Chhupa Hua Ishq - 19 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | छुपा हुआ इश्क - एपिसोड 19

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छुपा हुआ इश्क - एपिसोड 19

छुपा हुआ इश्क़ — एपिसोड 19
शीर्षक: स्वप्नों की झील
(जब प्रेम, स्मृति और भविष्य की आत्माएँ झील में मिलती हैं और नए युग का सपना गढ़ती हैं)1. स्वप्नों की हलचलप्रेम सरोवर की घाटी में यह रात अलग थी। झील के किनारे बैठे साधक, कलाकार और शोधकर्ता अपनी आंखें बंद किए हुए थे।
आशना, विनय, प्रिया, और ईशा—सभी को लग रहा था कि आज इस घाटी में किसी नए पक्ष की दस्तक है।
झील के जल पर हल्की चमकती लहर दिखाई दी, जो बार-बार इंद्रधनुष के रंगों में बदल रही थी।
विनय बोला, “यह सपना नहीं… यह झील हमारे सपनों की गहराई में उतर रही है।”2. स्मृति और प्रेम का संगमरात्रि के चतुर्थ प्रहर में आशना ने ध्यान किया और उसके भीतर बचपन की स्मृतियाँ जाग उठीं—कुछ अधूरी, कुछ खोयी, कुछ अनकही।
प्रिया ने महसूस किया कि झील का जल अब पुरानी यादों को पढ़ पा रहा है।
ईशा ने गाया, “हर सपना उस आत्मा का पुनर्जन्म है, जो प्रेम के रंगों में नहा गई।”झील की सतह पर वे दृश्य उभरने लगे—पुरानी बातें, बिछड़ी आवाजें, और सदियों पुराने गीत।
सभी ने महसूस किया कि यह घाटी अब केवल वर्तमान नहीं, बल्कि भविष्य और अतीत की स्वप्न भूमि बन गई है।3. विज्ञान का सौंदर्यडॉ. समर और उनकी टीम ने रातभर झील का डेटा रिकॉर्ड किया।
“यह ऊर्जा केवल समय में नहीं, बल्कि स्मृति क्रम में बदल रही है,” उन्होंने पाया।
झील की लहरें कभी धीमी, कभी तेज़ हो जाती जैसे कोई सपना जगत को आकार दे रहा हो।
प्रिया ने अपनी डायरी में लिखा, “यह स्वप्नों की झील है, जो हर आत्मा के गहरे रहस्य को प्रेम के माध्यम से प्रकाशित करती है।”4. आत्मा की आवाज़सुबह हुई। सभी झील के किनारे एकत्र हुए, जहाँ सपनों की कहानियाँ साझा की जा रही थीं।
आशना ने कहा, “मुझे आज रात अपनी दादी की सुरीली आवाज़ सुनाई दी… वह कह रही थीं, प्रेम से जीवन के सारे दुःख झरने लगते हैं।”
ईशा ने कहा, “मेरे सपने में मेरी माँ हँसी थी… वह बता रही थी, स्वप्न बस बीता हुआ समय नहीं, बल्कि भविष्य के संकेत हैं।”
विनय ने गंभीर स्वर में जोड़ा, “हम जिस स्वप्न को जीते हैं, वह झील हमारे लिए साकार कर देती है।”5. स्वप्न-संगीत उत्सवआशना ने प्रस्ताव दिया कि घाटी में ‘स्वप्न-संगीत उत्सव’ का आयोजन किया जाए।
इसमें सभी लोग अपने सपनों, यादों और इच्छाओं की कहानियाँ गीतों में ढालें और झील के तट पर साझा करें।
उस रात उत्सव में घाटी के हर ओर नये-पुराने सुर गूंजने लगे।
कुछ गीत महादेवी की लोरी, कुछ खोये हुए दोस्तों की पुकार, कुछ नई आत्माओं की यात्रा।
झील पर रंग-बिरंगे प्रतिबिंब बनते गए—हर कहानी पर एक नया रंग चढ़ता गया।6. झील का रहस्यमहोत्सव के दौरान मुद्दत बाद एक रहस्यमयी महिला घाटी में दिखाई दी।
झील के बिलकुल बीच बैठी थी, उसके चारों ओर हल्की नीली आभा थी।
वह बोली, “मैं स्वप्नों की संरक्षक हूं। यहाँ जो आत्मा अपना दुख, अपना प्रेम, और अपनी कहानी साझा करती है, उसका सपना इस झील में अमर हो जाता है।”
लोगों ने हैरानी से सुना—झील पर अचानक चमक उठी, सभी सपने एक ही जीवनधारा बन गईं।7. नई यात्रा—भविष्य की खोजइसी उत्सव में छोटे-बड़े, बूढ़े-जवान सबने अपनी कहानी कही।
ईशा ने गाया, “मेरा सपना है कि माँ फिर लौट आए… और उस लौटने में मैं खुद को पहचान सकूं।”
विनय ने कहा, “मुझे उम्मीद है, प्रेम विज्ञान का मार्ग बन जाएगा। सपना, शोध और भावना साथ चलें।”
आशना ने लिखा, “हर रात जब झील के पास ध्यान करती हूं, मेरे भीतर एक नया सपना जागता है—जिसे अभी कोई नाम नहीं दिया गया।”
इस तरह घाटी में ‘सपनों की झील’ विचार और भाव, प्रेम और विज्ञान, स्मृति और भविष्य के पुल में बदल गई।8. समापन—नयी भोररात के अंतिम प्रहर में झील से शीतल नीली किरणें आसमान में फैल गईं।
पहली बार घाटी के सभी सपनों की गूंज दूर-दूर तक पहुंची और लगने लगा कि इस धरती का प्रेम-स्वप्न अब सबका है।
झील के किनारे छोटे दीपक जलाए गए, हर दीपक एक नए सपने का प्रतीक बना।
आशना ने अंतिम गीत गाया, “स्वप्न वही है, जो प्रेम की झील तक पहुँच जाए।”
लोगों ने कहा, “अब हम केवल जागी हुई आत्माएँ नहीं, सपनों से प्रेम करने वाली आत्माएँ हैं।”
झील पर इंद्रधनुष का रंग देर तक दिखाई दिया—और घाटी में भोर के गीत गूंज उठे।(एपिसोड समाप्त — अगले भाग में “नयी राह, नयी आशा” प्रेम-स्वप्नों और आत्माओं की अगली खोज की दिशा दिखाई देगी…)