Tere Mere Darmiyaan - 27 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 27

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तेरे मेरे दरमियान - 27


विकी और मोनिका :- जानवी मेम ----- प्लीज मुझे माफ कर दिजिए । आंइदा आगे से ऐसी गलती हमसे कभी नही होगी ।




अशोक ये दैखकर बहोत खुश था और आदित्य के चेहरे पर हल्की मुस्कान था और जानवी आदित्य की और हैरानी से दैख रही थी ।


सभी पार्टी से जा चुके थे , पर मोनिका और विकी दोनो ही पार्किंग मे अपने कार पर बैठा था। मोनिका पार्टी मे हूई घटना से बहोत गुस्से मे थी क्योंकि वो आदित्य से हार गई थी । मोनिका मन ही मन बहोत बुरा feel कर रही थी ।




पर विकी आज की रात को यूं बेकार नही जाने देना चाहता था । तो बस अपना हवस पुरा करना चाहता था । पर आज पार्टी मे हूए घटना के बाद विकी सौच मे पड़ गया था के वो मोनिका को कैसे मनाए । तभी विकी कहता है ।




विकी :- क्या बात है बेबी ------- तुम अभी भी पार्टी हूए बात के कारण नाराज हो ?
विकी बात को सुनकर मोनिका गुस्से से कहती है ।




मोनिका :- नाराज नही , गुस्सा हूँ मैं --- अपने आप पर भी और तुम पर भी । इतना गुस्सा के ------ गुस्से से मेरा सर फटा जा रहा है ।




विकी :- गुस्सा तो मुझे भी है मोनिका । पर मुझे एक बात समझ मे नही आई । के अनय सर ने उस आदित्य के हां मे हां कैसे मिलाया ?




मोनिका :- तम ही तो सबको बोलते रहते हो के अनय सर से मेरा बहोत अच्छा जान पहचान है । वो आपके बात कभी नही टालेगें । आज जो हूआ उसके बाद तो तुम किसी को मुह दिखाने के लायक भी नही रहे ।




मोनिका की बात विकी के दिल मे चुभने लगा था । उसका मन कर रहा था के अभी मोनिका के गाल पर एक चांटा मारे पर वो चुप था क्योकी इसे मोनिका के साथ वो सब करना चाहता था । 




विकी :- तुम टेंशन मत लो जान , मैं इस अपमान का बदला जरुर लूगां । मैं विकी हूँ विकी ।

विकी मोनिका से प्यार से कहता है ।





विकी :- अभी तुम टेशंन मत लो मैं तुमसे प्रॉमिस करता हूँ के उस आदित्य और जानवी को मैं खून के आंशु रुलाउगां । पर अभी मुड थौड़ा अच्छा करते है ना !





विकी मोनिका के करिब जाने लगता है और अपने होठों को मोनिका के हों के सामने ले आता है विकी मोनिका के इतने करिब आ जाता है के दोनो के सांसो टकराने लगे थे । अब विकी का होंठ मोनिका के होंठ को छुने ही वाला था के तभी मोनिका दूर हट जाती है और कहती है ।




मोनिका :- ये क्या कर रहे हो विकी ?




विकी :- कुछ नही बस तुम्हारा मुड को थोड़ा रिलेक्स कर रहा हूँ ।




मोनिका :- पर मेरा अभी मन नही है ये सब करने का ।
इतना कुछ हो गया और तुम्हें ये सब करना है ? 





विकी :- तो क्या करु मैं । मैं बोल तो रहा हूँ के मैं उन दोनो को सबक सिखाउगां । पर उसके लिए थौड़ा वक्त तो चाहिए ना ।





मोनिका :- हां को ठिक है । जब तुम उनसे बदला लोगे तब आना मेरे पास । तब तक के लिये बॉय ----- मैं चलती हूँ । 





इतना बोलकर मोनिका गुस्से से गाड़ी से उतर जाती है और वहां से चली जाती है । 




विकी :- मोनिका रुको ----- मोनिका, मोनिका ।




विकी उसे पिछे से बुलाता है पर मोनिका बिना कुछ बोले वहां से चली जाता है ।




विकी गुस्से से अपना हाथ गाड़ी के सीट पर मारता है ।





विकी :- आ.......ह । सौचा था आज मैं उस आदित्य और जानवी तो निचा दिखा मोनिका को खुश कर दूगां और आज कमसे कम मैं मोनिका के साथ वो सब करुगां पर इस आदित्य ने मेरा सारा प्लान चौपट कर दिया । छोड़ूगां नही उसे मैं ---- नही छोड़ुगां ।




 इधर अशोक और जानवी अपने घर पर थे । जानवी एक गहरी सौच मे खोयी थी । तभी वहां पर अशोक आ जाता है और जानवी को चुप चाप बेठे दैखकर कहता है ।




अशोक :- बेटा जानवी ----- तुम यहां अकेली क्या कर रही हो ?




जानवी :- पापा आपको आदित्य कुछ अजीब नही लगता ? ---- आज जो पार्टी मे हुआ , वो क्या था ? अनय सर आदित्य के कहे हर बात को ऐसे मान रहा था जैसै आदित्य उनका बॉस हो ! आज जिस तरह से उस विकी और मोनिका को आदित्य ने सबक सिखाया है वो कोई आम आदमी नही कर सकता । ये आदित्य क्या चिज है ?





अशोक :- बेटा ----मैं ये तो नही जानता के आदित्य कौन है और वो हमसे क्या छुपा रहा है । वो भी है बहोत खास है । पर मैं इतना जरुर जानता हूँ के वो जी भी है तुम्हारे लिए Perfect है । वो हर मुसीबत मे तुम्हारे साथ खड़ा रहेगा । 





इधर आदित्य शादी की तैयारी मे लगा था । तभी वहां पर पुनम और उसका भाई त्रिपुरारी आता है । आदित्य अपने मां को दैखकर बहोत खुश हो जाता है और गले लगते हूए कहता है -----




आदित्य :- मां तु यहां ? 




पुनम :- क्यों मुझे यहां पर नही आना चाहिए ? 




आदित्य :- नही माँ ऐसी बात नही है , तु आ ना बैठ । कितनो दिनो बाद तुझसे मिल रहा हूँ । कैसी है तु मां ?




पुनम :- बेटे की शादी हो रही है तो मैं कैसे ना आती । ये क्या है बेटा तुने जानवी को अभी तक ये नही बताया के तु कौन है ।




आदित्य : - नही मां वो मैं उसे जल्द बता दूगां । 




पुनम आदित्य से उसके भाई त्रिपुरारी की और इशारा
करके कहता है -----





पुनम :- देख तुझसे मिलने कौन आया है ।





आदित्य त्रिपुरारी की और दैखता है और खुश होकर कहता है ।





आदित्य :- अरे कंश मामा आप कब आए ।




आदित्य अपने मामा को प्यार से चिड़ाते हूए कंश मामा कहतकर ही बुलाता है ।




तिरु :- हां बस यही सुनने के लिए ही मैं यहां हूँ । तु मुझे सिधे सिधे तिरु मामा बुलाया कर भांजे । ये कंश मामा
सुनने मे अजिब नही लगता ?





आदित्य :- अरे मामा ---- मैं तो आपको कितना अच्छा नाम से पुकारता हूँ । कंश मामा । वो कंश मामा जो श्री कृष्ण भगवान के मामा थे और आपको बुरा लग रहा है तो ठिक है आप भी चिड़ाते हूए आप मुझे कृष्ण भांजे कहकर बुलाओ । 




तिरु समझ जाता है के आदित्य उसका मजा ले रहा है । तिरु हंसते हूए कहता है ।




तिरु :- वाह वा ...! बहोत चालाक समझते हो तुम आपने आपको ।



तभी पुनम कहती है । 




पुनम :- तुम अब चुप हो जाओ और तिरु वो बेग देना जरा ।




पुनम के कहने पर तिरु अपना बेग पुनम को दे देता है । पुनम बेग से एक बॉक्स निकलती है और आदित्य को देते हूए कहती है ।




पुनम :- ये लो ।




पुनम आदित्य को हार देती है जिसो दैखकर आदित्य अपनी मां पुनम से पूछता है -------




आदित्य: - ये क्या है मां ?




पुनम :- बेटा ये मैने अपने बहू के लिए लिया हूँ । मैं अभी तो उसे नही दे सकती । इसिलिए तुझे दे रही हूँ,
तु जाके दे आ ।




आदित्य: - पर मां मैं उससे करूगां क्या । इतना मेहगां गिफ्ट दैखकर वो मुझे से बहोत सारे सवाल पुछेगी ।




पुनम :- ये सब मैं नही जानती । तुने यो सब किया है तो जवाब भी तु ही देगा । मेरे बेटे का शादी है तो मैं अपने अरमान क्यूं मारु।



तिरु कहता है ------




तिरु :- मैं भी चलूगां तुम्हारे साथ भाजें ।




उधर विकी दो बार हूए अपना अपमान के लिए बहोत गुस्से मे थे । विकी अपने हाथ मे विस्की का ग्लास लिये था । विकी आदित्य के वजह से वो मोनिका के साथ वो सब नही कर पाया जो वो करना चाहता था ।


To be continue.....164