अहसास कराने का।”
मायरा ने उसकी ओर कदम बढ़ाया,
“अगर बदला ही सबकुछ है, तो फिर आप मुझसे क्यों कहते हैं कि मैं अपनी ज़िंदगी दोबारा शुरू करूँ?”
आरव उसके करीब आ गया।
“क्योंकि मैं नहीं चाहता कि तुम मेरे जैसे बनो।”
मायरा की आँखें नम थीं।
“और अगर मैं पहले ही आपके जैसी हो चुकी हूँ तो?”
आरव ने एक पल के लिए उसकी ओर देखा —
दोनों के बीच बस कुछ इंच की दूरी थी।
हवा में कॉफी की खुशबू और अनकहे एहसास तैर रहे थे।
वो फुसफुसाया,
“तो फिर तुम्हें मेरे साथ रहना होगा… अंत तक।”
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अगली सुबह,
राघव चौहान के ऑफिस में एक खबर गूँज उठी —
“KAPOOR ENTERPRISE ने ‘CHAUHAN INFRA’ के खिलाफ कोर्ट में धोखाधड़ी का केस दायर किया है।”
राघव की आँखों में गुस्सा था।
“आरव कपूर… तू ज़िंदा कैसे है?”
उसने अपने असिस्टेंट से कहा,
“जिस लड़की ने दो हफ्ते पहले हमारे डॉक्यूमेंट्स चुराए थे — मायरा — उसे ढूँढो। किसी भी हालत में।”
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उसी समय,
आरव और मायरा उसी फाइल्स को टेबल पर रखे देख रहे थे।
मायरा बोली, “वो अब हम पर शक करने लगा है।”
आरव की आँखों में वही ठंडक लौट आई।
“शक तभी काम का होता है जब सबूत हो। और हमारे पास अब सबूत है — उसके खिलाफ।”
मायरा ने धीमे स्वर में कहा,
“पर आरव… अगर वो तुम्हें फिर से उसी तरह फँसाने की कोशिश करे तो?”
आरव ने उसकी ओर देखा,
“इस बार मैं तैयार हूँ। और इस बार, वो हारेगा — मेरे दिल से नहीं, मेरी चाल से।”
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रात को मायरा अपने कमरे में बैठी थी।
लैपटॉप पर एक पुराना वीडियो खुला —
आरव और अनाया की मुस्कुराती हुई तस्वीरें…
मायरा की आँखों में आँसू आ गए।
वो धीरे से फुसफुसाई,
“शायद तुम्हारा अतीत अब मेरा भविष्य बन चुका है, आरव…”
दरवाज़े पर कदमों की आवाज़ आई।
वो पलटी —
आरव वहाँ खड़ा था, बिना कुछ कहे।
उसकी आँखों में कुछ ऐसा था… जो बदले से ज़्यादा गहराई वाला था।
रात का समय था।
आरव के ऑफिस में लाइटें बुझ चुकी थीं, बस उसके केबिन से हल्की नीली रोशनी बाहर आ रही थी।
मायरा खिड़की के पास खड़ी थी, हवा में बाल उड़ रहे थे — और सामने समंदर की लहरें चाँदनी में चमक रही थीं।
आरव अंदर आया, हाथ में फाइलें थीं।
“राघव अब खुलकर सामने आने वाला है,” उसने कहा,
“उसने अपने कुछ लोगों को मेरे और तुम्हारे पीछे भेजा है।”
मायरा पलटी, उसके चेहरे पर डर नहीं था — बस शांत गुस्सा।
“डर तो अब उसे लगना चाहिए आरव,” उसने कहा, “क्योंकि वो अब नहीं जानता… कि मैं कौन हूँ।”
आरव ने उसे देखा — उसकी आँखों में पहली बार एक ऐसा भाव था जो उसने पहले कभी नहीं देखा था।
“तुम्हारा मतलब?”
मायरा ने टेबल पर अपनी आईडी रखी —
“Maira Mehta — CBI Economic Wing.”
आरव कुछ सेकंड तक चुप रहा।
फिर उसकी आँखों में एक हल्की सी मुस्कान उभरी,
“तो तुम मुझे जाल में फँसाने आई थीं?”
मायरा ने गहरी साँस ली,
“पहले हाँ… लेकिन अब नहीं।”
“क्यों?”
वो बोली,
“क्योंकि अब मुझे समझ में आया कि तुम्हारा मकसद बदला नहीं, इंसाफ है।”
आरव ने धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए कहा,
“और अगर ये सब तुम्हारा मिशन था, तो तुम्हारा मेरे करीब आना भी…?”
मायरा ने उसकी आँखों में देखा,
“वो प्लान नहीं था, आरव… वो एहसास था।”
दोनों के बीच कुछ पल की खामोशी रही।
फिर आरव ने कहा,
“तुम जानती हो ना, अब ये खेल आसान नहीं रहेगा? अगर राघव को तुम्हारी असली पहचान पता चल गई…”
मायरा ने कहा,
“तो वो मुझे मार देगा — पर मैं डरती नहीं। तुमने मुझे डर से जीना सिखाया, आरव।”
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दूसरी तरफ, चौहान इंफ्रा का हेड ऑफिस।
राघव अपने चेयर पर बैठा, गुस्से से मेज़ पर हाथ मारता है।
“वो मारी गई नहीं थी! उस लड़की का चेहरा, वही है… बस नाम बदला है — मायरा मेहता नहीं… मायरा कपूर!”
उसका असिस्टेंट चौंक गया —
“कपूर?”
“हाँ! आरव कपूर की बीवी!” राघव चीखा,
“मैंने सोचा था वो दोनों मर चुके हैं… पर अब खेल शुरू होगा असली।”
वो अपने मोबाइल पर कॉल लगाता है —
“सैफ, शहर छोड़ने से पहले उस लड़की को उठा लाओ। जिंदा चाहिए मुझे।”
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अगले दिन।
मायरा और आरव अपनी गाड़ी से कोर्ट की ओर निकल रहे थे, जहाँ उन्हें राघव के खिलाफ सबूत पेश करने थे।
पर बीच रास्ते अचानक आरव की गाड़ी का GPS ब्लिंक करने लगा।
“Jarvis!” आरव ने कहा।
(हाँ, उसके पास वही खास AI सिस्टम था जो हर समय उसे चेतावनी देता था।)
Jarvis: “Warning, suspicious vehicle following for last 8.3 minutes. Tracking multiple heat signatures.”
आरव ने स्टीयरिंग कस कर पकड़ा,
“सीट बेल्ट बाँधो, मायरा।”
कुछ ही सेकंड में पीछे से दो काली SUVs ने उनका रास्ता रोक लिया।
गोलियों की आवाज़ गूँजी।
आरव ने गाड़ी घुमाई और तेजी से साइड लेन में मोड़ दी।
“Jarvis, route override — direct to safehouse alpha.”
“Route recalibrated.”
मायरा ने उसकी ओर देखा,
“वो हमें मार देगा, आरव।”
आरव ने ठंडी आवाज़ में कहा,
“नहीं मायरा… इस बार कोई नहीं मरेगा — सिवाय राघव के।”
गाड़ी शहर के बाहर पुराने वेयरहाउस की ओर बढ़ रही थी,
जहाँ ये कहानी अब अपने असली मुकाम पर पहुँचने वाली थी।
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रात — वेयरहाउस के अंदर।
आरव की बंदूक राघव की कनपटी पर थी।
राघव हँस रहा था,
“तो आखिरकार आरव कपूर ज़िंदा निकला… और तेरी मायरा — वो तो मेरे लिए सिर्फ एक नाम था। क्या तू जानता है असली झटका क्या है?”
आरव की आँखों में आग थी।
“क्या?”
राघव ने मुस्कुराते हुए कहा,
“मायरा तेरे पास सिर्फ मिशन के लिए आई थी, आरव… मैंने ही भेजा था उसे।”
कमरे में सन्नाटा छा गया।
मायरा की साँसें रुक गईं।
आरव धीरे से उसकी ओर मुड़ा — उसकी आँखों में सवाल और दर्द दोनों थे।
“सच है ये?”
मायरा के होंठ काँपे,
“शुरुआत में हाँ… लेकिन अब नहीं। अब मैं सिर्फ तुम्हारे साथ हूँ।”
राघव हँसने लगा,
“प्यार और धोखा — दोनों तेरी किस्मत हैं, आरव कपूर!”
पर इससे पहले कि वो कुछ और कहता —
आरव ने ट्रिगर दबा दिया।
गोलियों की गूँज पूरे वेयरहाउस में फैल गई।
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मायरा ज़मीन पर गिर गई थी, उसके हाथ पर खून बह रहा था —
वो राघव को बचाने नहीं, आरव को बचाने के लिए आगे आई थी।
आरव उसके पास भागा,
“मायरा! कुछ नहीं होगा तुम्हें…”
मायरा मुस्कुराई,
“अब तो सब खत्म हो गया आरव… तुम्हारा बदला, मेरा मिशन… बस तू बचा रहना।”
आरव की आँखों में पहली बार आँसू थे।
“तुम जाओगी नहीं मायरा, मैं तुम्हें खो नहीं सकता।”
मायरा की आवाज़ धीमी होती चली गई,
“प्यार तो किया तुमसे… शायद यही मेरी गलती थी…”
उसकी पलकों पर आखिरी आँसू टपका — और सबकुछ थम गया।
---
तीन महीने बाद।
अखबारों की सुर्खियाँ —
> “CHAUHAN INFRA Scam Exposed. Truth Revealed by Late CBI Officer Maira Mehta.”
आरव कपूर ने अपनी कंपनी का नाम बदलकर रखा —
“The Maira Foundation” — जो अब धोखाधड़ी और आर्थिक अपराधों के खिलाफ लड़ती थी।
हर रात, वो अपनी ऑफिस की खिड़की से समंदर की ओर देखता,
जहाँ उसकी यादों में मायरा अब भी मुस्कुरा रही थी।