Adhuri Kitaab - 52 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | अधुरी खिताब - 52

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अधुरी खिताब - 52

✨ एपिसोड 52 — “हवेली का प्रेत और रक्षक रूह का जागना”


(सीरीज़: अधूरी किताब)


🌩️ 1. हवा फटी — और हमला शुरू हुआ


काली रूह ने जैसे ही चीखकर अपना रूप फैलाया,

हवेली की नीली रेखाएँ काली पड़ने लगीं।

छत काँपी, पुरानी खिड़कियाँ खुद-ब-खुद बंद हो गईं,

और कमरे के बीचों-बीच हवा का भंवर उठ गया।


अलीशा ने कुछ समझने से पहले—

एक तेज़ काला धक्का उसकी ओर बढ़ा।


लेकिन शौर्य बिजली की तरह उसके आगे आ खड़ा हुआ।

उसके हाथ पर सुनहरी रोशनी जली—

और उसने अलीशा को अपनी बाहों में ढाल लिया।


“पीछे हट जाओ, अलीशा!”


उसकी आवाज़ इंसान की नहीं थी—

वह एक रक्षक रूह की गूँज थी।


काली रूह फुफकारकर बोली—


“तुम दोनों को एक होने नहीं दूँगी!”


शौर्य ने दहाड़कर हवा में मुक्का मारा—

सुनहरी लहर निकली और काली रूह पीछे फेंकी गई।


कमरा थरथरा उठा।



---


🔥 2. शौर्य की शक्ति — जो सदियों से बंद थी


अलीशा ने काँपते हुए शौर्य के कंधे को छुआ—


“शौर्य… तुम्हें ये सब कैसे—”


शौर्य की नसें पूरी तरह सुनहरी हो चुकी थीं।

उसका चेहरा, उसकी आँखें,

सबमें किसी पीछे छूटे युग की चमक थी।


“क्योंकि मैं आख़िरी रक्षक था…”

शौर्य ने धीमी, भारी आवाज़ में कहा,

“और तुम्हारी रूह ने मुझे फिर जगा दिया।”


अलीशा ने गहरी साँस ली—

उसके दिल में डर, शक और मोहब्बत तीनों धड़क रहे थे।


“मैं… आर्या थी?”


शौर्य उसकी ओर मुड़ा।

उसकी आँखों की सुनहरी रोशनी नरम पड़ गई।


“हाँ, तुम आर्या थीं।

और मैं… तुम्हारा रक्षक।”


अलीशा की आँखें भीग गईं।

उसे नहीं पता था कि यह उसके अस्तित्व की सचाई है

या किसी अनजाने अतीत की जंजीर।


लेकिन इससे पहले वह कुछ और पूछ पाती—

काली रूह फिर उठी।



---


🌑 3. रूहानी और राज का डर


रूहानी ने चिल्लाकर कहा—


“दीदी! पीछे हटो!”


उसने अलीशा का हाथ पकड़ लिया,

जबकि राज मल्होत्रा जल्दी से दिव्य डायरी लेकर

रूनिक चिह्न पढ़ने लगा।


राज ने हड़बड़ाते हुए कहा—


“ये काली रूह… साधारण नहीं!

इसका नाम है ‘मोह-प्रेत’,

जो दो रूहों के मिलन से घृणा करता है!”


रूहानी घबरा गई—


“मतलब ये आपकी दोनों रूहों को—”


राज ने सिर हिलाया—


“हाँ।

वो किसी भी हालत में

अलीशा और शौर्य की नियति बदलने नहीं देना चाहता।”


हवेली में बिजली की तरह फटकार सुनाई दी।


काली रूह ने टकराते हुए कहा—


“तुम तीनों चुप रहो!

ये लड़ाई सिर्फ दो रूहों की है!”



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⚡ 4. मोह-प्रेत का खुलासा — ‘आर्या’ कैसे बंटी थी?


काली रूह सीधे शौर्य पर झपटी।

शौर्य ने अलीशा को पीछे किया

और अपनी शक्ति से रूह को रोका।


दोनों की ऊर्जा टकराई—

हवेली की दीवारें चीखने लगीं।


मोह-प्रेत गरजकर बोला—


“रक्षक!

तू आर्या को दो जन्म से बचा रहा है—

पर सच छुपा रहा है!”


अलीशा ने घबराकर पूछा—


“कौन सा सच?”


मोह-प्रेत ने फटकारते कहा—


“कि आर्या की रूह सिर्फ एक नहीं थी—

वह दो हिस्सों में बंटी थी!”


अलीशा स्तब्ध।

शौर्य का चेहरा सख़्त हो गया।


राज ने डायरी पलटते हुए कहा—


“ओह भगवान… इसका मतलब—

एक हिस्सा ‘पवित्र रूह’ था…

और दूसरा हिस्सा ‘अंधेरी रूह’!”


रूहानी ने मुँह पर हाथ रख लिया—


“दीदी… यानी तुम—?”


अलीशा की आवाज़ कांपी—


“…क्या मैं अधूरी रूह हूँ?”


मोह-प्रेत ने हँसते हुए कहा—


“नहीं आर्या…

तुम तो सिर्फ आधा सच हो।

तुम्हारा दूसरा हिस्सा अभी हवेली में भटक रहा है…

और वही असली विनाशक है।”


अलीशा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।



---


🌘 5. हवेली का असली रहस्य — ‘दूसरी आर्या’


दीवारें एक-एक कर crack होने लगीं।

नीली रौशनी फटी—

और भीतर से एक परछाईं बाहर आने लगी।


वह परछाईं…

अलीशा की ठीक परछाईं थी।

चेहरा वही।

आँखें वही।

लेकिन होंठों पर डरावनी मुस्कान।


रूहानी चीख पड़ी—


“दीदी की… दूसरी दीदी?!!”


राज काँप गया—


“ये है अंधेरी आर्या।

वो हिस्सा जो कभी हवेली ने अपने पास कैद कर लिया।”


शौर्य ने तुरंत अलीशा को अपनी बाँहों में पीछे खींचा—


“खुद को दोष मत देना।

ये हिस्सा… तुम्हारा कभी था ही नहीं।”


अंधेरी आर्या ने कदम बढ़ाया।

उसकी आवाज़ ठंडी, खाली—


“मुझे वापस चाहिए…

जो मेरा है।”


उसने सीधे हाथ बढ़ाया—

और अलीशा की ओर इशारा किया।


हवा में तेज़ खिंचाव उठा।

अलीशा आगे खिंचने लगी।


अलीशा की चीख निकल गई—


“शौर्य—!”


शौर्य ने ज़ोर से उसका हाथ पकड़ा—

लेकिन उसका शरीर हवा में उठने लगा।


शौर्य दहाड़ा—


“तू उसे छू भी नहीं सकती!

वो रक्षक की है!”


अंधेरी आर्या क्रोध में चीख पड़ी—


“वो मेरी अधूरी रूह है!!

उसे मेरे पास आना ही होगा!”


और उसी पल—


हवेली का फर्श फट गया।



---


🌕 6. रूह का विभाजन — और रूह की खींचतान


दोनों आर्या—

अलीशा और अंधेरी परछाईं—

आमने-सामने।


नीली और काली ऊर्जा हवा में टकरा रही थी।

अलीशा का शरीर काँप रहा था,

पर उसकी आँखों में डर नहीं—

बल्कि दृढ़ता थी।


“मैं किसी अंधेरी रूह का हिस्सा नहीं!”

अलीशा चिल्लाई।


अंधेरी आर्या ने फुसफुसाकर कहा—


“तो फिर साबित कर…

कि तू सच में आर्या है।”


ऊर्जा तेज़ हो गई।

कमरा घूमने लगा।


शौर्य ने अपना हाथ अलीशा की कमर पर कसकर पकड़ा।


“मैं हूँ न… तुम अकेली नहीं।”


अलीशा ने उसकी आंखों में देखा—

और अचानक…

उसके हाथ में रूह की कलम चमक उठी।


कलम खुद-ब-खुद जल उठी—

जैसे उसे उसका लेखक मिल गया हो।


अंधेरी आर्या पीछे हट गई।


“नहीं… ये कलम उजाले की है—!”


लेकिन बहुत देर हो चुकी थी।



---


🌟 7. रूह की कलम का पहला वार


अलीशा ने हवा में कलम उठाई—

और पहला शब्द लिखा:


“रुक।”


शब्द चमका—

और ऊर्जा का विस्फोट हुआ।


अंधेरी आर्या ज़मीन पर गिर पड़ी—

उसका रूप काँपने लगा।


हवेली में जैसे साँस भर आई।


राज चिल्लाया—


“अलीशा! तुमने इसे रोक लिया!!”


रूहानी को यक़ीन ही नहीं हुआ—


“दीदी… आपने अंधेरी रूह को हरा दिया?”


अलीशा थकी हुई साँस में बोली—


“नहीं…

अभी ये खत्म नहीं हुआ।”


शौर्य ने उसकी कमर पकड़ी—


“तुम ठीक हो?”


अलीशा ने सिर हिलाया।

उसकी आँखों में नीली चमक थी—

रूह की कलम जाग चुकी थी।


वह नीचे झुकी,

अंधेरी आर्या की ओर देखते हुए बोली—


“तू मेरी रूह का हिस्सा नहीं…

लेकिन मेरी कहानी का हिस्सा जरूर है।”


अं

धेरी आर्या ने धीमे से हँसते हुए कहा—


“तो चलो…

अधूरी किताब का अगला अध्याय लिखते हैं।”


और वह गायब हो गई।



---


🌙 एपिसोड 52 समाप्त


अगला भाग तैयार है:


✨ एपिसोड 53 — “अंधेरी आर्या की शर्त और रूह की स्याही का सौदा”

जहाँ अंधेरी रूह वापस आएगी

और अलीशा को ऐसी शर्त देगी

जो पूरी न हुई… तो शौर्य की रूह मिट जाएगी।