विकी आदित्य के वजह से वो मोनिका के साथ वो सब नही कर पाया जो वो करना चाहता था ।
विकी गुस्से से कहता है -------
विकी :- उस आदित्य के वजह से मेरा बार बार Insult हूआ । और उसकी वजह से ही मैं मोनिका के साथ वो सब नही कर पाया । पर अब मुझे कुछ और सोचना पड़ेगा ।
तभी विकी का मोबाइल रिंग होता है विकी दैखता है के उसमे मोनिका का कॉल आ रहा था । विकी फोन को रिसिव करके कहता है -----
विकी :- हाय बेबी । मैं अभी तुम्हारे बारे मे ही सोच रहा था । और देखो तुमने मुझे कॉल कर दिया ।
विकी की बात को सुनकर मोनिका खुश होकर कहती है -----
मोनिका :- वाउ । How sweet of you . बेबी ---- मैं तुम्हेें एक खुश खबरी देना चाहती हूँ ।
विकी :- खुश खबरी ? कैसी खुबरी ।
मोनिका :- Gues करो । ऐसी खबर जिसे सुनकर तुम खुशी से पागल हो जाएगे ।
विकी खुश होकर कहता है ----
विकी :- आज रात तुम और मैं ----
विकी के इतना कहने पर मोनिका विकी की बात को बिच मे ही काट कहती है ----
मोनिका :- क्या विकी , तुम्हें इन सबके अलावा और कुछ नही सुनता क्या ?
विकी बात को बदलते हूए कहता है ----
विकी :- अरे बेबी मैं तो मजाक कर रहा था । और वैसे भी तुम हो ही इतनी खुबसूरत के मुझसे और इंतजार नही होता ।
विकी की बात को सुनकर मोनिका सरमाते हूए कहती है ----
मोनिका :- मैं तो नही रह पा रही हूँ ना , पर हमारी ये ख्वाहिश जल्द ही पुरी होने वाली है ।
मोनिका की बात को सुनकर विकी खुश हो जाता है और कहता है ---
विकी:- अच्छा, वो कैसे ?
मोनिका :- आज शाम को मेरे पापा और मम्मी तुम्हारे घर आ रहे है ।
विकी हैरान होकर पूछता है ----
विकी :- मेरे घर ? पर किस लिए ।
मोनिका :- हमारी शादी की बात करने के लिए बुद्धु ।
विकी ये बात सुनकर हैरान हो जाता है , और कहता है ----
विकी :- क्या शादी ?
मोनिका :- हां शादी , शादी होगी तभी तो हम वो सब कर पाएगें ना ।
विकी :- देखो मोनिका मैं अभी शादी नही कर सकता ।
विकी की बात पर मोनिका घबरा जाती है और फिर विकी से पूछती है ----
मोनिका: - शादी नही कर सकते , पर क्यूं ?
विकी :- तुम तो जानती हो के मेरा मक़सद अभी कुछ और है ।
मोनिका :- हां जानती हूँ , के तुम्हें अपनी लाईफ मे और आगे बड़ना है । तो उससे क्या , तुम मेहनत करते रहना और मैं तुम्हारा साथ दुगीं ।
विकी :- मोनिका तुम समझ नही रही हो । मैं अभी शादी नही कर सकता । ़
विकी इतना बोलकर फोन कट कर देता है ।
मोनिता विकी के Behaviour से हैरान हो जाती है । मोनिका मन ही मन सौचता है ----
मोनिका :- ये विकी को क्या हो गया है ।
तभी वहां पर रघुनाथ और रेखा तैयार होकर आ जाती
है । रघुनाथ कहता है -----
रघुनाथ: - चलो बेटी ।
रघुनाथ और अपना मां को तैयार दैखकर मोनिका बात को पलट देती है और कहती है ----
मोनिका :- वो पापा ... मेरी अभी विकी से बात हूआ , वो आज जाने को मना कर रहा है ।
रेखा हेरानी से कहती है -----
रेखा :- मैने तो पहले ही कहा था के लड़का सही नही है ।
मोनिका फिर बहाने बनाते हूए कहती है ----
मोनिका :- मां ऐसी कोई बात नही है । उसे कुछ काम है इसिलिए वो हमे बाद मे बुलाया है ।
तभी रघुनाथ कहता है ---
रघुनाथ :- कोई बात नही बेटा काम तो होता रहेगा । हम बाद मे चल जाएगें ।
रेखा घरके अंदर जाते हूए कहती है ---
रेखा :- आज आने के लिए मना किया है कल को तुम्हें पहचानने से मना कर देगा ।
रेखा को बात को सुनकर मोनिका सोच मे पड़ जाती है उसे अपनी मां की बात पर भरोसा होने लगता है ।
आदित्य और उसके मामा तिरु अशोक के घर जाता है जहां पर जानवी और अशोक बैठकर शादी का कार्ड दैख रहे थे । अशोक आदित्य को दैखता है और खुश हो जाता है ।
अशोक कहता है -----
अशोक :- अरे आदित्य बेटा । आओ , आओ । बड़े सही समय पर आए हो । हम दोनो मिलकर शादी का कार्ड ही सेलेक्ट कर रहे थे। पर समझ मे नही आ रहा है के कौन सा करु , अब तुम ही एक कार्ड सेलेक्ट
करके बताओ ना ।
आदित्य कार्ड को दैखता है फिर एक कार्ड उठा कर कहता है ----
आदित्य :- इसे देखिए तो जरा ।
कार्ड को दैखकर अशोक कहता है ----
अशोक :- कमाल है , इतने सारे कार्ड है पर तुमने वही कार्ड चुना जो जानवी ने चुना है , तुम दोनो की पंसद तो एक ही है । चलो अच्छा हूआ । शादी तुम्हारी तो कार्ड भी तुम दोनो के पंसद के ही छपेगें ।
जानवी और आदित्य एक दुसरे की और दैखता है तो जानवी अपनी नजरे चुरा लेती है ।
अशोक तिरु को दैखकर कहता है ----
अशोक :- बेटा ये कौन है ?
आदित्य :- ये है मेरे कंश मामा ।
आदित्य के मुह से गलती ये कंश निकल जाता है तो आदित्य फिर कहता है ----
आदित्य :- मेरा मतलब मेरा मामा है । तिरु मामा ।
आदित्य की बात पर तिरु कहता है ----
तिरु :- ये ऐसा ही है , ये मुझे कंश मामा कह कर ही बुलाता है । कितनी बार कहा है के मुझे तिरु मामा बोलो पर ना इसे तो कंश मामा ही कहना है । कहता है के कंश मामा कहकर ये मुझे बहोत इज्जत देता है क्योकी कंश महान था , श्री कृष्ण का मामा थे ना ।
तिरु की बात को सुनकर जानवी हसने लगती है । तो तिरु कहता है ----
तिरु :- ये तो ऐसा ही है बेटी । ये कभी नही सुधरेगा और मुझे कंश मामा ही बुलाएगा । पर तुम मुझे तिरु
मामा बुलाना । कोई तो हो जो मुझे मेरे नाम से पुकारेगा ।
जानवी :- जी मामा जी ।
तिरु :- अहा । कितना अच्छा लगा सुनने मे जी मामा जी । वरना ये तो मुझे कंश बनाकर ही छोड़ेगा ।
तिरु के इतना कहने पर सभी हसने लगता है । तब तिरु अपने बेग से वो हार निकालता है और कहता है ----
तिरु :- बेटी ये लो , ये तुम्हारे लिए ।
जानवी और अशोक दैखता है के एक बहोत सुंदर हार जो दैखने मे बहोत ही कीमती है । हार को दैखकर जानवी कहती है ---
जानवी :- मामा जी ये हार ।
तिरु :- क्यो अच्छा नही लगा ।
जानवी :- नही मामा जी बात वो नही है । ये तो हिरे का है और मंहगा भी है ।
तिरु :- हां तो तुम भी तो इतनी प्यारी हो ना , तुम्हारे सामने तो ये कुछ भी नही है ।
अशोक :- पर संबधी जी । ये तो बहोत मंहगा होगा ना ।
तिरु :- अब प्राईस मे क्या रखा है । बच्ची को पंसद आ गई यही काफी है ।
अशोक और जानवी हार को दैखकर बहोत हैरान थे ।
तिरु कहता है ---
तिरु :- अच्छा संबधी जी अब हम चलते है ।
अशोक :- अरे ऐसे कैसे आप पहली बार हमारे घर आए हो और ऐसे ही चले जाओगे ।
तिरु :- नही आज जाने दिजिए, फिर कभी आइगां , अब तो आना जाना लगा रहेगा ना । अच्छा अब आज्ञा दिजिए ।
तिरु और आदित्य वहां से चला जाता है तो अशोक हार को दैखकर कहता है -----
अशोक :- बेटा ये हार दैखने मे तो बहोत मंहगा लगता है ।
To be continue........170