Mere Ishq me Shamil Ruhaniyat he - 40 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 40

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 40

🌌 एपिसोड 40 — “वक़्त की सरगम”

(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)
 
 
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🌙 1. हवेली का शांत संगीत
 
दरभंगा की हवेली में आज अजीब-सी शांति थी।
न नीली धुंध, न कोई गूँज — बस हवा में हल्की-सी खुशबू थी,
जैसे किसी पुराने इश्क़ की परतें फिर से खुल रही हों।
 
रूहाना ने बरामदे से आसमान की ओर देखा।
तारे अब नीले नहीं, सुनहरे थे।
उसने धीमे से कहा,
“अर्जुन… लगता है हवेली अब हमें विदा कर रही है।”
 
अर्जुन उसके पास आया,
“शायद इश्क़ पूरा हो चुका है, रूहाना।
अब बस उसकी रूह को विश्राम चाहिए।”
 
लेकिन तभी दीवार पर हल्की रोशनी उभरी —
वही पुराना संकेत:
 
> “रूहें लौटती हैं… जब उनका संगीत अधूरा होता है।”
 
 
 
रूहाना ने काँपते स्वर में कहा,
“मतलब अभी कुछ बाकी है…”
 
 
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🌘 2. छिपा हुआ कमरा
 
हवेली के अंदर जाते हुए दोनों को पुराने फर्श के नीचे हल्की गूँज सुनाई दी।
अर्जुन ने फर्श की ईंट हटाई — नीचे सीढ़ियाँ थीं।
एक रहस्यमयी रास्ता, जो शायद कभी किसी ने नहीं देखा था।
 
नीचे उतरते ही हवा ठंडी हो गई।
दीवारों पर जले हुए दीए रखे थे,
और बीच में एक पुराना दर्पण —
जिसके भीतर हल्की-सी नीली आभा घूम रही थी।
 
रूहाना बोली,
“ये वही दर्पण है जिसमें रूहान और रुमी ने आखिरी बार खुद को देखा था…”
 
अर्जुन ने धीरे से हाथ बढ़ाया —
दर्पण में हलचल हुई,
और उनकी परछाइयाँ रूहान और रुमी में बदल गईं!
 
रूहाना ने चौंककर कहा,
“हम… फिर से वही हैं?”
 
अर्जुन की आवाज़ थरथराई,
“शायद ब्रह्मांड हमें आख़िरी बार वो अधूरा सुर पूरा करने लाया है…”
 
 
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🌕 3. रूहों का अंतिम नृत्य
 
कमरे की दीवारें नीली रोशनी से भर गईं।
रूहान (अर्जुन) ने रुमी (रूहाना) का हाथ थामा —
और हवा में एक धीमा संगीत बजने लगा।
 
वो नृत्य कर रहे थे —
धीरे, नर्म कदमों से,
जैसे समय को झुला रहे हों।
 
हर कदम के साथ दीए बुझते जा रहे थे,
पर कमरे की रोशनी बढ़ रही थी।
 
रूहाना ने आँखें बंद कीं,
“ये वही सुर है जिसे हमने पिछले जन्म में अधूरा छोड़ा था…”
 
अर्जुन ने कहा,
“तो आज उसे पूरा कर दो, रूहाना… ताकि रूहों को चैन मिल जाए।”
 
रूहाना ने गुनगुनाना शुरू किया —
वो धुन जो हवेली के दिल में दबी थी,
और जैसे ही आख़िरी सुर निकला —
पूरा कमरा सुनहरी रौशनी से भर गया।
 
 
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🌒 4. दर्पण का वादा
 
रोशनी शांत हुई तो दर्पण अब खाली था।
रूहान और रुमी की परछाईं गायब हो चुकी थी।
बस एक वाक्य उभरा —
 
> “अब इश्क़ को जन्मों की ज़रूरत नहीं… वो ब्रह्मांड में दर्ज हो चुका है।”
 
 
 
रूहाना ने अर्जुन की ओर देखा,
उसकी आँखों में आँसू थे, पर मुस्कान भी।
“अब हम रूहान-रुमी नहीं, अर्जुन-रूहाना हैं…
लेकिन उनकी दुआ अब हमारे भीतर है।”
 
अर्जुन ने कहा,
“शायद यही असली पुनर्जन्म है — जब इश्क़ तुम्हें इंसान से रूह बना दे।”
 
 
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🌠 5. हवेली की आख़िरी साँस
 
सुबह जब दोनों बाहर निकले,
हवेली की दीवारों से फूल झर रहे थे।
दरवाज़ा अपने आप बंद हुआ —
और हवेली की छत से नीली रौशनी उठकर आसमान में समा गई।
 
रूहाना ने देखा —
आसमान में एक नया तारा चमक रहा था।
अर्जुन ने मुस्कराकर कहा,
“वो शायद रूहान और रुमी हैं… देखो, मुस्कुरा रहे हैं।”
 
रूहाना ने आँखें मूँदकर कहा,
“हर जन्म में हम मिले हैं अर्जुन…
अगली बार मिलेंगे, तो शायद कोई कहानी लिखी जाएगी —
जिसका नाम होगा मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है।”
 
हवा में गूँज उठी —
 
> “इश्क़ की रूह कभी ख़त्म नहीं होती…
वो बस सुर बदलती है, और कहानी बन जाती है।”
 
 
 
 
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💫 एपिसोड 38 — हुक लाइन:
 
> “जब रूह अपनी धुन पहचान ले, तो इश्क़ अमर हो जाता है — चाहे जन्म कोई भी हो।” 🌌