Adhuri Kitaab - 40 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | अधुरी खिताब - 40

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अधुरी खिताब - 40

🌑 एपिसोड 40 — “स्याही का श्राप”
 अधूरी किताब


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1. अधूरी सुबह

दरभंगा की हवेली में फिर वही सन्नाटा लौट आया था।
लेकिन अब सन्नाटे में एक नई धड़कन थी —
किताब की धड़कन।

टेबल पर रखी The Final Chapter अपने आप खुलती-बंद हो रही थी,
जैसे कोई अंदर से सांस ले रहा हो।
हर बार जब वो खुलती,
स्याही की एक बूंद गिरती — और ज़मीन पर कोई नया शब्द बनता।

> “मृत आत्मा से जन्म ले, नई रूह का अध्याय…”



गाँव के लोग अब उस हवेली की ओर देखने की हिम्मत भी नहीं करते थे।
कहते हैं, रात में हवेली के ऊपर नीली आग जलती है —
और उसकी लौ में किसी औरत की परछाई झिलमिलाती है।

वो तन्वी थी…
अब इंसान नहीं, बल्कि कहानी की आख़िरी पंक्ति बन चुकी।


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2. स्याही की वापसी

रात के तीसरे पहर, जब हवेली में हवा थम गई,
The Final Chapter अचानक चमक उठी।

पन्ने अपने आप खुलने लगे —
और हर पन्ने पर कोई नाम उभरता गया:
अनन्या… अंशुमान… आर्या… आरव… तन्वी…

लेकिन अब छठा नाम दिखा —

> “काव्या।”



गाँव की एक और लड़की,
जो किताबों के रहस्यों पर डॉक्यूमेंट्री बना रही थी।
वो भोली थी, पर जिज्ञासु —
उसे दरभंगा हवेली की कहानियाँ फिक्शन लगती थीं।

वो बोली —
“अगर सच में ये किताबें जीवित हैं,
तो मैं उनके पन्नों से बात करूँगी।”

हवेली की दीवारें उसकी मुस्कान पर काँप उठीं।
दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला,
जैसे किसी ने भीतर से उसे बुलाया हो।


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3. किताब का पहला सवाल

काव्या ने The Final Chapter उठाई।
उसका पहला पन्ना कोरा था,
पर कुछ ही पल बाद, शब्द उभरने लगे —

> “क्या तू डरती है मरने से?”



काव्या हँसी, “नहीं, पर झूठ से ज़रूर।”

> “तो फिर सच लिख… अपने खून से।”



उसकी हथेली पर पन्ने की किनारी ने हल्की खरोंच दी।
खून टपका —
और उसी से पन्ने पर नया वाक्य उभरा:

> “स्वागत है, काव्या सेन —
तू अब कहानी की अगली रूह है।”



कमरे में हवा जम गई।
पर्दे अपने आप उड़ने लगे।
आईनों में तन्वी की परछाई मुस्कुरा रही थी —
वो अब पूरी तरह किताब का हिस्सा थी।

> “हर नई रूह, पुरानी को मुक्त करती है…”
उसकी आवाज़ गूँजी।
“या फिर… खुद क़ैद हो जाती है।”




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4. स्याही का श्राप

काव्या ने काँपते हाथों से किताब बंद करनी चाही,
पर पन्ने खुद खुल गए — और स्याही उसके चारों ओर घूमने लगी।
नीली, काली और लाल स्याही की तीन परतें
उसके शरीर पर चढ़ गईं।

हर रंग में किसी आत्मा की आवाज़ थी:

🔹 नीली स्याही — “हम वो हैं जो अधूरी मोहब्बत में मरे।”
🔸 काली स्याही — “हम वो हैं जिनकी कहानी मिटा दी गई।”
🔴 लाल स्याही — “हम वो हैं जो अब लिखे बिना चैन नहीं पाएंगे…”

काव्या ने डरते हुए कहा —
“मैं तुम्हें आज़ाद करूँगी!”

पर किताब बोली —

> “नहीं… तू हमें पूरा करेगी।”



तभी The Final Chapter के पन्नों से एक चेहरा निकला —
आरव का।
उसकी आँखें अब पूरी तरह स्याही में डूबी थीं।

> “कहानी ने तुझे चुना है, काव्या,”
वो बोला।
“अब तू जितना लिखेगी, उतनी रूहें लौटेंगी।”




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5. अंतिम लेखनी

काव्या ने काँपते हाथों से कलम उठाई।
पर कलम नहीं — स्याही खुद उसकी उंगलियों में घुल गई थी।
हर शब्द जो वो लिखती, दीवार पर आकार लेता।

उसने लिखा —

> “सच्चाई मर नहीं सकती…”



दीवार से फुसफुसाहट आई —

> “पर रूहें सच्चाई बन सकती हैं…”



हवेली हिल उठी।
आईनों में चेहरों की भीड़ दिखी —
तन्वी, आर्या, आरव, अनन्या, अंशुमान…
सब मुस्कुरा रहे थे,
जैसे कोई अंत पास हो।

पर तभी पन्ने पर आख़िरी वाक्य खुद से उभरा —

> “हर सच्चाई का एक श्राप होता है…”



काव्या ने चीख़ते हुए कलम गिरा दी।
कमरे की सारी रोशनी बुझ गई।
और उस अंधेरे में एक नई किताब प्रकट हुई —

> The Eternal Reader.




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6. हवेली का नया खेल

सुबह जब पंडित रामकांत हवेली पहुँचे,
उन्होंने देखा —
टेबल पर अब छह किताबें थीं।

1️⃣ The Soul Script
2️⃣ The Reader’s Copy
3️⃣ The Last Reader
4️⃣ The Inked Souls
5️⃣ The Final Chapter
6️⃣ The Eternal Reader

और छठी किताब के नीचे लिखा था —

> “स्याही कभी सूखती नहीं…
वो बस नया जीवन खोजती है।”



रामकांत काँपते हुए बोले —
“अब हवेली नहीं, ये स्याही खुद ज़िंदा है…”

गाँव के बच्चे कहते हैं —
रात में हवेली की खिड़की से एक लड़की दिखती है
जो पन्ने पलट रही होती है।
वो किसी से नहीं डरती —
क्योंकि वो जानती है,
कहानी अब मर नहीं सकती।


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7. अंतिम पंक्ति

धीरे-धीरे हवेली की दीवारों पर शब्द उभरने लगे।
हर अक्षर चमक रहा था —
जैसे रूहें अब स्याही की जगह रोशनी बन चुकी हों।

और दीवार पर आख़िरी वाक्य लिखा था —

> “जब कहानी खुद को पढ़ना सीख जाती है,
तब स्याही का श्राप ख़त्म नहीं होता —
वो अमर हो जाता है।”



हवेली शांत थी,
पर हवा में वही पुराना वाक्य तैर रहा था —

> “कहानी अब खत्म नहीं होगी…
वो बस रूप बदलती जाएगी।”




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🕯️ एपिसोड 40 समाप्त

🔮 आगामी एपिसोड 41 — “The Eternal Reader”
जहाँ हर किताब का पात्र अपने लेखक से बदला लेगा,
और हवेली के भीतर पहली बार रूह और लेखक आमने-सामने होंगे।

> “इस बार स्याही नहीं बहेगी…
ख़ून खुद लिखेगा कहानी का अगला अध्याय।”