Chhupa Hua Ishq - 15 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | छुपा हुआ इश्क - एपिसोड 15

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छुपा हुआ इश्क - एपिसोड 15

छुपा हुआ इश्क़ — एपिसोड 15
शीर्षक: समय की प्रार्थना
(जब प्रेम युगों की सीमाएँ पार कर परम सत्य से मिलता है)1. बीते युग की सीढ़ियाँवर्ष बीत चुके थे। कैलाशपुर की घाटी अब “प्रेम सरोवर” के नाम से पहचानी जाती थी। यहाँ वह झील अब भी नीली थी, जहां कभी आरुषि और आरव का आत्मिक स्वरूप विलीन हुआ था।
कई पीढ़ियाँ इस मंत्रित स्थल से प्रेरणा ले चुकी थीं, लेकिन इस बार घाटी में विज्ञान और आध्यात्म का मिलन एक नई दिशा की ओर बढ़ चला था।एक शाम ध्यान-केन्द्र में युवा साधक विनय पहुँचा—अपने भीतर अनकहे प्रश्न लिए।
उसने सरोवर के पानी को छुआ, तो उसे खुद-ब-खुद कुछ वर्षों पुराना दृश्य दिखा: आरुषि और आरव की ऊर्जा उस पानी में गूँज रही थी।
स्वर हवा में उभरा: “समय की प्रार्थना सब सुनेगा, जब मन भीतर से तैयार होगा।”2. अकथ यात्रा—प्रेम की खोज मेंविनय ने रात्रि में ध्यान किया। उसकी चेतना ने हवा में प्रवाह पाया।
वह अनेक युगों की झलक देखने लगा—कभी ऋषियों के मध्य, कभी खोये हुए यात्रियों के बीच।
हर जगह एक समान सूत्र था: प्रेम का बीज, जो हर दिल झील की छांव में खुद को पहचानता है।झील का जल एक रात अचानक ब्रह्म कमल की तरह विकरने लगा—सतह पर सफेद-सुनहरी ज्योति दिखने लगी।
विनय ने अनुभव किया कि यह कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि उस प्रार्थना का उत्तर है जिसे हर प्यासी आत्मा चुपचाप करती है।वही सुनहरी ज्योति उसके हृदय में प्रवेश कर गई।
“अब प्रेम को केवल महसूस नहीं करना है,” स्वर आया, “बल्कि समय के प्रत्येक क्षण में जीना है।”3. संवाद—अनंत का निमंत्रणअगले दिन विनय ने अपने अनुभव को शोध केन्द्र के वैज्ञानिकों और काव्य साधकों के साथ साझा किया।
डॉ. समर बोली, “इस ऊर्जा का कंपन हमारी प्रयोगशाला के सभी मानकों से बाहर है; यहाँ समय स्थिर नहीं है, बल्कि हर अनुभूति प्रार्थना बन जाती है।”
चिंतक कवि रिया ने कहा, “प्रेम की सबसे सुन्दर अवस्था वही है, जहाँ कोई प्रार्थना बिल्कुल बिना शब्दों के, सिर्फ़ आत्मा में गूँजती है।”सभी ने तय किया कि वे उस झील के पास पूरे साल ध्यान देंगे और हर मौसम की बदलती ऊर्जा को रिकॉर्ड करेंगे—शायद कोई अनंत सूत्र प्रकट हो।4. संस्कारों का संगमप्रेम सरोवर के चारों ओर अब हर धर्म, भाषा, और संस्कृति के लोग जुटने लगे।
कोई अपनी पहली प्रेमिका का नाम वहाँ लिखता, कोई माँ के लिए कविता पढ़ता, कोई पुराने घावों का पानी में विसर्जन करता।
हर कोई उस झील में उतर कर एक प्रश्न पूछता: “क्या मेरी प्रार्थना समय सुन सकता है?”
झील हमेशा हल्की लहर भेजती—जैसे कह रही हो, “तुम अकेले नहीं हो। जो तुम चाहो वह प्रेम के दायरे में संभव है।”5. कथा का अंतिम द्वारएक दिन झील के ऊपर अजीब प्रकाश फैला—उसमें तीन चेहरे दिखे:
आरुषि, आरव और स्वरूपांतरण की दिव्य स्त्री।
प्रकाश में वे साथ-साथ मुस्करा रहे थे, किसी को बुला रहे थे।
विनय ने उस दृश्य में डुबकी लगाई—झील की लहरों में उसे अपनी आत्मा का परम सत्य दिखा:
“हर प्रार्थना प्रेम की भाषा बन जाती है, समय की सीमाएँ उसी ऊर्जा में घुल जाती हैं।”6. अंतिम प्रश्न का उत्तरविनय ने झील के पास बैठकर अपनी सबसे गहन प्रार्थना की—उसने पूछा, “क्या प्रेम का अंश हर आत्मा में शाश्वत है?”
हवा में गूँजता स्वर आया—आरुषि का—
“जब तुम किसी का दुःख बाँटते हो, या किसी को क्षमा कर देते हो, उस क्षण समय की रोशनी तुम्हारे भीतर प्रयाप्त हो जाती है। प्रेम वही बीज है जो कभी नहीं मरता, वह अनंत यात्रा करता रहता है।”
आसपास सभी व्यक्ति हल्की आभा में चमकने लगे।7. प्रेम की लौ—आगे का विस्तारशोध केन्द्र की युवा टीम ने अब इस जगह को एक अभयारण्य बना दिया, जहाँ विज्ञान, काव्य, ध्यान और संगीत सब एक साथ बहते थे।
रात में झील के किनारे एक गीत गूँजता—
“समय की प्रार्थना अब अनंत प्रेम में बदल गई।
जहाँ पुकार है, वहाँ उत्तर है,
जहाँ प्रेम है, वहाँ जीवन है।”हर व्यक्ति जो घाटी से गुजरता, उसके भीतर कुछ न कुछ बदल जाता।
कहा जाता है, “जो यहाँ प्रेम की प्रार्थना करता है, उसकी आत्मा स्वरूपांतरण की यात्रा पर निकल पड़ती है।”8. अनंत यात्रा जारीकथा का चक्र घूमता रहा।
न कोई आखिरी अध्याय, न कोई पूर्ण विराम।
प्रेम का बीज जल, वायु, शब्द और स्पंदन में अंकुरित होते गया।
समय की प्रार्थना हर सीमा लांघ चुकी थी।
फिर भी, घाटी के नीले जल में कोई कभी-कभी हल्की सी मुस्कान देख लेता—वही, जो आरुषि और आरव की आत्मा का परम संदेश था।(एपिसोड समाप्त—अगला भाग: “आत्मा का संगीत”)